Monday, 30 May 2022

क्या जंगल बचेंगे या सब खत्म हो जाएगा एक दिन

मैं बचपन से अविभाजित सरगुजा जिले में रहा हूँ , जो अब बलरामपुर जिला अंतर्गत आता है। सुदूर गांवों में रहा जंगलों के बीच, जब बड़ा हुआ तो हाईस्कूल की पढ़ाई करने गांव से शहर आया । जो सरगुजा जिले का जिला मुख्यालय है । 
गांवों में जब थे तब चारो तरफ घना जंगल हुआ करता था दो तरफ पहाड़ हुआ करता था अब क्या स्थिति है पता नही लेकिन पहले से पेड़ों की संख्या में भारी कमी आई है । 
जब अम्बिकापुर शहर में आए थे उस समय वहां का वातारवरण एकदम ठंडा हुआ करता था । गर्मी के दिनों में भी सिर्फ पंखे की जरूरत होती थी । लेकिन धीरे- धीरे मौसम परिवर्तन होने लगा । तब आसपास के लोग चर्चा करने लगे कि देखा पेड़ों की कटाई से ये गर्मी बढ़ रही है । ये चर्चा आज से 40 साल पूर्व होता था । ये चर्चा वे लोग करते थे जो पर्यावरणविद नही थे । लेकिन उनके अनुभव बहुत थे वे जानते थे मौसम का परिवर्तन कैसे होता है? क्यों होता है ? 
धीरे- धीरे खदानों की संख्या में बढ़ोतरी होती गई पेड़ कटते गए जंगल समाप्त होते गए । जिन इलाकों में खदानों खुली वहां का जंगल तो गया ही गया साथ ही कोयले की राख ने पूरे क्षेत्र को अपनी आगोस में ले लिया शाम होते ही कोयले की धुंवे बादल बन ढंक लेते, उस क्षेत्र के निवासी उसी प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर थे जिसके कारण उन्हें बहुत सी भयंकर बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है । 
जिस तरह से विकास का नाम लेकर कांक्रीट का जाल, पक्की सड़कों का जाल, माइंस का जाल, उद्योगों का जाल विछाया जा रहा है और इन्हें बिछाने के लिए जंगलों को नष्ट किया जा रहा है । पेड़ों की बलि चढ़ाई जा रही है उससे तो साफ - साथ दिख रहा है कि वो दिन दूर नही जब आने वाले कुछ ही सालों में वन व जंगल एक सपना होगा । बच्चे सिर्फ किताबों में पढ़ेंगे व फ़ोटो देखेंगे कहानियां सुनेंगे । घरों में लगे गमलों के पौधों को ही वे जंगल समझेंगे । 
उद्योगों को चलाने के लिए कोयला चाहिए वो कोयला जमीन के अंदर ही मिलेगा । उसमे भी ज्यादातर जंगलों की जमीन में ही मिलेगा । आज नही तो कल जमीन के भीतर का सारा कोयला शासन निकालेगी ही और कोयला निकालने के लिए जंगल काटेंगे ही । * तो क्या जंगल अब नही बचेंगे ? 
जंगल ही क्या नदियां, तालाब, जीव-जंतु, कुछ भी नही बचेंगे ? 
शासन पौधे तो लगाती है लेकिन कहां ? यह भी सोचना होगा और जो पौधे लगाती है वो मनुष्यों व जीव जंतुओं के लिए कितना उपयोगी है ? उसमे से कितना जीवित है ? कितना नही  ? कितने कागजों में लगे हैं ? कितना हकीकत में ? यह भी सोचना होगा । 
#saveforest,savelife 

सुबह - सुबह भारी पुलिस बल की मौजूदगी में हसदेव अभ्यारण के घाटबर्रा जंगल में काटे गए 232 हरे भरे पेड़

