Thursday, 30 June 2022

सासाकावा इंडिया द्वारा उद्यमिता का प्रशिक्षण

सासाकावा इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन नई द्वारा *उद्यमिता विकास प्रशिक्षण* विषय पर दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन होटल शुभ रायपुर में किया गया।
 उक्त प्रशिक्षण में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में अनमोल फाउंडेशन के निदेशक श्री संजय शर्मा जी ने प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया । सासाकावा इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन कुष्ट पीड़ितों व उनके परिवार के सदस्यों को समाज मे सम्मान के साथ जीवन जीने हेतु स्वरोजगार, बच्चों को शिक्षा हेतु फेलोशिप व पीड़ितों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर मदद करने का कार्य करती है 
कार्यक्रम में जांजगीर चाम्पा, रायपुर व दुर्ग जिले लेप्रोसी कालोनी के निवासियों ने भाग लिया । 

Thursday, 23 June 2022

संघर्ष, चुनौती व संभावनाओं के बीच स्वैच्छिक संस्थाएं मानवता के लिए हमेशा खडी

संक्षिप्त परिचय – स्वैच्छिक संस्था व्यक्तियों का एक समूह होता है जो अपने व्यक्तिगत हितों से उपर उठाकर दूसरों के लिए समाज के लिए कार्य करते है | भारतीय संस्कृति में धर्म,नैतिकता,परोपकार में विस्वास करने वाली भावनाएं शुरू से ही रही हैं | कौटिल्य ने कहा था प्रत्येक सभी समाज के नागरिको व् वहा के राजा को वृद्ध, निशक्तजन, रागी बच्चे तथा महिलाओं के प्रति सहयोग तथा सहानुभूति की भावना रखनी चाहिए |
 स्वैच्छिक संस्थाएं प्रजातंत्र की जान है और ये लचीला होती है ये अपने अंदर लोगों को उपर लाने की भावना रखता है | किताबों से पता चलता है की मानव कल्याण सदियों से चला आ रहा है इसके प्रमाण उपलब्ध भी है | जरुरतमन्द की मदद करना एक परम्परा रही है | पूर्वज भी अपाहिजों, असाध्य रोगियों की सेवा करना पुन्य समझते थे | भूकम्प, बाढ़ ,अग्निकांड, युद्ध, अकाल, महामारी, आपदा, तूफ़ान आदि से प्रभावितों की मदद मानवता की भावना से मिलकर किया जाता रहा है पहले राजा, धनी व्यक्ति व जमीदार जन कल्याण व परोपकार का कार्य करते थे प्राचीन कुवें, तालाब, धरोहर, फलदार वृक्ष, आराम गृह इसके प्रमाण के रूप में देखने को मिलते है | बाद में तीर्थ स्थल व अन्य आवश्यक स्थाओं पर मानव कल्याण के लिए स्वैच्छिक संस्थाएं कार्य करना शुरू किया | सन 1600 में इष्ट इंडिया कम्पनी के माध्यम से भारत ब्रिटिश सत्ता का प्रवेष हुआ | यूरोप के पुनर्जागरण काल विज्ञान का विकास तथा भारत में अंग्रेजी शिक्षा के प्रसार के लिए साथ ही सम्पूर्ण सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक परिदृश्य बदलने लगे | सन 1858 में मद्रास (वर्तमान चेन्नई ) में स्थापित Friends in society नामक स्वैच्छिक संगठन को भारत के स्वैच्छिक संगठनों के इतिहास में प्रारम्भिक प्रयास मना जा सकता है ( साभार-डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.एमपीजीकेपीडीएफ.