देश
का हर नागरिक एक उपभोक्ता है यह सब जानते है उपभोक्ताओं का शोषण भी बहुत होता है
और वे चुपचाप रहते है कुछ कर नही पाते यही स्थिति को देखते हुए | उपभोक्ताओं को
शोषण से बचाने उन्हें न्याय दिलाने हेतु शासन ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनयम सबसे
पहले 1986 में बनाया जिसके तहत जिले राज्य व केन्द्रीय स्तर पर जिला उपभोक्ता
फोरम, राज्य उपभोक्ता आयोग व केन्द्रीय उपभोक्ता अथारिटी के माध्यम से लोगों को
उनके हित के लिए न्याय दिलाने की व्यवस्था बनाई गई थी जिसके माध्यम से लोग अपने
अधिकारों के लिए आवाज उठाकर न्याय ले पा रहे थे | लेकिन जैसा की सभी जानते है
न्याय पाना इतना आसान नही होता आज भी लोग पुरी प्रक्रियाओं को नही समझते या यूँ
कहे कि उपभोक्ता अधिनियम के सम्बन्ध में जितनी जागरूकता होनी चाहिए थी उतनी
जागरूकता नही थी और जो जागरूकता थे वे भी कठिन व समय लेने वाली प्रक्रियाओं के
चलते उसका लाभ लेने से बचते रहे जिसका फायदा व्यापारी वर्ग हमेशा उठाता आया और आज
भी उठा रहे है |
नई
उपभोक्ता संरक्षण कानून के आने से सवाल बहुत सारे उठ रहे है स्वाभाविक है सवाल उठना
क्या नया कानून सही समय पर न्याय दिला पाएगा ? क्या आम आदमी भी आसानी से न्याय पा
सकेगा ? क्या लोग नए कानून को जान सकेंगे इसका लाभ ले सकेंगे आदि बहुत से सवाल मन
में उठ रहे है इसी परिपेक्ष्य में हम इसे संक्षेप में समझाने का प्रयास करते है ?
नई
तकनीकों के आने से खासकर जब ई कामर्स बाजार में आया और धीरे धीरे करके एक बड़ा
बाजार बन कर उभरा तब उपभोक्ता कानून में संसोधन की आवश्यकता महसूस होने लगी | वही
दुसरी ओर मिलावटखोरी धोखाधड़ी के कारण भी कानून को सख्त करना व उपभोक्ताओं के लिए
सरल करना जरुरी समझा जाने लगा ताकि उपभोक्ता न्याय के लिए भटकता न रहे |
नई
उपभोक्ता संरक्षण कानून का उद्देश्य – उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा, अनुचित
व्यापारिक गतिविधियाँ, भ्रामक विज्ञापनों और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लघन को
देखेंगे |
नई
उपभोक्ता कानून की कुछ विशेष बातें जो इस प्रकार है
नई
उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 बनाया गया जिसे 20 जुलाई 2020 को लागू किया गया, अभी
इस कानून को लेकर ज्यादा जागरूकता नही हो पाई है क्योकि कोरोना महामारी के समय में
इसे लागू किया गया है और इस समय सारा देश कोरोना संक्रमण से निपटने में लगा हुआ है
| कोरोना महामारी के दौरान ही बहुत सारी शिकायते आ रही है व्यापारियों के मनमाने
कीमत वसूलने के इन सबके बीच इस कानून का आना उभोक्ताओं के लिए राहत है ऐसा
विशेषज्ञ सब मान रहे है : –
इस
कानून से उपभोक्ता कि शिकायत का त्वरित निवारण होगा,
आनलाइन
कारोबारी अब उभोक्ताओं के हित की अनदेखी नही कर सकेंगे |
भ्रामक
विज्ञापन पर सख्त कार्यवाही हो सकेगा,
भ्रमित
करने वाले विज्ञापन और सेलेब्रेटी इंडोर्सस पर भी सरकार रोक लगाएगी
भ्रामक
विज्ञापन पर धारा 2 (28) के तहत 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है
किसी
भी उपभोक्ता अदालत में मामला दर्ज किया जा सकेगा,
विवादों
का निपटारा तत्काल प्रभाव से किया जा सकेगा इसके निपटारे के लिए मध्यस्तता की बात
भी गई है |
उपभोक्ता
अदालत के साथ – साथ केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के गठन का
प्रावधान रखा गया है |
जिला
कंज्यूमर फोरम / जिला कमीशन में 1 करोड़ रुपए तक के प्रकरण दाखिल होंगे
राज्य
आयोग में 1 करोड़ से 10 करोड़ रुपए तक के प्रकरण दाखिल हो सकेंगे और
10
करोड़ से उपर के सभी प्रकरण केन्द्रीय प्राधिकरण में दाखिल हो सकेंगे
संजय
शर्मा
निदेशक
अनमोल
फाउंडेशन
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