लोकसभा चुनाव के लिए कांगेस पार्टी
की नजर आदिवासी बाहुल्य राज्यों पर टिकी है | उनके वोट पुख्ता करने की कवायद में सरकार
ने अपने खजाने का मुह खोलना भी शुरू कर दिया है | एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार
के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आदिवासियों के लिए मनरेगा के तहत मिलाने वाले रोजगार
के दिनों में ५० दिन का इजाफा करने का निर्णय लिया गया है | लोक सभा चुनाव के एन पूर्व
मौके पर सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम को आदवासियो को साधने की कवायद के रूप में देखा
जा रहा है |
१५० दिन का रोजगार : सरकार ने तय किया है ,मनरेगा के
तहत मिलाने वाले १०० दिन के काम की बजाय अब उन्हें १५० दिन का रोजगार दिया जाएगा |
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने इस फैसले को अहम् करार देते हुए कहा
है की वन क्षेत्रो में उत्पादन बढाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ लगाने और जमीन को समतल
करने सरीखे काम होने है |
हालांकि यह लाभ उन्ही आदिवासियों
को मिलेगा जो वन अधिकार अधिनियम २००६ से लाभान्वित है | बताया जा रहा है की इस अधिनियम
के तहत देश भर में लगभग १४ लाख परिवारों को जमीन का अधिकार मिला है इसमे लगभग ८ लाख
लोग महज छत्तीसगढ़, उड़ीसा ,आँध्रप्रदेश और झारखंड से है | साथ ही मंत्रालय ने यह पहले
से ही प्रावधान किया है की वन अधिकार अधिनियम के लाभान्वित स्वत: ही इंदिरा आवास योजना
के लाभ के हकदार हो जाएगे | इस योजना के तहत मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,ओडीसा और झारखंड
के ५.७६ परिवारों को सहायता स्वीकृत की जा चुकी है |
आदिवासी व माओप्रभावित जिलो के लिए विशेष प्रयास
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देश के २५० अति पिछड़े जिलो एमजीनरेगस और एनआरएलएम् के तहत प्रभावी
कार्य शुरू किए |
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आई ए पी के तहत ८८ जिलो में बतौर मेहनताना नगद भुगतान की व्यवस्था
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नक्शल प्रभावित ६ जिलो में काम मांगो अभियान की शुरुआत |
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यु एन डी पी के साथ साझे समझौते पर छत्तीसगढ़ , झारखंड और उड़ीसा
के चुनिन्दा जिलो में गवर्नेस और जीवन स्तर सुधार के लिए परियोजना की शुरुआत |