काम) आज भी लोग जरुरतमन्द की मदद करना अपना मानवता धर्म मानते है और गर्मियों में प्याऊ, वृक्षारोपण व साफ़ सफाई के माध्यम से सेवा करते रहते है | वर्तमान समय में स्वैच्छिक संस्थाओं का दायरा बड़ा है कई बहुत सारे क्षेत्रों में स्वैच्छिक संस्थाए कार्य कर रही है | सबसे पहले यह समझना जरुरी है की स्वैच्छिक संस्थाएं कितने प्रकार की होती है | कानून के दृष्टि से तो स्वैच्छिक संस्थाएं सोसाइटी, समिति, ट्रस्ट, कम्पनी एक्ट, सी एस आर, के माध्यम से होती है | लेकिन कार्य करने के तरीके से स्वैच्छिक संस्था गाधीवादी विचारधारा से प्रेरित संस्थाएं,रचनात्मक कार्य करने वाली संस्था, एक्टिविस्ट के रूप में कार्यरत संस्थाए, क्षमता विकास के लिए कार्यरत संस्थाए होती है लेकिन स्कुल, कालेज, अस्पताल, क्लब आदि भी इसी के दायरे में आते है | संस्थाओं के लिए कानून – स्वैच्छिक संस्थाओं का पंजीयन सोसाइटी एक्ट, ट्रस्ट एक्ट, व अक्म्प्नी एक्ट के तहत किया जाता है | इसके अलावा स्वैच्छिक संस्थाओं को इनकम टैक्स के तहत 12-A, 80 G का पंजीयन होता जिससे इनकम टैक्स में छुट मिलती है | विदेशी अनुदान लेने के लिए FCRA के अंतर्गत पंजीयन करना पड़ता है तथा अब नए नियम में CSR से अनुदान लेने के लिए CSR के तहत पंजीयन आवश्यक है | दानदाता व संस्थाएं – स्वच्छिक कार्यों के लिए तो देश में हर कोई मदद करटा है इसी प्रथा रही है | लेकिन अब पंजीकृत स्वैच्छिक संस्थाओं की केंद्र व् राज्य शासन की बहुत योजनाओं से वित्तीय सहयोग मिलता है इसके अलावा विदेशी दानदाता संस्थाएं भी परियोजनाओं के माध्यम से मदद करती है | CSR के तहत भी स्वैच्छिक संस्थाओं को वित्तीय सहायता प्राप्त होती है | इसके अलावा स्थानीय समुदाय के लोग भी स्वैच्छिक प्रयासों में मदद करते है | शहरी क्षेत्रों में कार्य करने वाली संस्थाएं में अधिकाँश संस्थाएं तो अक्सर लोगो के मदद से ही भोजन, दवाई, प्याऊ, साफ़ –सफाई आदि का कार्य करती है | संस्थाओं के काम करने का तरीका – स्वैच्छिक संस्थाओं का जन्म ही किसी न किसी समस्याओं के निरकरण के लिए होता है | कुछ संस्थाएं विषय विशेष के रूप में कार्य करती है तो कुछ संस्थाएं एकीकृत मुद्दों पर कार्य करती है लेकिन सभी स्वैच्छिक प्रयासों के कार्य करने का तरीका सहभगिता पर आधारित होता है | जिनके लिए कार्य करती है उनके साथ बैठकर योजना बनाते है और उनके साथ मिलकर ही उसका क्रियान्वयन करते है | संस्थाएं किनके लिए कार्य करती है – स्वैच्छिक संस्थाएं हमेशा जरुरतमन्द व गरीब समुदायों के लिए कार्य करती है बहुत सी संस्थाएं सुदूर क्षेत्रों में पहुचविहीन व दुर्गम क्षेत्रों में कार्य करती है | इसके अलावा महामारी, आपदा आदि के बढ चढ़ कर कार्य करती है ताकि आकस्मिक समस्या से तत्काल निपटने आसानी हो प्रभावित लोगों को तत्काल राहत मिले | बच्चे, बुजुर्ग, दिव्यांग, महिला तो प्राथमिकता में रहती ही है लेकिन अब स्वैच्छिक संस्थाएं कृषि, वन, पर्यावरण, जैव विविधता, शिक्षा, स्वास्थ्य,आदि लभग सभी मुद्दों पर कार्य कर रही है | संस्थाएं व आन्दोलन – स्वैच्छिक संस्थाएं व आंदोलनों का भी पुराना