Saturday, 31 May 2025

किचन गार्डेन के द्वारा आजीविका व स्वास्थ्य की सुरक्षा की बेहतरी के प्रयास

अनमोल फाउंडेशन अपने सरगुजा जिले के अम्बिकापुर विकासखंड अंतर्गत कार्यक्षेत्र के उन महिलाओं को जिनके पास भूमि कम है। ऐसी सभी महिलाओं को किचन गार्डेन का प्रशिक्षण देकर उन्हें सब्जी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है । 
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 
1- भूमिहीन परिवारों को आजीविका से जोड़ना 
2- महिलाओं और बच्चों को भोजन में अच्छी पौष्टिक सब्जी मिले जिससे स्वास्थ्य और पोषण अच्छा हो । 
3- पर्यावरण की सुरक्षा व बढ़ावा 
4- कम भूमि में भी सब्जी खेती हो सकती है, इस पर समझ बनाना
5- किचन वेस्ट का प्रबंध करना जैविक खाद तैयार कर ।
6- महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना 
किचन गार्डेन में नई तकनीकों का उपयोग जैसे मचान पद्धति, वर्टिकल गार्डेन, आदि के बारे में प्रशिक्षण देकर प्रशिक्षित किया गया है । 
फाउंडेशन यहां घर के अनुपयोगी सामानों का पुनः उपयोग करने के लिए भी जोर दे रहा है। 
महिलाएं रुचि लेकर किचेन गार्डेन में सब्जी खेती का काम करके घर के लिए अच्छी सब्जी उत्पादन कर रही हैं । जो सब्जी बाजार से लाने में खर्च होता था उसका बचत हो रहा है । 
अच्छी व पौष्टिक सब्जी खाने को मिल रहा है । महिलाएं उत्साहित है अगली बार से ज्यादा लगाएंगी ताकि बेचकर आय भी अर्जित कर सकें । 

Friday, 30 May 2025

जलभराव से परेशान रहवासी इससे निपटने नगर निगम के पास कोई प्लान नही

जल भराव हर बड़े शहरों की एक बड़ी समस्या है । दिल्ली मुंबई तो इसी के कारण हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं । लेकिन सरकारें आज तक इसका समाधान नहीं कर पाई । 
अब ये जलभराव की समस्या सिर्फ बड़े शहरों की समस्या नहीं है बल्कि ये छोटे -छीटे शहरों में भी हो रही हैं । जिसका समाधान छोटे शहरों के पास भी नही है 

आज सुबह जब रायपुर में थोड़ी तेज बारिश हुई तो हालात ऐसे हो गए । अगर मूसलाधार बारिश हो और लगातार हो तो क्या होगा आप अनुमान लगा सकते हैं । 
जल भराव मानव निर्मित समस्या है इसके पीछे कई कारण है जिनमे 
1- कचरे का उचित प्रबंधन न होना 
2- सड़क नालियां फुटपाथ सभी का कांक्रीटीकरण 
3- नालियों का योजनानुसार निर्माण का न होना 
4- सड़को व नालियों पर रहवासियों का बेतरतीब अवैध कब्जा 
5- बरसात के पूर्व जलभराव की कोई पूर्व तैयारी का न होना 
कोई विकराल घटना घटित न हो इसीलिए शासन को इस दिशा में कार्य करना चाहिए । 
जनभागीदारी से इस कार्य को बेहतर किया जा सकता है 

आजीविका के पारम्परिक तरीका व स्रोत पे बातचीत

छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी बहुल जिला सरगुजा के मैनपाट विकासखंड अंतर्गत ग्राम करमहा में अनमोल फाउंडेशन के निदेशक संजय शर्मा लोगों से आजीविका के मुद्दे पर चर्चा करते हुए । 
मैनपाट विकासखंड का यह ग्राम चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है । यहां आने जाने के लिए कोई साधन नहीं है यहां पैदल ही जाना पड़ता है वो भी पहाड़ पार करके । फाउंडेशन का यहां लोगों से अच्छा जुड़ाव है । यहां पर कई काम हुए गए जिनमे भूमि समतलीकरण, मेड़बन्दी, चैकडेम, कुवां पक्का करण सब्जी खेती व राहत कार्य किया गया । 
आज संजय शर्मा जी लोगों के साथ पारम्परिक आजीविका के स्रोतों व संसाधनों को कैसे बढ़ावा दिया जाए इस विषय पर बातचीत कर रहे हैं ।
उनका मानना है कि लोगों के पास पारम्परिक अनुभव बहुत है उन्हें अगर बढ़ावा दिया जाएगा तो पर्यावरण को बिना क्षति पहुचाए विकास किया जा सकता है 

