Saturday, 21 December 2013

केन्द्रीय सूचना आयोग में लंबित हजारो याचिकाए और शिकायते

केन्द्रीय सूचना आयोग में सूचना अधिकार कानून के तहत सूचना आवेदकों की तरफ से लाइ गयी २४,००० से ज्यादा याचिकाए व शिकायते लंबित है | केन्द्रीय कार्मिक राज्य मंत्री बी नारायण सामी ने लोक सभा में बाताया की ३० नवम्बर २०१३ तक केन्द्रीय सूचना योग में लंबित मामलों की संख्या २४,८०० थी | उन्होंने कहा की केन्द्रीय सूचना आयोग , मंत्रालय या विभाग के आधार पर लंबित याचिकाओं का वर्गीकरण नहीं करता है | केन्द्रीय सूचना आयोग के गठन के समय ६८ पद सृजित किए गए थे | २००७ में पदों की संख्या १०६ और २००८ में इसे बढ़ाकर ११६ कर दिया गया था | व्यय विभाग की स्टाफ इंस्पेक्शन यूनिट ने २०१० के मूल्याकन में १५४ पदों की आवश्यकता बताई गई थी | व्यय विभाग से विस्तृत विचार विमर्श के बाद २०११ में १६० पदों की अनुमति दे डी गई थी | उन्होंने कहा की केन्द्रीय सूचना आयोग को स्टाफ भर्ती करने में स्वायतता मिली हुई है | हालाकि सरकार ने आयोग में पांच सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की है | जो २२ नवम्बर २०१३ से प्रभावी हो गए है | इसके अलावा भी सरकार ने अन्य कई कदम उठाए है | केन्द्रीय सूचना अधिकारियों व प्रथम अपील अधिकारियों के लिए दिशा निर्देश जारी कर सूचना उपलब्धता सुनिश्चित करने और पहली अपील में शिकायत निवारण की व्यवस्था दुरुस्त करने का प्रयास शामिल है ,ताकि आयोग तक आने वाली शिकायतों को कम किया जा सके | केन्द्रीय सूचना आयोग में २०१० - ११ , में २८,८७५ व २०११-१२ में ३३,९२२ मामले आए , जिसमे क्रमश: २४,०७१ व २३,१२२ मामलों का निस्तारण हुआ | उन्होंने लंबित मामलों के निपटारे के लिए आयोग के विशेष अभियान की जानकारी दी |

आकड़ो की पोल : उद्योगों के नाम पर भूमि पुत्रो से खेल



जमीन दस हजार एकड़ और किसान १७६२
रायगढ़ : उद्योग विभाग में पिछले लम्बे समय से आंकड़ो का खेल चल रहा है | रिकार्ड की माने तो एक और जहा जिले में १०००० एकड़ से अधिक कृषि भूमि का अधिग्रहण उद्योगों के लिए किया गया है , वही दूसरी और रिकार्ड में महज १७६२ किसानो को ही प्रभावित दिखाया गया है |
रिकार्डो के अनुसार इसमे से ९३९ प्रभावितों को रोजगार दिया गया है | उद्योग विभाग के अनुसार भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही १४ उद्योगों के नाम से की गई है , वही अन्य १८ प्रकरण ऐसे है जिनमे अधिग्रहण की कार्यवाही तो कर ली गई है लेकिन उन उद्योगों का नाम नहीं बताया जा रहा है | १३ उद्योगों में से ३ ऐसे भी उद्योग संचालित है जहा प्रबंधन ने अब तक प्रभावित किसानो के परिवारों को रोजगार उपलब्ध नहीं कराया है | कोतामार स्थित वीसा पावर में गई जमीन के कारण १२२ परिवार प्रभावित हुए है | इसके अलावा एस के एस में २३३ और कोरबा वेस्ट में १३५ परिवार प्रभावित हुए है | प्रबंधन ने उद्योग का संचालन शुरू न हो पाने का हवाला देते हुए इनको रोजगार नहीं दिया है |
ज्यादा को दिया रोजगार
आंकड़ो की वास्तविकता इसी से जाहिर होती है की इंड सिनर्जी कोतामार उद्योग के लगाने से ६६ किसान प्रभावित हुए है | जबकि रिकार्ड में उद्योग प्रबंधन ने इसमे से ७४ लोगो को रोजगार भी दिया है | कुछ इसी तरह रुकमनी पावर प्लांट से १२ किसान प्रभावित हुए है | इसमे से १४ को रोजगार दिया | नीको जायसवाल लिमिटेड बाजीखोल के लगाने से ८ किसान प्राभावित हुए है वही नौ किसान को रोजगार दिया गया है |
प्रभावित किसान व उपलब्ध रोजगार  उद्योग           प्रभावित किसान            राजगार उपलब्ध
जिंदल स्टील एंड पावर                                             ४४३                                                 २१७
जिंदल पावर तमनार                                                ६५८                                                 ४९७
मोनेट सपात                                                         १५८                                                 १३७
वीसा स्टील                                                      १२२                                                 
एस के एस                                                       २३३                                                 
कोरबा वेस्ट                                                      १३५                                                  
साभार - पत्रिका रायपुर -१९-१२-२०१३

