*जन जुड़ाव* अनमोल फाउंडेशन द्वारा संचालित एक ऐसा मंच है जो जमीनी स्तर किए जा रहे छोटे छोटे स्वेच्छिक प्रयासों की सफल कहानियों, शासकीय योजनाओं व जनहित से जुडी कानूनी जानकारियों को संग्रह कर प्रसारित करने हेतु तैयार किया गया है
Saturday, 31 May 2025
किचन गार्डेन के द्वारा आजीविका व स्वास्थ्य की सुरक्षा की बेहतरी के प्रयास
Friday, 30 May 2025
जलभराव से परेशान रहवासी इससे निपटने नगर निगम के पास कोई प्लान नही
आजीविका के पारम्परिक तरीका व स्रोत पे बातचीत
Thursday, 29 May 2025
एक जन्म एक पौधा अभियान में जुड़ने से उत्साहित महिलाएं
Wednesday, 28 May 2025
सहजन के पत्ते बहुत फायदेमंद है आजीविका व स्वास्थ्य की दृष्टि से
माहवारी स्वच्छता दिवस 2025
Menstrual Hygiene Day 2025: हर साल 28 मई को मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पीरियड्स हाइजीन के प्रति लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है।
पीरियड महिलाओं के जीवन का एक ऐसा पहलू है, जिससे उन्हें हर महीने गुजरना पड़ता है। युवावस्था में कदम रखने के साथ लड़कियों में पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। ये न सिर्फ एक नेचुरल प्रक्रिया है, बल्कि महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
महिलाओं और समाज में मेंस्ट्रुअल हाइजीन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 28 मई को मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक प्रतीक नहीं है, बल्कि महिलाओं और टीनेजर्स को सम्मान, स्वच्छता और स्वास्थ्य से जोड़ने का एक जरिया है।
मेंस्ट्रुअल हाइजीन का ध्यान रखने के लिए आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना जरूरी है-
प्यूबिक एरिया को नियमित रूप से साफ करें। हल्के साबुन और गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।
नियमित रूप से सैनिटरी पैड या टैम्पोन बदलें, हर 4 से 6 घंटे में बदलने की कोशिश करें।
साफ और सूखे अंडरवियर पहनने की कोशिश करें, जो प्यूबिक एरिया को सूखा रखें।
पर्याप्त मात्रा में आराम करने की कोशिश करें और रोजाना 7-8 घंटे की नींद लें।
मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे इतिहास
मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे की शुरुआत साल 2014 में जर्मन नॉन-सरकारी संगठन WASH यूनाइटेड द्वारा की गई थी। मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे को मनाने के लिए 28 मई की तारीख चुनी गई थीं, क्योंकि आमतौर पर महिलाओं के पीरियड्स हर 28 दिन में होते है और औसतन यह 5 दिन तक चलते हैं। इसलिए, 28 मई इस दिन को मनाने के लिए चुना गया। शुरुआत से ही इस दिन को मनाने का उद्देश्य समाज में मासिक धर्म को लेकर लोगों की चुप्पी, शर्म और कलंक को खत्म करना रहा है। यह महिलाओं को अपने शरीर और स्वास्थ्य के प्रति आत्मनिर्भर और जागरुक बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
साभार - only my health.com
Tuesday, 27 May 2025
Date palm plantations should be prompted for rural livelihood and biodiversity conservation
Monday, 26 May 2025
Share with you what you learn
Saturday, 24 May 2025
Safe Traditional Way Storing Animal Food
There is a traditional way of safely storing dry fodder for animals in the village.
A wooden scaffold is made and straw is placed on it in such a way that rainwater does not stay on it and it does not fly away in a storm.
There is no harm in keeping it at such a height, no other animal can eat it and the risk of fire is also less.
This is an excellent safe traditional method
#traditional #mathod
Friday, 23 May 2025
People of Gram Adhikar Manch are encouraging people to plant one tree in one birth
Gram Adhikar Manch, in collaboration with Rajmeru Sansthan and public participation, is carrying out a campaign to plant trees in the name of all children under the age of one year in 10 villages of Ambikapur and Mainpat development blocks.