हसदेव अभ्यारण -( सरगुजा- घाटबर्रा ) छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिला अंतर्गत उदयपुर विकासखंड के ग्राम घाट्बर्रा के जंगल में शासन द्वारा भारी पुलिस बल की तैनाती कर 232 पेड़ सुबह 9 बजे तक काट दिए गए | स्थानीय ग्रामीणों के भारी विरोध के बाद जब माहौल तनावपूर्ण हो गया तब 9 बजे कटाई बंद की गई | यह घटना आज सुबह की है जबकि इस जंगल को बचाने के लिए सरगुजा जिले से लेकर राज्य व् देश के अलग -अलग स्थानों पर लगातार विरोध चल रहा है | बावजूद इसके शासन जंगल को काटने पर आमदा है | 
 इसके पीछे की कहानी यह है कि सरगुजा जिले में अडानी समूह और राजस्थान राज्य विद्युत् उत्पादन निगम लिमिटेड (आरवीयुएनएल) को हसदेव अभ्यारण अंतर्गत परसा कोल ब्लाक परसा इष्ट में कोयला निकालने की अनुमति केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दी गई है साथ केते बासन कोल ब्लाक का विस्तार करने हेतु भी अनुमति प्रदान की गई है| इस अनुमति से अभ्यारण क्षेत्र से सरकारी आंकड़ों के अनुसार 95 हजार पेड़ों की कटाई होनी बताई जा रही है | जबकि स्थानीय लोगों का अनुमान है की 4.50 लाख से ज्यादा पेड़ों की कटाई की जाएगी |
स्थानीय समुदाय पिछले 10 वर्षों से इस आदेश का विरोध कर रहे है तथा क्षेत्र के जंगल को बचाने का प्रयास कर रहे है | पुरे देश में सर्वाधिक कोयला उत्पादन करने वाला राज्य छत्तीसगढ़ है यहाँ 5990.78 करोड़ टन कोयला का भण्डार है | यह देश में उपलब्ध कुल कोयला भण्डार का करीब 18.34 फीसदी है |छत्तीसगढ़ में कुल 12 कोयला प्रक्षेत्र के 184 कोयला खदानों में से सबसे अधिक 90 कोल ब्लाक मांड- रायगढ़ में और 23 कोल ब्लाक हसदेव अरण्य के जंगलों में है| 1,70,000 हेक्टेयर में फैले हसदेव अरण्य के जंगल जैव- विविधता की दृष्टि से भी सबसे संवेदनशील माना जाता है | 
यहाँ जंगली जानवरों का आवास तो है हाथियों का भी नियमित आवागमन इस क्षेत्र में रहता है | वनोषधियों से सम्पन्न यह अभ्यारण अपनी व प्राकृतिक विविधता के लिए भी जाना जाता है | यह क्षेत्र " नो-गो" एरिया में भी आता है |बावजूद इसके सभी नियमों को ताख पर रखकर केंद्र व राज्य शासन ने कोयला निकालने की अनुमति दी | सरगुजा जिला पहले से ही कई खदानों के खुलने से अपनी प्राकृतिक सुन्दरता, पर्यावरणीय गुणों व अपनी जैव -विविधता को खोता चला जा रहा है | अब अगर खादनाओं को खुलने से न रोका गया और जंगलों को न बचाया गया तो वो दिन दूर नही जब यहाँ गर्मी बिकराल रूप में पैर पसार चुकी होगी और लोग अपनी जिन्दगी से हाथ धो बैठे होंगे | सरकार की नजर तो एक के बाद एक क्षेत्र से प्रकृति के दोहन की हमेशा रहेगी अभी हसदेव क्षेत्र है दुसरे तरफ सूरजपुर जिले में कोल ब्लाक खुलने जा रहा है | अगर अभी नहीं रोका गया तो धीरे -धीरे पूरा जंगल साफ़ हो जाएगा | सरगुजा जिला जब अविभाजित हुआ करता था जिसमे कोरिया भी शामिल रहा अब कई जिलों में विभक्त हो गया | जिसे अब सरगुजा संभाग के रूप में जाना जाता है | यह पूरा क्षेत्र कोयला के लिए जाना जाता है कोरिया व सूरजपुर में कोयले की कई खदाने है जो वर्षों से संचालित है |खादान चाहे कोई भी हो खदानों के खुलने से उस क्षेत्र का तो सत्यानाश हो जाता है | हमने अपने जीवन में मैनपाट की हरियाली, जैव विविधता को भी देखा व् खदान खुलने के बाद सब नष्ट होते भी देखा | सरगुजा जिले में खुले खदानों के क्षेत्र से विस्थापन को भी देखा और भारी मात्रा में प्रदुषण को भी देखा प्रदुषण से होने वाली बीमारियों को भी | हम जब हाई स्कुल में रहते थे उस समय अम्बिकापुर का तापमान इतना होता था की गर्मी के दिनों में भी एक पंखा का हवा पर्याप्त था गावों में तो इस पंखे की भी जरूरत नही थी लेकिन चारों तरफ खदानों के खुलने से और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई तथा जंगलों के विनाश ने मौसम में एसा परिवर्तन लाया की अब बिना कूलर व एसी के नही रह सकते | मौसम में भी परिवर्तन हुआ पिछले कई वर्षों से अनियमित वर्षा हो रही है | अब कोई नही बता सकता की ठण्ड कब, पड़ेगी, गर्मी का मौसम कब शुरू होगा, पहले गाँव के लोग आसानी से बता देते थे | जीव जन्तुओं की बात करें तो खदानों के खुलने व पेड़ों की कटाई से जो वन क्षेत्र धीरे -धीरे नष्ट होते जा रहे है जिससे अब जंगलों में रहने वाले जीव- जन्तु , पशु पक्षी समाप्त होते जा रहे है | पिछले कई वर्षों से तो हाथियों ने गाँवों व शहरों की ओर अपना रुख कर लिया है | इसके पीछे उनके भीतर असुरक्षा है आए दिन खदानों में विस्फोटो व मनुष्यों व गाड़ियों के आवागमन व् शोर गुल के कारण व अपने आपको सुरक्षित करने के लिए इधर उधर भाग रहे है जिससे व गाँवों व् शहरों में आ जाते है | जंगलों के अनादर उनके खाने पीने की चीजों में भी भारी कमी हुई है | पीने के पानी के जो स्रोत थे वे जंगलों के कटने से समाप्त होते जा रहे है | अब पानी के स्रोत के रूप में बड़ी नदिया बची है लेकिन अब नदियों में भी उद्योगों का दखल होने से जीव- जन्तुओं के लिए सुरक्षित नही रहा | ऐसे में जीव - जन्तु अपने लिए सुरक्षित स्थान की तलाश में भटक रहे है |

