गजराज बांध का फैलाव 230 एकड़ में है जिसमे से शासन 100 एकड़ में मनोरंजन पार्क का निर्माण करना चाहती है जिसके लिए शासन स्तर पर कार्यवाही चल रही है । लगभग 60 एकड़ भूमि को लोगों ने पाट दिया है । इसी तरह अगर तालाबो को पाट कर उसके भूमि का उपयोग करने लगेंगे तो एक दिन तालाब समाप्त हो जाएगा ।
जैसा कि अभी तक देखा गया है 300 से ज्यादा तालाब थे जिसमें से 129 तालाब ही बचे हुए है । किसी भी शहर या गांव के जल स्तर को बनाए रखने में इन तालाबों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है । तालाब के किनारे पेड़ पौधे पर्यावरण को शुद्ध रखने में अपनी भूमिका निभाते है ।
पुराने जितने भी तालाब मिलेंगे सभी मे पानी वर्ष भर रहता है जबकि नए तालाबो में कभी पानी टिकता ही नही । शासन के द्वारा वैसे ही शहरों को कांक्रीट में तब्दील कर भूजल को बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया गया है । ऊपर से अगर पुराने जल सोत्रों को समाप्त कर दिया गया तो पानी के लाले पड़ जाएंगे । साथ ही जलवायु पर भी व्यापक असर होगा ।
तालाबों का इतिहास अति प्राचीन है। प्राचीन काल में जल संचयन करने का प्रमुख साधन तालाब और कुंवा ही रहा है । लोगों ने तालाब में ही जल का संग्रहण करना प्रारम्भ किया और इस जल को विभिन्न प्रकार के कार्यों में उपयोग करते रहे है । पूर्व में तालाब निर्माण का कार्य जमींदार, मालगुजार लोग स्वयं अपने निजी भूमि में तालाब का निर्माण करते थे, जिनका उपयोग लोग सार्वजनिक रूप से करते थे। साथ ही लोग इनका संरक्षण भी स्वयं करते थे।
आज भी देखें तो तालाब सिचाई के स्रोत के रूप में बड़ी भूमिका में है साथ ही पर्यावरण व जल संरक्षण को बचाने में भूमिका निभा रहा है । पुराने तलाबोंनके निर्माण व तकनीक नए तालाबों से अलग होती है इसीलिए पुराने तालाबों में वर्ष भर पानी रहा है जो मानव जीवन के लिए बहुमूल्य है ।
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