दलित अल्पसंख्यको को एस सी दर्जा देने की तैयारी

कांगेस निति यु पी ए सरकार मुस्लिम एवं क्रिश्चियन दलितों को अनुसूचित जाती की मान्यता देने की योजना बना रही है | अल्पसंख्यक विभाग दिन - रात एक करके ब्लू प्रिंट तैयार कर रहा है , जिसे सभी हिस्सेदारों को भेजा जाना है और अंतिम तौर पर हलफनामे के रूप में सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जा सके | गौरतलब है की क्रिश्चियन व मुश्लिम दलितो को अनिसुचित जाती के तहत मान्यता देने से सम्बंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में २००४ से चल रहा है , जहा पर इस फैसले के सामाजिक राजनीतिक प्रभावों का आकलन करते हुए सरकार हलफनामा पेश करने से खुद को बचाती रही है | लेकिन अब सरकार इस मुद्दे का सामना करने की स्थिति में आ गयी है और प्रेजिडेंसीयल (एस सी ) आर्डर १९५० को ख़त्म करना चाहती है , जिसमे दलित मूल के क्रिश्चियन और मुश्लिमो को बराबरी का दर्जा देने से मना किया गया है | अल्पसंख्यक मंत्रालय ने रंगनाथ मिश्र की समिति की सिफारिसो को आधार बनाया है , जिसमे हिन्दू दलित समुदाय से धर्म परिवर्तन कर मुश्लिम या क्रिश्चियन बने दलितों को दलित का दर्जा देने की सिफारिश की गई है | इसके अलावा अनुसूचित जाती आयोग की सिफारिस को आधार बनाया गया है , जिसमे भी ऐसी ही सिफारिस की है | इसे जल्द ही कैबिनेट की बैठक में रखे जाने की उम्मीद है | तैयार किए जा रहे ब्लूप्रिंट में अल्पसंख्यक आयोग सिफारिशों को भी शामिल किया गया है | गौरतलब है की सरकार के इस प्रयास को हाल के चुनावो में अल्पसंख्यक वर्ग में खिसके जनाधार का असर माना जा रहा है | दिल्ली की पांच अल्पसंख्यक बाहुल्य सीटो पर कांग्रेस को हार का सामना करना पडा है , जबकि राजस्थान व मध्यप्रदेश में भी पारम्परिक निर्वाचन क्षेत्रो में हार हुई है |
साभार - पत्रिका एक्सपोज रायपुर १९ .१२.२०१३

खेती : बीटी काटन खेती के नियमो का पालन नहीं , "रिफ्यूज बेल्ट " पर नहीं हो रही गैर -बीटी काटन की खेती

