आज जहां एक ओर आक्सीजन के मारामारी चल रही है कृत्रिम आक्सीजन के लिए दूसरे देशों की ओर मुंह ताक रहे है । लोग त्राहि त्राहि कर मौत के मुंह मे समा जा रहे है । और ऑक्सीजन के लिए इतना त्राहि त्राहि क्यो ? एक ओर सरकारें भविष्य की चिंता किए बगैर आएं दिन एक नए खदान खोलने की तैयारी में रहती है जिससे हजारों लाखों पेंडो की बली चढ़ाई जाती है । अंधाधुंध पेड़ों की कटाई व जंगलों के नष्ट करने के कारण लगातार तापमान में बदलाव देखने को मिल रहे है । प्रलयकारी आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है । इन सबके बावजूद भी सरकार आंख बंद किए दोहन किए जा रहे है । ऐसा ही एक जंगल और समाप्त होने जा रहा है वो है बकस्वाहा का जंगल जो छत्तरपुर जिले में स्थित है ।
मध्यप्रदेश के छत्तरपुर जिले में स्थित बकस्वाहा के जंगलों को काटने की तैयारी हो रही है । इन जंगलों में हीरे का भंडार मिला है जो देश का सबसे बड़ा भंडार होगा । यहां लगभग 3.42 करोड़ कैरेट हीरे होने का अनुमान लगाया जा रहा है । जिसका बाजार मूल्य हजारों करोड़ रुपए होगा ।
हीरे निकालने के लिए जंगल का 3,82,131 हैक्टेयर जमीन की खुदाई किया जाएगा एक अनुमान के मुताबिक 2,15,875 पेड़ काटे जाएंगे। इसमे 40000 पेड़ सागौन के हैं इसके अलावा पीपल, तेंदू, जामुन, बहेरा, अर्जुन जैसे औषधीय पौधे भी है जबकि जंगलों में अनेकों प्रकारा के कंदमूल व साग भाजी होती है जिनसे गरीबों का पेट भरता है । जंगलों पर आसपास के लोग आश्रित होते है वर्ष में कई माह इन्हें यही से रोजगार मिलता है । इस वन के नष्ट होने से सिर्फ प्रकृति का विनाश नही होगा बल्कि कितने परिवारों का आजीविका समाप्त हो जाएगा ।
सरकार ने 2 साल पहले नीलामी की है जिसमे आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एन्ड इंडस्ट्रीज लिमिटेड की बोली में जमीन 50 साल के लिए पत्ते पर दी जा रही है । जंगल मे 62.64 हैक्टेयर क्षेत्र हीरा निकालने के लिए चिन्हित किया गया है जहां पर खदान बनेगा ।
बिड़ला समूह ने 382.131 हैक्टेयर जंगल मांगा था ताकि 205 हैक्टेयर जमीन में मलवा डंप किया जा सके । इस काम मे कंपनी 2500करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है ।
वर्तमान में पर्यावरण मंत्रालय की ओर से गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति के सामने सुनवाई चल रही है । एक अनुमान है कि 2022 तक खनन का कार्य शुरु हो जाएगा ।
इस हरे भरे जंगल को बचाने के लिए सामजिक कार्यकर्ता , पर्यावरण प्रेमी, सभी आगे आ रहे है लोग विरोध में आवाज उठा रहे है । यह आवाज कितना दबाव का निर्माण करता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन फिलहाल सब एकजुट हो रहे है ताकि इसे रोका जा सके
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