इतिहास है | गाधी जी ने असहयोग आन्दोलन किया तो विनोवा जी ने भूदान आन्दोलन, जेपी का सम्पूर्ण क्रान्ति आन्दोलन तो मेघा पाटकर का नर्मदा बचाओं आन्दोलन, अन्ना हजारे का लोकपाल आन्दोलन | इन आंदोलनों की एक खूबी यह रही की इन्हें जनता का भरपूर समर्थन मिला | यही से स्वैच्छिक संस्थाओं का राजनितिक दलों से द्वंद शुरू होता है | और हर आन्दोलन के बाद स्वैच्छिक प्रयासों को दबाने के लिए हमेशा नए नए कानूनों को थोपा गया | जिससे स्वैच्छिक प्रयासों को सँभालने में समय लगता है लेकिन बावजूद इसके सभी खड़े रहते है | संस्थाएं व मीडिया – मीडिया मुद्दों को लेकर हमेशा साथ दिखाई देती है लेकिब जब जब सरकार कानून की लगाम लगाती है तो मीडिया भी स्वैच्छिक संस्थाओं का साथ छोड़ देती है और संस्थाएं अकेले ही लड़ाई लडती है | बहुत समय मीडिया स्वैच्छिक संस्थाओं को हतोत्साहित करने का कार्य भी करती है | संस्थान व् लोग – स्वैच्छिक संस्थाओं को लोग अच्छे नजर से नहीं देखते इसके पीछे कई कारण हो सकते जिनमे सबसे प्रमुख है शोषण व अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाते रहना | लेकिन बड़ी बड़ी स्वैच्छिक संस्थाओं को लोग खुलकर मदद करते देखे जाते है | इससे लगता है की स्वैच्छिक संस्थाओं की साख लोगों के बीच अच्छी है | आपदा व महामारी के समय लोग खुलकर स्वैच्छिक संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य करते है | समाज सेवा की शिक्षा – पिछले कुछ दशक से शिक्षा में विशेषज्ञता के रूप में मास्त आफ सोशल वर्क (MSW) शुरू किया गया इससे युवा पढ़ाई कर समाज सेवा के क्षेत्र में रोजगार के उद्देश्य से आने लगे | इसके पूर्व लोग शौक से समाज सेवा करने के लिए आते थे | वर्तमान सन्दर्भ ( जमीनी स्तर पर कार्यरत संस्थाओं के सन्दर्भ में ) – हम वर्तमान समय की बात करें तो इस समय जो जमीनी स्तर पर कार्य करने वाली स्वैच्छिक संस्थाएं उनके समक्ष काफी सारी चुनौतियां है | सबसे पहले तो यह जान ले की जमीनी स्तर पर कार्य करने वाली संस्थाएं कार्य करने में ज्यादा विस्वास करती है | जमीनी स्तर की कभी पेशेवर (Professional) सेवा के रूप में कार्य नही बाकि वे मानवता के हिसाब से दिल से कार्य करती है | इसलिए जरूरत के हिसाब से काम जितना में चल जाए उतना ही तैयारी करती है और काम करती रहती है | लेकिन जब कोई कानून नया आता है तो उससे निपटने में उसका संमाधान करने में परेशान हो जाती है | उसकी जानकारी एकत्र करना उसकी जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी भाषी जगह में तो हिंदी और अंगरेजी के कारण बहुत सारी समस्याए आती है | केंद्र से जो भी कानून बनते है है वो अंगरेजी में ज्यादातर होते है | यहाँ लोग हिंदी जानते है जिसके कारण इंग्लिश जानने वालो के उपर निर्भरता बढ़ जाती है | परियोजना बनाने से लेकर रिपोर्ट लिखने तक में गुणवता की कमी देखि जाती है | प्रबंधन क्षमता की कमी के चलते संस्थान को चलाने के लिए कारपस फंड जैसी व्यवस्था पर नही काम करते और छोटी संस्थाओं को वित्तीय सहयोग देने वाली संस्थाएं भी इस