The objective of this campaign is not only to protect the environment but also to protect livelihood, health, nutrition and employment by planting fruit trees.
When the children grow up, this plant will become a tree and will start bearing fruits, then they will get fruits, if they eat the fruits, their health and nutrition will improve and if they earn income by selling them, they will get employment and income will be earned.
People are being encouraged to make this campaign a habit so that every family plants at least one tree in the name of each family member and includes it in their family chores and responsibilities.
#environment #employment #livelihood #health #nutrition #motivational #savetree #saveearth #savelife #savefirest
https://youtu.be/zoJr9RCgEtk?si=G1TU9OFPiMghKsjo
Thursday, 22 May 2025
Change of Story - When they got organized, there was a change in the village
One Birth One Plant Campaign
On the occasion of International Biodiversity Day 2025, the people's organization Gram Adhikar Manch, run by Anmol Foundation, planted *One Birth One Plant* in 10 villages in the name of those members of the forum who have children of 1 year or less than 1 year of age in their homes.
Under the leadership of Rakesh, the men and women of the village planted saplings together
The objective was that when the child grows up, he should himself use the fruit of the plant named after him so that his health remains good and his livelihood is secure.
Along with this we should also get inspiration that we too have to work for the environment.
#environment #cg #government #forest #plant #tree #saveearth #savelife #savewater #saveforest
Sunday, 18 May 2025
पुदीने की खेती से आय अर्जित की जा सकती है
पुदीने की खेती (पुदीना हरा) के लिए शीतोष्ण और ठंडी जलवायु आदर्श होती है। पुदीना को बलुई दोमट या चिकनी मिट्टी में उगाया जा सकता है। इसे बीज या रोपाई से उगाया जा सकता है। पुदीना 100-120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाता है।
पुदीना बलुई दोमट या चिकनी मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ता है। पुदीना बीज या रोपाई से उगाया जा सकता है। बीज से उगाए गए पौधे विभिन्न प्रकारों के बीच संकरण कर सकते हैं, इसलिए विशिष्ट किस्मों के लिए स्थापित पौधे खरीदना बेहतर है।
पुदीना 100-120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाता है। जब निचले पत्ते पीले रंग के होने शुरू हो जाएं, तब कटाई करें। पुदीना ऐसी फसल है जिसे काटने के बाद हर 20 दिन में दोबारा पत्तियां उग आती हैं।
नौकरी नहीं मिली तो खेती से कमाई कर रहे लाखों रुपए
सरगुजा जिले के अम्बिकापुर विकासखंड के नवानगर ग्राम पंचायत के हरिजन पारा में रहने वाले मकरध्वज पैकरा ने 10वी तक पढ़ाई कर नौकरी के लिए काफी प्रयास किया लेकिब जब नौकरी नहीं मिली तो फिर खेती के लिए विचार करना शुरू किया । उसी संस्था ग्राम अधिकार मंच द्वारा किसानों को एक्सपोजर के द्वारा रेनुकूट के पास एक एनजीओ में ले जाया गया जहां खेती करने के बहुत सारे तरीके देखे और सीखे । एक्सपोजर में तो कई गांव से कई किसान गए थे लेकिन नवानगर में सिर्फ मकरध्वज ने ही आने के बाद कृषि कार्य को अपनाया ।