Thursday, 19 May 2022

गोधन न्याय योजना हेतु राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण सम्पन्न

प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण का दूसरा दिन कार्यशाला के समापन अवसर पर कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे जी, गौसेवा आयोग के अध्यक्ष श्री महंत रामसुंदर दास जी, एपीसीएस व सचिव कृषि श्री कमलप्रीत सिंह मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा, पीसीमिश्रा जी समेत कृषि विभाग के अन्य अधिकारी गण था प्रतिभागीगण उपस्थित रहे ।

Tuesday, 17 May 2022

शासन की कल्याणकारी योजनाओं का सभी को मिले - आस्था समिति



आस्था समिति, द्वारा क्रियान्वित लक्ष्यगत हस्तक्षेप परियोजना द्वारा दिनांक 14 मई 2022 को कार्यालय में पियर एजुकेटर्स की साप्ताहिक बैठक आयोजित किया गया। जिसमें विशेष रूप से श्री के. आर. वर्मा अध्यक्ष ग्रामोदय केंद्र कवर्धा एवं  श्री दौलत राम कश्यप  परियोजना संचालक एवं अध्यक्ष आस्था समिति, कवर्धा की उपस्थिति रही। बैठक में पियर एजुकेटर्स को प्रेरित एवं उत्साहवर्धन करते हुए श्री के0 आर0 वर्मा ने कहा कि उच्च जोखिम समुदाय में HIV/एड्स की जागरूकता एवं रोकथाम के लिए बहुत ही सराहनीय प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि HIV/एड्स के फैलने एवं बचाव के क्षेत्र में चिन्हांकित समुदाय स्वास्थ्य सेवाओं से दूर होते हैं। उन्हें समाज भी उपेक्षित रखते हैं। इसलिए हमें समझना होगा कि समाज में सभी वर्गों को अवसर देते हुए उन्हें भी स्वास्थ्य सेवाएं एवं अन्य जरुरी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम से जोड़ना होगा। समुदाय के महत्व एवं सामाजिक जुड़ाव के इतिहास को बताते हुए आज के परिवेश पर कार्य करने की रणनीति एवं नियोजन के बारे में विस्तार से जानकारी दिया। बैठक में उपस्थित  श्री दौलत राम कश्यप ने कहा HIV/AIDS की जानकारी ही बचाव है। आस्था समिति स्वास्थ्य सेवाएं एवं जागरूकता विगत 12 वर्ष से कवर्धा, स0 लोहारा एवं गंडई क्षेत्रों में सफलता से कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि
पीयर एजुकेटर्स के माध्यम से समुदाय के लोगों को राशनकार्ड, वोटर आईडी, आधार कार्ड, श्रम कार्ड, स्मार्ट कार्ड , बैक खाता एवं आवास योजना से जोड़ने प्रयास किया जा रहा है। संस्था के प्रयास से अबतक 27 हितग्रहियों का राशनकार्ड बनवाया गया है। आगे  10 परिवारों का राशनकार्ड हेतू आवेदन कराया गया है। बैठक में राजेश कुमार गोयल कार्यक्रम प्रबंधक, मनीषा जांगड़े काउन्सलर, शहजादी खान, शारदा साहू, रानी टंडन, शाहिना   आउटरीच कार्यकर्ता एवं पियर एजुकेटर्स उपस्थित थे।

रुड़की व हरिद्वार जिले में अलग-अलग संस्थाओं में सोशल मिडिया व ई तकनीक से संस्थागत विकास पर प्रशिक्षण सम्पन्न

देवभूमि उत्तराखंड में अपने प्रवास के दौरान विलेज डेवेलपमेंट सोसाइटी भगवानपुर रुड़की जिला हरिद्वार के श्री राज बहादुर सैनी जी के अनुरोध पर 2 दिन व आदर्श युवा समिति हरिद्वार में 1 दिवसीय प्रशिक्षण उनके कार्यकर्ताओं को Importance of E-Technology & Social media in Organisation development विषय पर निशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया । जिसमे संस्था के परियोजना के निर्माण, सफलताओं की कहानियों का संकलन, फोटोज व वीडियो के दस्तावेजीकरण व कार्यों का व्यापक प्रचार पर विस्तार से चर्चा की गई । आज की वर्तमान मांग, नई तकनीक, सस्ता सुगम साधन, फंड रेजिंग आदि पर भी चर्चा किया गया । इस दौरान सैनी जी के साथ उत्तराखंड की समस्याओं व स्वैच्छिक संस्थाओं के लिए संभावनाओं पर चर्चा हुई । 

भाटापारा में चिराग द्वारा सामुदायिक गतिशीलता कार्यक्रम आयोजित

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नई दिल्ली एवं  छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति रायपुर के सहयोग से  चिराग सोशल वेलफेयर सोसायटी अम्बिकापुर द...