जीवन
रेखा मानी जाने वाली नदिया व अन्य जल स्रोत में उद्योग व शहर से निकला कूड़ा – कचरा
मुसीबत बन रहा है | मौजूदा परिस्थितिया पर्यावरण के लिए कितनी गंभीर बन चुकी है ,
इसका अंदाजा नॅशनल ग्रां ट्राइब्यूनल (एनजीटी ) के पास आने वाले मामलों से लगाया
जा सकता है |
नहीं
हटा है यमुना के आसपास जमा मलबा : केंद्र
पर्यावरण
एवं वन मंत्रालय ने एन जी टी को बताया है की उसके आदेश के बावजूद यमुना के आसपास
क्षेत्र जमा मलबा पुरी तरह से नहीं हट सका है | मंत्रालय ने एन जी टी अध्यक्ष
स्वतंत्र कुमार की बेंच के सामने स्टेटस रिपोर्ट पेश की है , जिसमे उसने कहा है की
नदी के बाढ़ के मैदानों को सुधारा जा रहा है | गौरतलब है की सभी सम्बंधित संस्थाओं
से इस मामले में १८ दिसम्बर तक स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था |
ट्राइब्यूनल ने २८ अक्टूबर को मंत्रालय और एन जी टी की तरफ से नियुक्त स्थानीय
आयुक्त को आदेश दिया था की नदी की जांच करे और इस बारे में रिपोर्ट दे की जहा भी
मलबा डाला गया है उसे पुरी तरह से हटा दिया गया है या नहीं |
मलबा
डालने पर रोक
एन
जी टी ने यह आदेश यमुना के आसपास क्षेत्र में मलबा डालने पर रोक लगाने व नदी की
सफाई सुनिश्चित करने वाली याचिका पर दिया था | एन जी टी ने ३१ जनवरी को यमुना में
मलबा व अन्य निर्माण सामग्री डालने पर रोक लगा दी थी और दिल्ली व उत्तरप्रदेश
राज्य सरकार को मलबा हटाने और इसका उल्लंघन करने वालो पर पांच लाख जुर्माना लगाने
का आदेश दिया था |
पुरी
बीच पर निर्माण नहीं
एक
ऐसे ही अन्य मामले में एन जी टी ने ओडीसा के पुरी बीच पर किसी तरह के निर्माण पर
रोक लगा दी है | गौरतलब है की एन जी टी के सामने पुरी बीच पर नगर निकाय की तरफ से
सीवेज लाइन डाले जाने की जानकारी लाइ गई थी | स्वतंत्र कुमार की बेंच ने बीच पर
सीवेज लाइन डालने के नगर निकाय के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया है | बेंच ने कहा
की यह बड़ी आपदा को आमंत्रित कर सकता है | हम कसी संस्था या प्राधिकरण की तरफ से
पुरी के समुद्री बीच या बफर जों पर किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगाते है | नगर
निकाय से शहर में सीवेज के एकत्रण व ट्रीटमेंट के बारे में जानकारी माँगी है | यह
भी पूछा है की क्या कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना है | इसके अलावा
सीवेज की निकास व्यवस्था के ले आउट की जानकारी माँगी है |
एक
सामान निति की मांग
देश
भर में धार्मिक आयोजनों के दौरान नदियों व अन्य जल स्रोतों में मूर्ति विसर्जन
सम्बंधित एक सामान व्यवहारिक ,तथ्यात्मक और मानक प्रक्रिया को स्वीकार किए जाने की
मांग करने वाली याचिका पर एन जी टी ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय , जल संसाधन एवं
मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जबाब देने के लिए कहा है | तीनो मंत्रालयों को १५
जनवरी २०१४ को होने वाली अगली सुनवाई पर जबाब देने के लिए कहा है | याचिका करता के
अनुसार प्रति वर्ष लाखो मूर्तियों को नदियों व अन्य जल स्रोतों में डाला जाता है ,
जो जल स्रोतों व पर्यावरण के लिए नुकसान की वजह बनाती है | उन्होंने कहा की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा में मूर्ति विसर्जन पर पुरी तरह रोक लगा दी है , ऐसे में
पश्चिम बंगाल या देश के अन्य क्षेत्र में इजाजत कैसे दी जा सकती है |
साभार
पत्रिका एक्सपोज रायपुर ०९-१२-२०१३
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