देश में जेनेटिक माडिफाइड (जी एम् )बीटी काटन के व्यवसायिक उत्पादन को मिली अनुमति को लगभग १३ वर्ष हो रहे है , लेकिन इससे जुड़े मानको का पालन सुनिश्चित नहीं हो पाया है | हाल के सर्वे में मानको के खुले उल्लघन की बात सामने आई है |
"रिफ्यूज " नियमो का नहीं हो रहा पालन
देश में ९३ फीसदी कपास बीटी काटन की खेती कर रहे है , लेकिन "रिफ्यूज " नियमो का पालन नहीं हो रहा है | हाल के एक सर्वेक्षण में पता चला है की इससे साधारण कपास की तुलना में जी एम् बी टी काटन की बिभिन्न किस्मो से अधिक पैदावार और कीटनाशको के कम इस्तेमाल संबंधी पूर्ण लाभों पर नाकारात्मक असर पडा है |" इन्डियन काउन्सिल फार एग्रीकल्चर रिसर्च "(आई सी ए आर ) के डायरेक्टर जनरल एस अय्यपन के अनुसार , बीटी काटन की आलोचनाओं को वैज्ञानिक तथ्यों के आभाव में कोई जगह नहीं मिल सकी है | देश में नौ कपास उत्पादक राज्यों में किसानो ने बीटी काटन को बड़े पैमाने पर अपनाया है | २००२ में बीटी काटन की खेती का क्षेत्रफल ५०,००० हेक्टेयर था , जो अब बढकर १०,००,००० हेक्टेयर हो गया है |
क्या है "रिफ्यूज" नियम
बीटी काटन की खेती में विस्तार के बावजूद रिफ्यूज नियम का मुद्दा बना हुआ है | रेग्युलेटरी नियमो के मुताबिक़ ,बीटी काटन वाले खेतो के चारो तरफ एक ऐसी  पट्टी होनी चाहिए , जिस पर उसी प्रजाति के गैर - बीटी काटन की खेती की गई हो | इसी पट्टी को "रिफ्यूज "कहा जाता है | रिफ्यूज में आने वाली भूमि इतनी हो की पांच पंक्तियों में गैर - बीटी काटन की खेती की जा सके या वह क्षेत्र , कुल का २० फीसदी हो |
गैर बीटी काटन बीज जरुरी
जी एम् बीटी काटन खेती के रेग्युलेशन के अनुसार ,बीटी काटन बीजो के पैकेट के साथ उसी प्रजाति के गैर - बीटी काटन के बीज का पैकेट देना अनिवार्य है , जो रिफ्यूज बेल्ट पर खेती के लिए पर्याप्त हो | हाल में पंजाब ,महाराष्ट्र और आँध्रप्रदेश में हुए सर्वे से पता चला है की किसान रिफ्यूज नियमो का पालन नहीं कर रहे है |
किसानो ने बीटी काटन खेतो में रिफ्यूज नियम के लागू न हो पाने के पीछे "एक्सटेंशन सिस्टम " की विफलता को एक बड़ा कारण बताया है | उल्लेखनीय है की एक्सटेशन सिस्टम के तहत राज्य कृषि विस्व विद्यालयों ,कृषि विज्ञान केन्द्रों और सरकारी धन से चलने वाले एन जी ओ पर नई तकनीकी के लाभों व नुकसानों के बारे में किसानो को जागरुक करने की जिम्मेदारी है |लेकिन सर्वे में शामिल राज्यों में बीटी काटन की खेती के सम्बन्ध में एक्सटेंशन गतिविधियों का अभाव पाया गया है |
लोक उद्यम नहीं है भागीदार
इस रिपोर्ट को इन्डियन सोसाइटी फार काटन इम्प्रूवमेंट के बैनर टेल किया गया है | जिसके अनुसार ,निजी क्षेत्र की तरफ से बीटी काटन के करीब ७०० तरह के बीज उपलब्ध कराए जा रहे है , लेकिन बीटी काटन को व्यवसायिक अनुमति दी जाने के एक दशक बाद भी एक भी सरकारी कंपनी बाजार में बीटी काटन उपलब्ध नहीं करा रही है | रिपोर्ट में जी एम् फसलो को लाने और राज्य की तरफ से उसके लाभों को प्रचारित किए जाने जैसे मसालों पर जन प्रतिनिधियों के ढुलमुल रवैये की आलोचना की गयी है |इस सर्वे में बतौर सह - लेखक शामिल भागीरथी चौधरी का कहना है की एक्सटेशन सिस्टम के जिम्मेदारो को नींद से जगाने और अपनी जिम्मेदारी निभाने की जरुरत है | इस सर्वे में नागपुर के सेन्ट्रल इंस्टीट्युट आफ काटन रिसर्च के पूर्व डायरेक्टर सी डी माये भी शामिल रहे है | रिपोर्ट को केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने जारी किया है |
साभार -पत्रिका एक्सपोज रायपुर १९-१२-२०१३

