Monday, 13 January 2014

मनरेगा के तहत मिलने वाले काम में ५० दिन का इजाफा आदिवासियों को १५० दिन रोजगार



लोकसभा चुनाव के लिए कांगेस पार्टी की नजर आदिवासी बाहुल्य राज्यों पर टिकी है | उनके वोट पुख्ता करने की कवायद में सरकार ने अपने खजाने का मुह खोलना भी शुरू कर दिया है | एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आदिवासियों के लिए मनरेगा के तहत मिलाने वाले रोजगार के दिनों में ५० दिन का इजाफा करने का निर्णय लिया गया है | लोक सभा चुनाव के एन पूर्व मौके पर सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम को आदवासियो को साधने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है |
१५० दिन का रोजगार : सरकार ने तय किया है ,मनरेगा के तहत मिलाने वाले १०० दिन के काम की बजाय अब उन्हें १५० दिन का रोजगार दिया जाएगा | केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने इस फैसले को अहम् करार देते हुए कहा है की वन क्षेत्रो में उत्पादन बढाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ लगाने और जमीन को समतल करने सरीखे काम होने है |
हालांकि यह लाभ उन्ही आदिवासियों को मिलेगा जो वन अधिकार अधिनियम २००६ से लाभान्वित है | बताया जा रहा है की इस अधिनियम के तहत देश भर में लगभग १४ लाख परिवारों को जमीन का अधिकार मिला है इसमे लगभग ८ लाख लोग महज छत्तीसगढ़, उड़ीसा ,आँध्रप्रदेश और झारखंड से है | साथ ही मंत्रालय ने यह पहले से ही प्रावधान किया है की वन अधिकार अधिनियम के लाभान्वित स्वत: ही इंदिरा आवास योजना के लाभ के हकदार हो जाएगे | इस योजना के तहत मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,ओडीसा और झारखंड के ५.७६ परिवारों को सहायता स्वीकृत की जा चुकी है |
आदिवासी व माओप्रभावित जिलो के लिए विशेष प्रयास
·        देश के २५० अति पिछड़े जिलो एमजीनरेगस और एनआरएलएम् के तहत प्रभावी कार्य शुरू किए |
·        आई ए पी के तहत ८८ जिलो में बतौर मेहनताना नगद भुगतान की व्यवस्था |
·        नक्शल प्रभावित ६ जिलो में काम मांगो अभियान की शुरुआत |
·        यु एन डी पी के साथ साझे समझौते पर छत्तीसगढ़ , झारखंड और उड़ीसा के चुनिन्दा जिलो में गवर्नेस और जीवन स्तर सुधार के लिए परियोजना की शुरुआत |