मकरध्वज पहले एक एकड़ में अदरक की खेती से शुरुआत किया था आए अच्छा मुनाफा हुआ तो रुचि और बढ़ गई और फिर मिर्ची, बैगन, टमाटर और धान तथा गन्ने की फसल लेना शुरू किए हर साल एक -एक फसल बढ़ाते चले गए । एक एकड़ में लगभग 10 से 15 हजार रुपए खर्च होता है और उससे 80 से 90 हजार रुपए कमाई हो जाता है इस तरह अलग अलग खेती करके लाखों रुपए सालाना कमा रहे है । इस खेती में मकरध्वज स्वंय व उनकी पत्नी और दो बच्चे तथा बहुये सभी मदद करती करती है । खेती से पूरे परिवार को रोजगार मिला हुआ है । सुबह 4 बजे भोर से पूरा परिवार खेती के कामों में जुट जाता है । शाम को बैगन तोड़कर लाए कुछ रात में खराब बैगन की छटनी की कुछ सुबह 4 बजे से उठाकर पूरा परिवार लगा रहा सुबह गाड़ी आई और मंडी भेज दिए आए परिवार खेत चला गया । दिन रात मेहनत का परिणाम इन्हें सफलता की राह पर ले आया । अभी संस्था की मदद से मशरूम उत्पादन भी शुरू करने वाले है । इनकी मेहनत और सफलता को देखते हुए गांव में और भी लोग कृषि को अपनाकर नई नई पद्धतियों का उपयोग कर कृषि कार्य कर रहे है । आज मकरध्वज अपने गांव व आसपास के गांव के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए है और दुसरों को भी मेहनत कर खेती को बढ़ाने की सलाह देते हैं
तेंदूपत्ता की तोड़ाई का समय बढ़ाया जाना चाहिए
अक्षय तृतीया के बाद तेंदूपत्ता की खरीदी शुरू होती है उसके बाद ही लोग तेंदूपत्ता की तोड़ाई करते है ताकि बेच सकें । कुछ साल पहले तक तेंदूपत्ता की खरीदी महीने भर लगभग होती थी अब सिर्फ एक हप्ते या 15 दिन ही होती है जिससे लोग अच्छी आय नही कर पाते ।
वन आधारित आजीविका के स्रोतों में से एक स्रोत है तेंदूपत्ता जिसके पौधों की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है इसके कई कारण हो सकते है जैसा संग्रहको ने बताया कि कुछ तो पेड़ों के काटे जाने से कमी आई और कुछ जंगल मे आग की वजह से कमी आई ।
वैसे तेंदूपत्ता तोड़ाई से पहले प्रूनिंग की भी व्यवस्था हैओ लेकिन जिम्मेदार इसे अब कराते ही नही है। प्रूनिंग समय पर हो जाए तो अच्छे पत्ते पेड़ों पर निकलते है जिससे ज्यादा पत्ते तोड़ाई हो पाते है । कम तोड़ाई होने से लोगों को नुकसान हो ही रहा है साथ ही सरकार को भी नुकसान होता है लेकिन कोई फर्क नही पड़ता ।
लोगों की इच्छा है कि जनभागीदारी से पौधे लगाए जाएं ताकि खरीदी का समय भी बढ़ाया जाना चाहिए ताकि गर्मियों में जब उनके पास खेती नही होती उस समय इससे अच्छी आय अर्जित कर सके जिससे आजीविका सुरक्षित हो सके ।
#forest #tendupatta #pruning #environment #livelihood #income #empowerment
Wednesday, 14 May 2025
प्रकृति हमारी निःस्वार्थ सेवा करती है
Tuesday, 6 May 2025
मैट्स में एक युद्ध नशे के विरुद्ध व बाल विवाह मुक्त रायपुर विषय पर कार्यशाला सम्पन्न
मानसून की दस्तक के साथ किसान तैयार
मानसून का आगमन सरगुजा में हो चुका है । इसे देखते हुए किसान अपने खेतों की तरफ चल पड़े हैं अपने हल और बैल लेकर । हमारे कार्यक्षेत्...
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जमीनी स्तर पर कार्यरत स्थानीय स्वैच्छिक संस्थाओं की चुनौतियां -भारत में सदियों से सेवा भाव का स्वरुप इतिहास में पढ़ने को मिलता है, जब देश आजा...
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आपने वृक्ष मित्र का सुना होगा, पर्यावरण या प्रकृति प्रेमी शब्द सुना होगा। अपने नदी प्रेमी भी सुना होगा लेकिन क्या आपने बांस प्रेमी का नाम सु...
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अम्बिकापुर/ युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद जी के जयंती के अवसर पर स्थानीय घड़ी चौक में स्थित स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा पर नवा ...