भविष्य : बाल यौन शोषण की रोकथाम को लेकर राज्यों के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट सख्त ,कहा "अस्वीकार्य है लापरवाही

देश में बाल यौन शोषण रोकने के मामले में राज्यों की तरफ से बरती जा रही लापरवाही को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है | सुप्रीम कोर्ट ने कहा की यह राज्यों का कर्तव्य है की वे ऐसा स्वस्थ वातावरण बनाए , जिससे बच्चो का बचपन बेहतर हो सके |
जनवरी में दीए आदेश का नहीं हुआ पालन
सुप्रीम कोर्ट ने बच्चो के यौन शोषण और इसके रोकथाम के उपायों की कमी को लेकर चिंता जाहिर की और सभी राज्यों के मुख्य सचिवो को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है | गौरतलब है की इस वर्ष जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशो को प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्सुअल आफिसेस एक्ट -२०१२ राईट आफ चिल्ड्रन्स टू फ्री एंड कम्पलसरी एजुकेशन एक्ट -२००९ व कमीशन फार प्रोटेक्शन आफ चाइल्ड राइट्स एक्ट २००५ को लागू करने का निर्देश दिया था | इसी मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एस. एस. निजार व जस्टिस इब्राहिम कलिफुल्ला की बेंच ने कहा की कई राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशो ने पिछले निर्देशों को नहीं माना है |
बाल आयोग कागजो पर
बेंच ने कहा की राज्यों के हलफनामो से पता चलता है की राज्यों ने बाल अधिकार आयोगों का गठन किया है , लेकिन वास्तविकता यह है की ज्यादातर आयोग केवल कागजो पर ही है | कई राज्यों में आयोग के अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई है, तो कुछ राज्यों ने सदस्यों की नियुक्ति नहीं की है और अन्य जरुरी नियम - विनियम भी नहीं बनाए है | बेंच ने कहा की अदालत गंभीर रुख अपनाए और निर्देशों पर अमल न करने वाले राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशो के खिलाफ अदालती - अवमानना की कार्यवाही करे , इसके लिए उक्त आधार पर्याप्त है |
राज्यों का अनिवार्य कर्तव्य
बेंच ने कहा की बाल यौन - शोषण रोकने के सम्बन्ध में अदालत के निर्देश पर राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशो का लापरवाह रवैया पूर्ण रूप से अस्वीकार्य है | भविष्य में बच्चो को और अधिक यातना से बचाने के लिए दोबारा यह स्पष्ट करना जरुरी हो गया है की संविधान के अनुच्छेद -२१ , २१ ए ,२३, २४, और ५१ (ए) (के) के तहत राज्यों का यह अनिवार्य कर्तव्य है की वे बच्चो के लिए ऐसा सुरक्षित व स्वस्थ माहौल बनाए , जिसमे उनके बचपन को उचित रूप में विक्सित होने का मौका मिल सके और वे आगे चलाकर परिपक्व एवं जिम्मेदार नागरिक बन सके |
बेंच ने कहा की राज्यों व केंद्र शासित प्रदेह्सो की लापरवाही तकलीफ़देह है | इस स्तर पर अब हमारे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है की नए अनिवार्य निर्देश जारी किए जाए , ताकि जीवन से सभी मौको पर बच्चो के शोषण को ख़त्म करने की दिशा में अत्यधिक परिणाम हासिल किया जा सके |
आठ हफ्ते में लागू हो आदेश
निश्चित तौर पर राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशो को यह महसूस होना चाहिए की उनका शासन - प्रशासन संविधान के अधीन है | बेंच ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवो ( जिन्हें नोटिस जारी किया गया ) को निर्देश दिया की वे इस आदेश से अगले आठ हफ्ते के भीतर उपरोक्त तीनो अधिनियमों के तहत निर्धारित विशेष दायित्वों को लागू करने के बारे में पुरी जानकारी उपलब्ध कराए | बेंच ने यह भी कहा की दिए गए निर्देशों के किसी भी हिस्से का पालन न हो पाने की स्थिति में राज्य सरकार में प्रधान सचिव स्तर का जो भी अधिकारी होगा , वह व्यक्तिगत रूप से अगली सुनवाई पर अदालत में मौजूद रहेगा और निर्देशों को लागू करने में विफल होने की स्थिति में अपना पक्ष रखेगा | यदि किसी भी वजह से अगली सुनवाई से पहले मुख्या सचिव की तरफ से हलफनामा पेश नहीं किया जाता है , तो इसी पदक्रम का अधिकारी अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर राज्य की तरफ से हलफनामा न पेश करने का कारण स्पष्ट करेगा |
साभार - पत्रिका एक्सपोज रायपुर २०-१२-२०१३