Friday, 10 January 2014

मनरेगा का मूल्याकन

केंद्र सरकार ने "महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी कानून "(मनरेगा ) का व्यापक मूल्यांकन कराने का फैसला किया है | २००६ से लागू इस योजना के सभी मोर्चो पर कमजोर प्रदर्शन को लेकर केंद्र की यू पी ए सरकार खाशा चिंतित है |
मनरेगा योजना का होगा राष्ट्रव्यापी मूल्यांकन
पहली बार ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ग्रामीण रोजगार योजना के राष्ट्रव्यापी समवर्ती मूल्याकन का खाका तैयार किया है , जो वर्षो से भ्रष्टाचार और अनियमितता में फासी हुई है | केंद्र सरकार इस योजना पर बड़े पैमाने पर खर्च कर रही है , लेकिन तुलनात्मक रूप से परिणाम बेहद कमजोर रहे है |आंकड़े बताते है की न केवल परिवार के स्तर पर रोजगार उपलब्धता , बल्कि महिलाओं के प्रतिशत और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के भागीदारी प्रतिशत में कमी आई है |
सी ए जी रिपोर्ट में भी खिचाई
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सी ए जी ) ने भी अपनी रिपोर्ट में ग्रामीण विकास मंत्रालय व राज्यों की खिचाई की थी कि वे योजना से जुडी उन कमियों को पकड़ने में नाकाम है , जिनके चलते गबन हो रहा है |गौरतलब है की प्रस्तावित अध्ययन में २०१०-११,२०११-१२ व २०१२-१३ की समयावधि शामिल होगी और अध्ययन के लिए नमूनों का चयन २८ राज्यों के १०१ जिलो से किया जाएगा | अधिकारी मुताबिक़ , इस अध्ययन में कुल ४०,९०५ घर शामिल होंगे | इस अध्ययन के उद्देश्यों में सूखे के मौसम में रोजगार की उपलब्धता ,मजदूरी दर और मजदूरी का भुगतान , गाव से लोगो का प्रवाशां और कार्य स्थल पर सुविधाओं के लिहाज से योजना के बारे में लोगो के दृष्टिकोण का पता लगाना शामिल है |
व्यापक अध्ययन की कमी
ग्रामीण क्षेत्र में दूरगामी असर वाले प्रभावी हस्तक्षेप के लिहाज से कुछ अध्ययनों में इसे महत्वपूर्ण बताया गया है , इसके बावजूद ऐसे व्यापक मूल्याकन अध्ययन की कमी मानी जाती रही है , जिसमे इस कानून के महत्वपूर्ण पक्षों व लागू करने की स्थितियों को मुल्याकाना का आधार बनाया जाए | मनरेगा के तहत निर्मित विभिन्न सम्पतियो व इसकी उपयोगिता व गुणवत्ता , जलसंरक्षण कार्यो से कृषि उत्पादकता बढाने की जानकारी और ग्रामीण क्षेत्रो में सिचाई सम्बंधित सम्पतियो के लाभों के बारे में लोगो की राय का अध्ययन किया जाएगा |
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार , मौजूदा वित्तीय वर्ष ( सितम्बर २०१३ तक ) में मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,उत्तराखंड ,गोवा ,असं ,अरुणाचल प्रदेश , मेघालय , हरियाणा ,ओडीसा ,उत्तरप्रदेश ,पश्चिम बंगाल , मिजोरम व त्रिपुरा में प्रति परिवार औसत व्यक्ति दिवसो की संख्या राष्ट्रीय औसत (२८) से काफी कम रही है | इसके अलावा जिलास्तर पर भी २०१३-१४ में योजना का बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं पाया गया है |
केवल चार माह का वक्त
अध्ययन करता संस्था के चयन के बाद अगले चार माह में ही इस अध्ययन को पूरा करने का लक्ष्य है | इसमे व्यक्तिगत लाभार्थी योजना , लाभार्थी परिवार की सामाजिक - आर्थिक स्थिति व रोजगार क्षमता का भी अध्ययन शामिल है | उल्लेखनीय है की बहुत से राज्यों में श्रम की मांग वास्तविक रूप से ५० फीसदी से कम पाई गई है |
यही नहीं की मनरेगा के तहत बेरोजगारी भत्ता देने का नियम है | इसके तहत रोजगार आवेदन आने के १५ दिन के भीतर यदि रोजगार नहीं मिलता है तो आवेदक को अनिवार्य तौर पर बेरोजगारी भत्ता उपलब्ध कराने का प्रावधान है | इसके तहत पहले ३० दिन तक कुल मजदूरी का एक- चौथाई और उसके बाद आधी मजदूरी के बराबर का भुगतान बेरोजगारी भत्ते  के रूप में भुगतान किया जाना है | हालाकि अब तक केवल कुछ राज्यों ने ही इससे सम्बंधित नियमो को अधिसूचित किया है | इसमे आँध्रप्रदेश ,बिहार ,छत्तीसगढ़ , गोवा, गुजरात ,कर्नाटका, मध्यप्रदेश ,महाराष्ट्रा ,पश्चिम बंगाल और अंदमान -निकोबार शामिल है |

भाटापारा में चिराग द्वारा सामुदायिक गतिशीलता कार्यक्रम आयोजित

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नई दिल्ली एवं  छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति रायपुर के सहयोग से  चिराग सोशल वेलफेयर सोसायटी अम्बिकापुर द...