तरह का कुछ मदद नही करती है | जिससे जमीनी स्तर की संस्थाओं को इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में कठिनाई होती है | शासन की परियोजनाओं को लाना इतना आसान नही होता सभी जानते इमानदारी से शासन की परियोजनाओं को ला पाना नामुमकिन है | बहुत सी संस्थाएं शासन के साथ कार्य करती है कैसे करती है ये तो वाही बता सकती है | सीएसआर परियोजनाओं में छोटी संस्थाओं के लिए तो शायद जगह ही नही होती | एक विदेशी दानदाता संस्थाएं FCRA में नए संसोधन से पूर्व राष्ट्रीय स्तर की संस्थाएं विदेशी दाताओं से वित्तीय सहयोग लाती थी जिसे छोटी छोटी संस्थाओं के साथ सहयोग कर कार्य करती थी लेकिन नए संसोधन से यह रास्ता बंद हो गया जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव जमीनी स्तर पर कार्य करने वाली संस्थाओं व् उनके कार्यकर्ताओं पर पड़ा | कार्यकर्ताओं की नौकरी चली गई कोई पूछा भी नही की कितने समाज सेवी बेरोजगार हो गए | उनके काम मिला या नहीं पता करने वाला भी नही | कई छोटी संस्थाएं इसी परियोजनाओं के बंद होने से दुसरे बड़ी संस्थाओं के यहाँ नौकरी करने की नौबत में आ गए | कई संस्थाएं बंद हो गई | उन्हें कोई काम देने वाला नहीं है शासन की योजनाओं से कभी कुछ ट्रेनिंग मिल गया कुछ जागरूकता मिल गया था उसमे मानदेय इतना कम मिलता है की उसका खर्च बहुत मुस्किल से चल पाता है कैसे चलाता है ये तो वाही बता सकता है | इस छोटे से काम के लिए कितना पापड़ बेलना पड़ता है यह व्ही बता सकता है | जमीनी स्तर पर कार्य करने वाली छोटी –छोटी संस्थाओं व् सामाजिक कार्यकर्ताओं का उपयोग तो सभी करते है लेकिन उनकी समस्याओं पर आवाज उठाने में कोई सामने नहीं आता | कोई एसा संगठन भी नही है उनके समस्याओं के लिए आवाज उठाए या यूँ कहें की सामाजिक कार्यकर्ताओं का कोई संगठन ही नही है जो उनकी या उनके परिवार के समस्याओं के लिए खडा हो | समाज सेवा से जुड़े लोगों का भाविष्य – जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता या संस्था प्रमुख भी उनका भविष्य तब तक सही नही है जब तक कि वे अपनी क्षमताओं को बढाते नही है संस्थागत इंफ्रास्ट्रक्चर व आयउपार्जन की गतिविधियाँ संचालित नही करते है राजनितिक दलों का प्रवेश – स्वैछ्चिक संस्थाओं का एक विंग राजनितिक दल स्वंय का तैयार कर रहे है या पूर्व में भी किए हुए है उसके कारण स्वैच्छिक संस्थाओं के सामने के बड़ी चुनौती और खादी हो रही है जो गैर राजनीती से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता लोग है | समाधान – जमीनी स्तर स्तर की संस्थाओं व् सामाजिक कार्यकर्ताओं को समस्याओं से निपटने के लिए तैयारी करनी होगी स्थाई विकास की योजानाएं बनाएं अपनी तकनिकी दक्षता में वृद्धि करें इन्फ्रास्ट्रक्चर पर कार्य करें | लोगों के आय वर्धन के साथ- साथ संस्थागत आय वर्धक गतिविधियाँ भी संचालित करें | अपनी निर्भरता वित्तीय संस्थानों से हटाकर स्वंय संस्थागत आय वृद्धि पर केन्द्रित करें | संजय शर्मा -सामाजिक कार्यकर्ता , ब्लागर, यूट्यूबर, कानून विशेषज्ञ

