DMF का गठन
12 जनवरी 2015 : खान एवं खनिज ( विकास और विनिमय
) अधिनियम 1957 में संशोधन द्वारा धारा 9 (ब) में डीएमएफ के गठन की अधिसूचना
16 दिसम्बर 2015 प्रधानमत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY) की केंद्र सरकार द्वारा शुरुआत, जिसका उद्देश्य खनन प्रभावित लोगों व क्षेत्र के कल्याण के लिए DMF निधि के उपयोग पर दिशा- निर्देश देना है |
22 दिसम्बर 2015 (PMKKKY) को अपनाते हुए हुए
छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम 2015 लागू 27 जिलों में
DMF का गठन किया |
DMF एक
गैर – सरकारी ट्रस्ट है, जिसका प्रबंधन शासी निकाय परिषद् ( गर्वनिंग कौंसिल ) और
प्रबंधकारिणी समिति द्वारा होता है, और दोनों ही समिति के अध्यक्ष जिले के कलेक्टर
होते है | जहा शासी परिषद् ट्रस्ट के क्रियाकलापों के लिए रीति तय करती है,प्रदेश में 27 जिलों में DMF ट्रस्ट गठित हुआ है, परन्तु कोंडागांव, सुकुमा और नारायणपुर जिले में ट्रस्ट शुरू नही हुआ है,
जिले में खनन करने वाली कम्पनी को चाहे निजी क्षेत्र की हो या सार्वजनिक, सीधे DMF ट्रस्ट के खाते में टी रायल्टी का 10% या 30% जमा करना होगा
DMF का उद्देश्य - जिन योजनाओं के लिए प्राथमिकता से
फंड उपलब्ध कराना है उसमे प्रमुख है खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास व् कल्याण
योजनाएं, खनन के दौरान व् पश्चात पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम करना,
लोगों के स्वास्थ्य व् सामाजिक आर्थिक स्थिति में सुधार और प्रभावित लोगों के लिए
दीर्घावधि की टिकाऊ आजीविका सुनिश्चित करना |
किन क्षेत्र के लोगों के लिए है यह योजना
प्रत्यक्ष
प्रभावित क्षेत्र
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अप्रत्यक्ष
प्रभावित क्षेत्र
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इसे क्षेत्र जहाँ उत्खनन, खुदाई, विस्फोटन, प्रसंस्करण एवं अपशिष्ट
निपटान आदि जैसे प्रत्य्स्कः खनन से अम्बन्धित सञ्चालन होता है |
यह किसी गाँव, झा खदान चलाती हो, उसकी पंचायत, ब्लाक या जिले तक हो
सकता है |
इसे गाँव जहां खनन प्रभावित परिवारों को बसाया गया हो
इसे गाँव जो अपने परम्परागत अधिकारों व उपभोग ( जैसे चारे, लघु
वनोपज आदि ) जी जरूरतों को पूरा करने के लिए खनन क्षेत्र पर निर्भर हो |
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जहां सम्बंधित संचालनो के कारण आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय
दुष्परिणाम पड़ते हो तथा जिसकी वजह से पानी, मिटटी और वायु गुणवत्ता में गिरावट
होती हो, ह्रास हो सकता है, भू- जल स्तर में कमी प्रदुषण भीड़ और खनिज परिवहन से
अधो संरचना पर दबाव शामिल है
|
प्रत्यक्ष
प्रभावित लोग / समुदाय
|
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प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले प्रभावित और विस्थापित परिवार और
सम्बंधित ग्राम सभाओं द्वारा सम्यक रूप से चिन्हित परिवार | इसे व्यक्ति जिनके,
खनन की जा रही भूमि पर वैधानिक, व्यवसायिक पारम्परिक व उपभोग अधिकार हो |
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DMF को कैसे कार्य करना चाहिए
DMF की निधि को बेहतर तरीके से खर्च किया जाना चाहिए इसके नियम और
सञ्चालन का तरीका इसे बनाया गया है की DMF बहुत हद तक आत्मनिर्भर तौर पर कार्य करे
| साथ ही इससे प्रभावित समुदायों के जीवन में गुणात्मक बदलाव आए, न कि यह सिर्फ
लोक लुभावन योजना बनाकर रह जाए | DMF के कार्यों की मानिटरिंग की जिम्मेदारी
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जिला स्तर पर गठित दिशा समिति ( जिला विकास समन्वय
और अनुस्रावन समिति ) को दी गई है |
यह भी स्पष्ट है की क्रियान्वयन के लिए कार्य बल
को अनुबंध के तहत रखा जाए न की स्थाई रोजगार के रूप में | क्रियान्वयन के समय
एजेंसियों / हितग्राहियों को फंड का हस्तांतरण सीधा बैंक खातों में किया जाएगा |
प्रत्येक DMF अपनी बेवसाइड संचालित करेगा और अपने हितग्राहियों, संगृहीत कोष बैठकों
के विवरण, कार्यवाही रिपोर्ट, वार्षिक कार्य योजना जारी परियोजनाओं की स्थिति आदि
से सम्बंधित सभी विवरणों को सार्वजनिक करेगा | DMF के खातों का प्रत्येक वर्ष आदिट
कर वार्षिक रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा | वित्त वर्ष की समाप्ति के तीन महीनो के
भात्र DMF अपनी वार्षिक रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसे विधानसभा में प्रस्तुत किया
जाना चाहिए तथा इसकी बेवसाइड पर जगह मिलनी चाहिए |
योजना के तहत उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में
60 फीसदी और अन्य प्राथमिक क्षेत्रों में
40 फीसदी निधि खर्च की जाएगी | इसका ब्योरा इस प्रकार है –
उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र
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अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्र
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पेयजल आपूर्ति , स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता व् शिक्षा
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भौतिक अधोसंरचना
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पर्यावरण संरक्षण व प्रदुषण नियंत्रण उपाय
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सिचाई
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कृषि व सम्बद्ध कार्य
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ऊर्जा एवं जल विभाजक विकास
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महिला एवं बाल कल्याण व् वृद्धजन एवं निशक्तजनो का कल्याण
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राज्य सरकार द्वारा निर्देशित अन्य अधोसंरचना के कार्य
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कौशल विकास एवं रोजगार और जन कल्याण की कोई भी योजना
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साभार - आक्सफैम रायपुर
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