Sunday, 8 December 2013

जल स्रोतों पर बढ़ता संकट



जीवन रेखा मानी जाने वाली नदिया व अन्य जल स्रोत में उद्योग व शहर से निकला कूड़ा – कचरा मुसीबत बन रहा है | मौजूदा परिस्थितिया पर्यावरण के लिए कितनी गंभीर बन चुकी है , इसका अंदाजा नॅशनल ग्रां ट्राइब्यूनल (एनजीटी ) के पास आने वाले मामलों से लगाया जा सकता है |
नहीं हटा है यमुना के आसपास जमा मलबा : केंद्र
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने एन जी टी को बताया है की उसके आदेश के बावजूद यमुना के आसपास क्षेत्र जमा मलबा पुरी तरह से नहीं हट सका है | मंत्रालय ने एन जी टी अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार की बेंच के सामने स्टेटस रिपोर्ट पेश की है , जिसमे उसने कहा है की नदी के बाढ़ के मैदानों को सुधारा जा रहा है | गौरतलब है की सभी सम्बंधित संस्थाओं से इस मामले में १८ दिसम्बर तक स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था | ट्राइब्यूनल ने २८ अक्टूबर को मंत्रालय और एन जी टी की तरफ से नियुक्त स्थानीय आयुक्त को आदेश दिया था की नदी की जांच करे और इस बारे में रिपोर्ट दे की जहा भी मलबा डाला गया है उसे पुरी तरह से हटा दिया गया है या नहीं |
मलबा डालने पर रोक
एन जी टी ने यह आदेश यमुना के आसपास क्षेत्र में मलबा डालने पर रोक लगाने व नदी की सफाई सुनिश्चित करने वाली याचिका पर दिया था | एन जी टी ने ३१ जनवरी को यमुना में मलबा व अन्य निर्माण सामग्री डालने पर रोक लगा दी थी और दिल्ली व उत्तरप्रदेश राज्य सरकार को मलबा हटाने और इसका उल्लंघन करने वालो पर पांच लाख जुर्माना लगाने का आदेश दिया था |
पुरी बीच पर निर्माण नहीं
एक ऐसे ही अन्य मामले में एन जी टी ने ओडीसा के पुरी बीच पर किसी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी है | गौरतलब है की एन जी टी के सामने पुरी बीच पर नगर निकाय की तरफ से सीवेज लाइन डाले जाने की जानकारी लाइ गई थी | स्वतंत्र कुमार की बेंच ने बीच पर सीवेज लाइन डालने के नगर निकाय के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया है | बेंच ने कहा की यह बड़ी आपदा को आमंत्रित कर सकता है | हम कसी संस्था या प्राधिकरण की तरफ से पुरी के समुद्री बीच या बफर जों पर किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगाते है | नगर निकाय से शहर में सीवेज के एकत्रण व ट्रीटमेंट के बारे में जानकारी माँगी है | यह भी पूछा है की क्या कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना है | इसके अलावा सीवेज की निकास व्यवस्था के ले आउट की जानकारी माँगी है |
एक सामान निति की मांग
देश भर में धार्मिक आयोजनों के दौरान नदियों व अन्य जल स्रोतों में मूर्ति विसर्जन सम्बंधित एक सामान व्यवहारिक ,तथ्यात्मक और मानक प्रक्रिया को स्वीकार किए जाने की मांग करने वाली याचिका पर एन जी टी ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय , जल संसाधन एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जबाब देने के लिए कहा है | तीनो मंत्रालयों को १५ जनवरी २०१४ को होने वाली अगली सुनवाई पर जबाब देने के लिए कहा है | याचिका करता के अनुसार प्रति वर्ष लाखो मूर्तियों को नदियों व अन्य जल स्रोतों में डाला जाता है , जो जल स्रोतों व पर्यावरण के लिए नुकसान की वजह बनाती है | उन्होंने कहा की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा में मूर्ति विसर्जन पर पुरी तरह रोक लगा दी है , ऐसे में पश्चिम बंगाल या देश के अन्य क्षेत्र में इजाजत कैसे दी जा सकती है |
साभार पत्रिका एक्सपोज रायपुर ०९-१२-२०१३