Monday, 20 June 2022

वर्तमान चुनौतियों पर चर्चा हेतु छत्तीसगढ़ में कार्यरत जमीनी स्तर की स्वैच्छिक संस्थाओं की आनलाइन बैठक सम्पन्न

छत्तीसगढ़ में जमीनी स्तर पर कार्यरत स्वैच्छिक संस्थाओं की ऑनलाइन बैठक * वर्तमान चुनौतियों* के सम्बंध में आयोजित की गई । जिसमें 15 जिलों से 42 स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया । 
पिछले कुछ समय से जमीनी स्तर पर कार्य करने वाली स्वैच्छिक संस्थाएं कई चुनौतियों का सामना कर रही है जिसमे वित्तीय सहायता, नियमों में रोज नए नए संसोधन वर्तमान आदि महत्वपूर्ण मुद्दे हैं । इसके अलावा जमीनी स्तर की संस्थाओं की स्वंय की तैयारी इन सब चुनौतियों से सामना करने की नही है । काफी सारी संस्थाएं मानती है कि बड़ी दानदाता संस्थाओं के जो मापदंड होते परियोजना के संबंध में उस स्तर की न तो प्रोजेक्ट बनाने की क्षमता है और न ही उस स्तर का रिपोर्ट तैयार है । इस स्थिति में फंड लाना बहुत ही मुश्किल है। इन्ही सब बातों पर चर्चा के लिए आज की बैठक आहूत की गई । 
आज की बैठक में हुई चर्चा के बिंदु आपको साझा कर रहा हूँ । जिसमे प्रमुख बातें निम्न है :- 
1- ऑफलाइन बैठक का आयोजन रायपुर में तत्काल किया जाए ।  जिसके लिए जुलाई के प्रथम सप्ताह या द्वतीय सप्ताह में आयोजित किया जाए । इसके पश्चात संभाग व जिले स्तर पर बैठक का आयोजन किया जाए ।
2- दानदाता संस्थाओं के मांग के अनुसार हमारी तैयारी होनी चाहिए जिस पर काम किया जाए चाहे रिपोर्ट की बात हो या प्रोजेक्ट की या अन्य । 
3- संस्थागत कानूनी जानकारी 12 A, 80 G, FCRA के सम्बध में क्षमता वृद्धि की जरूरत इसके लिए  संस्थाओं से चर्चा कर क्षमता वर्धन कार्यशाला का आयोजन किया जाए । 
4- स्वैच्छिक संस्थाओं की आवाज शासन तक पहुचे इसके लिए न्यूज लेटर  कार्यशाला व अन्य माध्यमों का उपयोग किया जाए । 
5- एक कॉमन मुद्दे का चयन किया जाए जिस पर सभी संस्थाएं मिलकर कार्य करें व दानदाताओं को जोड़ने का प्रयास किया जाए । 
 अंत मे निर्णय लिया गया कि जल्द से जल्द ऑफलाइन बैठक कर विस्तार से रणनीति तैयार की जाए । 
जल्द ही ऑफलाइन बैठक कर संस्थाओं के क्षमता वृद्धि पर कार्य करने की रणनीति तैयार करेंगे । 

Thursday, 16 June 2022

अंतराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस का आयोजन सम्पन्न

रायपुर- इंडो ग्लोबल सोशल सर्विस सोसायटी रायपुर द्वारा अंतराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस का आयोजन मायाराम सुरजन भवन रायपुर में किया गया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री अनुल कुजूर सहायक श्रमायुक्त रायपुर विशेष अतिथि नदी घाटी मोर्चा के संयोजक श्री गौतम बंधोपाध्याय, अतिथि श्री आर. एस. राजपूत सीनियर श्रम निरीक्षक, श्री नायक व सुश्री लता श्रम निरीक्षक, साइबर फोरेंसिक एक्सपर्ट सुश्री मोनाली गुहा व सोनाली गुहा तथा अनमोल फाउंडेशन के निदेशक श्री संजय शर्मा जी शामिल हुए । 

कार्यक्रम में घरेलू कामगार महिला संगठन की अध्यक्ष द्वारा संगठन के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि इस कार्यक्रम में 14 बस्ती से घरेलू कामगार महिलाएं आई है । आई जी एस एस एस के श्री परमानन्द जी ने संस्थान के 5 वर्षों में किए गए कार्यो के बारे में ब्यौरा प्रस्तुत किया और बताया कि उनका लक्ष्य है कि यह संगठन रायपुर के प्रत्येक बस्ती में हो और उनका कानूनी रूप से पंजीयन भी कराया जाए इसके लिए पूरी ताकत से प्रयास किया जाएगा । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संजय शर्मा जी ने काम के स्थल पर घर जैसा माहौल का निर्माण हो इसके लिए कानून की उपयोगिता हो । इस बारे में बताया । 
राजपूत जी ने श्रम विभाग में निर्धारित मजदूरी के बारे में जानकारी देते हुए महिलाओं के साथ काम पर अपराध न हो इसके लिए किया एहतियात बरतनी चाहिए उसके बारे में जानकारी दी गई । मुख्य अतिथि ने जन्म से लेकर मृत्य होने तक कि योजनाओं की जानकारी दी और विभाग की ओर से हर सम्भव मदद का आश्वासन दिया । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गौतम जी ने कहा कि हमे आज के दिन को उत्साह के साथ मानना चाहिए । 
मोनाली गुहा ने बैंकों में सोशल मीडिया में  हो रहे साइबर क्राइम से बचाव के उपायों के बारे में बताया । सोनाली जी ने दुकानों में होने वाले गुप्त कैमरों से बचाव व पहचान के लिए कौन साथ एप की मदद ले सकते है उनकी जानकारी दी । कार्यक्रम में 200 से ज्यादा महिलाओं ने भाग लिया। बच्चियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए । कार्यक्रम का सफल संचालन पूजा ने किया । कार्यक्रम को सफल बनाने में स्वाति यादव, सपना व घरेलू कामगार महिला संगठन के अध्यक्ष सचिव व सदस्यों ने कड़ी मेहनत कर सफल बनाया । 

विश्व वरिष्ठ नागरिक दुर्व्यवहार दिवस का आयोजन सम्पन्न

रायपुर: 16 जून समाज कल्याण विभाग व हेल्पेज इंडिया छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में न्यू सर्किट हाउस रायपुर में विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार दिवस के मौके पर कार्यशाला का आयोजन किया गया । 

उनकी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय श्रीमती अनिला भेड़िया कैबिनेट मंत्री महिला एवं बाल विकास विभाग तथा विशिष्ट अतिथि समाज कल्याण विभाग के निदेशक श्री पी दयानंद रहे । 
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अनिला भेड़िया जी ने बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि ऐसा होना नही चाहिए और कोशिश होनी चाहिए कि छत्तीसगढ़ राज्य में कम से वृद्धाश्रम की जरूर पड़े । पारिवारिक वातावरण को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य होना चाहिए । कार्यशाला को संबोधित करते हुए पी दयानंद जी ने कहा कि बुजुर्गों के लिए हर सम्भव विभाग की ओर से सहयोग किया जाएगा । जो भी समस्याएं आएंगी उनका निराकरण का पूरा - पूरा प्रयास होगा । 
कार्यक्रम में हेल्पेज इंडिया द्वारा दुर्व्यवहार पर किए गए अध्ययन रिपोर्ट का विमोचन माननीय मंत्री जी द्वारा किया गया । 

Monday, 6 June 2022

ग्राम अधिकार मंच के सदस्यों ने मनाया विश्व पर्यावरण दिवस

ग्राम अधिकार मंच के अध्यक्ष श्री सुरित साय के नेतृत्व में कोआर्डिनेशन हब रायपुर के सहयोग से ग्राम सुमेला बहरा व घाघी में पौधों का वितरण व वृक्षारोपण कर अंतराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया तथा ग्रामीणों को संदेश दिया कि हर भरें जंगलों को बचाना है । साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जैविक खेती, वृक्षारोपण, पौधों की सतत देखभाल, तथा अपने ग्राम से लगे हुए जंगलों को बचाना है। 
कार्यक्रम में अम्बिकापुर विकास खण्ड के सुमेला बहरा व मैनपाट विकास खंड के करमहा ग्राम के लोगों ने भाग लिया और पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प लिए ।

विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से मनाया विश्व पर्यावरण दिवस

रायपुर-रायपुर अंतर्गत कोटा वार्ड के महंत तालाब मोहल्ले में आई जी एस एस एस द्वारा युवा समूहों के युवाओं के साथ मिलकर विश्व पर्यावरण दिवस मनाया । इस पर निबंध प्रतियोगिता,चित्रकला प्रतियोगिता, दीवाल लेखन, रैली व पौधरोपण कर लोगों को पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया । 
बच्चों ने अपने अनुभव व ज्ञान से बेहतर प्रस्तुति कर पर्यावरण के लिए संदेश दिया ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके । तथा आने वाली युवा पीढी वृक्षारोपण कर पर्यावरण को सहेज सके । 
इस अवसर पर आई जी एस एस एस की स्वाति यादव व अनमोल फाउंडेशन के निदेशक संजय शर्मा शामिल रहे ।

भाटापारा में चिराग द्वारा सामुदायिक गतिशीलता कार्यक्रम आयोजित

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नई दिल्ली एवं  छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति रायपुर के सहयोग से  चिराग सोशल वेलफेयर सोसायटी अम्बिकापुर द...