पहली बार प्रदेश में किया गया प्रयोग , प्रत्यासियो को खारिज करने के अधिकार का जमकर इश्तेमाल



छत्तीसगढ़ में ३९९८३४ लोगो ने प्रत्याशियों को नाका दिया है | सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चुनाव आयोग की ऑर से पहली बार रखे गए नोटा आप्शन का मतदाताओं ने जमकर इस्तेमाल किया | बड़ी संख्या में लोगो ने इसके माध्यम से प्रत्याशियों को खारिज करने का प्रयास किया |
राज्य के ९० में से ३४ विधान सभा सीटो में नोटा तीसरे निकटतम प्रतिद्वंदी की तरह उभरा | जानकारों का मानना है की इस आप्शन से लोकतंत्र में एक अलग मिशाल कायम होगी | नोटा वोट पड़ने से जीत हार में सीधा असर पडा है | आकड़ो के मुताविक चित्रकोट विधान सभा में सबसे ज्यादा १०८४८ नोटा वोट डाले गए | हालाकि यहाँ यह चौथे नंबर पर रहा | भारत निर्वाचन आयोग ने नोटा विकल्प के मतों के सम्बन्ध में निर्देश जारी किए है | नोटा ( इनमे से कोई नहीं ) विकल्प के अंतर्गत प्राप्त मतों की गणना अवैध मतों के रूप में की गई है |
यहाँ तीसरे नंबर पर रहा
राज्य के ३८ विधान सभा क्षेत्र में तीसरे नंबर पर नोटा वोट का दबदबा देखा आया | इनमे से प्रेमनगर में ५७३१, रामानुजगंज में ३५९९, सामरी में ३११८ , लुन्द्रा में ३१२२, सीतापुर में ५९९६ , पत्थालगाँव में ५५३३, रायगढ़ में ३८८२, खरसिया में २९३० , धरमजयगढ़ में ६७२६ , कोरबा में ३८५३ , मरवाही में ७११५ , बिलासपुर में ३६६९, सराईपाली में ३९०९ , बसना में ४६४७ , भाटापारा में ५२८२ , धरसीवा में ३७४०, रायपुर ग्रामीण में ३५२१ , रायपुर उत्तर में २४२४ रायपुर दक्षिण में १७८०, बिन्द्रवनगढ़ में ७०४७, कुरुन्द में ४७४५ , संजारी बालोद में ४१०२ , भिलाई नगर में ३३९०, साजा में ४५२९, कवर्धा में ९०२९, खैरागढ़ में ४६४३, डोगरगांव में ४०६२, अंतागढ़ में ४७१०, केशकाल में ८३८१ , कोंडागांव में ६७७३, नारायणपुर में ६७३१ , बस्तर में ५५२९, रायगढ़ में ३८८२, जगदलपुर में ३४६९ व बीजापुर  में ७१७९ है |
यहाँ पर चौथे स्थान पर
अभनपुर ४०७१, राजिम ५६७३, पाटन में ३२४०, गुन्दर्देही में २८५३, प्रतापपुर में ५८२४, कुनकुरी में ४१०६, लैलूंगा में ४८५७, भानुप्रतापपुर में ५६८०, कांकेर में ५२०८ , पाली तनाखार ७०५४, मुंगेली में ३४४६, जांजगीर चाम्पा में २८२२, पामगढ़ में २९०७, बैकुंठपुर ३२६५, खुझी में ४६०८, मोहला मानपुर में ५७४२, धमतरी में ५२०१, दौंदीलोहरा में ६०८९, अकलतरा में ३०७४, चित्रकोट में १०८४८, दंतेवाडा में ९६७७, महासमुंद में ३९२९, बिलाईगढ़ में ४८७७, बलोदा बाजार में ५५९२, रायपुर नगर पश्चिम में २३५७, दुर्ग शहर में २१०२, वैशाली नगर में २६७०, अहिवारा में ४५७५, डोंगरगढ़ में ४२९८ ,राजनानदगांव में २०४० व कोंटा में ४००१ नोटा वोट शामिल है |
पांचवे स्थान पर यहाँ नोटा
मनेन्द्रगढ़ में २४२१, भटगाव में ४४८०, दुर्ग ग्रामीण में ३५४४ , मस्तुरी में ३५१८ , कटघोरा में ३४३४, जशपुर में ६९८०, जैजेपुर में २३८९, खल्लारी में ४११६, सिहावा में ६०६३, नवागढ़ में ४०८५, व पंडरिया में ४२८३ शामिल है |
छठवे ,सातवे व दसवे स्थान पर यहाँ नोटा
छठवे स्थान पर बिल्हा में २२४९, बेलतरा में १६०७, बेमेतरा में २४२४ ,भरतपुर- सोनहत में ३९७१, आरंग में ३५८८ व सक्ती में २६२० शामिल है | इसी तरह सातवे नंबर पर कसडोल में २०८२, चंद्रपुर में १३९७, लोरमी में ८७४, तखतपुर में ११९० एवं दसवे स्थान पर कोटा में १०७४ नोटा वोट शामिल है |
साभार पत्रिका रायपुर ९-१२-२०१३   

Wednesday, 27 November 2013

आई टी एक्ट के प्रावधान पर सुप्रीम कोर्ट ने माँगा जबाब



सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए इनफार्मेशन टेक्नालोजी एक्ट (आई टी एक्ट ) के प्रावधान पर केन्द्रीय मंत्रालयों व राज्य सरकार से जबाब माँगा है | आई टी एक्ट में आन लाइन अपमानजनक टिप्पणी व लेखन के लिए तीन वर्ष तक जेल की सजा का प्रावधान है | जष्टिश आर. एम्. लोढ़ा व जष्टिश शिव कीर्ति सिंह की बेंच ने पीपुल्स यूनियन फार लिबर्टी (पीयूसीएल ) की जनहित याचिका पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय व संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को नोटिस जारी किया है | पीयूसीएल ने दण्डित करने की शक्ति पुलिस को देने वाली आईटी एक्ट की धारा ६६ए के अलावा सूचना तक जनता की पहुच रोकने व वेबसाइट्स को प्रतिबंधित करने वाले नियमो को भी चुनौती दी है | याचिका में कानून व सूचना तकनीकी विशेषज्ञों की समिति बनाने व आईटी एक्ट के हाल के मामलों की समीक्षा करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है | याचिका में कहा गया है की आईटी एक्ट के प्रावधानों से संविधान के अनुच्छेद – १४ (समानता का अधिकार ), अनुच्छेद – १९ (वाक् व अभिव्यक्ति का अधिकार ) और अनुच्छेद – २१ (जीवन के अधिकार ) का उल्लंघन होता है | इसके अलावा आईटी एक्ट की धारा ६६ए के तहत जो प्रतिबन्ध लगाए गए है , वे संविधान के अनुच्छेद -१९(२) के दायरे में नहीं आते है | याचिका में आईटी एक्ट की धारा – ६६ए के दुरुपयोग के उदाहरण दी गए है | इसमे एक राजनेता के निधन पर अघोषित बंद को लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर की गई टिप्पणी करने व उसे लैक करने के लिए महाराष्ट्र के पालघर से दो लड़कियों की गिरफ्तारी का मामला शामिल है |
साभार –पत्रिका एक्सपोज रायपुर -२४-११-२०१३  

भाटापारा में चिराग द्वारा सामुदायिक गतिशीलता कार्यक्रम आयोजित

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नई दिल्ली एवं  छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति रायपुर के सहयोग से  चिराग सोशल वेलफेयर सोसायटी अम्बिकापुर द...