Thursday, 29 May 2025

एक जन्म एक पौधा अभियान में जुड़ने से उत्साहित महिलाएं

अनमोल फाउंडेशन से जुड़ी जन संगठन ग्राम अधिकार मंच द्वारा क्षेत्र में एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नाम एक फलदार पौधा रोपण के लिए दिया जा रहा है । 
जिसका मुख्य उद्देश्य आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य और आजीविका को मजबूत बनाने के साथ साथ पर्यावरण को भी बेहतर बना जा सके । 
यह अभियान तब तक चलाया जाएगा जब तक कि लोगों स्वंय इसे अपने व्यवहार में न ले लें । जब उन्हें समझ मे आ जाएगा कि इससे उनके आजीविका, उनके स्वास्थ्य व उनके जीवन को फायदा है तो वे स्वंय आगे आकर पेड़ लगाने लगेंगे । 
महिलाओं को जब भी कोई काम मिलता है तो वे बहुत ही जिम्मेदारी से करती हैं और उसे आगे भी बढ़ाती है । किसी को पाल पोसकर बड़ा करना हो तो महिलाओं से बेहतर कोई नही कर सकता । इसलिए इस अभियान में पौधे बच्चे की माँ को दिए जा रहे है वो इसे अपने बच्चे के नाम से लगाएंगी और उसे अच्छे से बड़ा करेंगी
आप इस वीडियो में देख सकते है कितना उत्साहित है पौधे को लगाने व बड़ा करने के लिए बच्चा भी जब बड़ा होगा तो गर्व से कहेगा कि मेरी माँ ने यह पेड़ मेरे नाम से लगाया है और अपनी मां की तरह सेवा करेगा ऐसा उम्मीद करते है 
https://youtube.com/shorts/5bkQhdMVm_I?si=z0ef1hm-AJ9S7mlt

Wednesday, 28 May 2025

सहजन के पत्ते बहुत फायदेमंद है आजीविका व स्वास्थ्य की दृष्टि से

सहजन अपने आप मे एक दवाई है, इसके पत्ते से लेकर फल तक सभी के औषधीय गुण हैं । उपयोग करने के अलग अलग तरीके है जिससे शरीर के अंदर की कई बीमारियों को ठीक कर देता है 

सहजन के पत्ते का आप काढ़ा बना के पी सकते हैं । उसका साग बनाकर कहा सकते हैं । पानी मे डालकर रख दे और उस पानी को छानकर पी सकते है । इन सभी तरीकों से आप सहजन के पत्ते का उपयोग अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए कर सकते हैं ।
अगर आप स्वस्थ हैं तब भी सहजन खाएंगे तो आपके शरीर मे बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ेगी । इसलिए सहजन जब भी माइक खाइए जरूर । 
सहजन का पौधा लगाना आसान है इसे बीज से भी लगा सकते है या डाल तोड़कर भी उगाया जा सकता है। आप अपने गमले में इसे लगा सकते हैं ।
इसकी खेती पर काफी जोर दिया जा रहा है। कम समय मे इसके पौधे तैयार हो जाते हैं । फल भी जल्दी देने लगते हैं । इसके फल, फूल व पत्ते सभी को खाने में उपयोग किया जाता है । 
पत्तो को सुखाकर पाउडर बनाकर बनाकर भी खूब बेचा जा रहा है । लोग दवाई के लिए उपयोग करते हैं । मांग भी खूब है और डॉक्टर भी इसके खाने की सलाह देते हैं । 
गरीब परिवारों के लिए आजीविका व स्वास्थ्य के लिए  बहुत अच्छा स्रोत है। गांव में तो लगभग घरों में एक पौधा मिल ही जाता है । अब इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि लोगों की आजीविका सुरक्षित हो साथ ही स्वास्थ्य का भी देखभाल हो सके ।

माहवारी स्वच्छता दिवस 2025

Menstrual Hygiene Day 2025: हर साल 28 मई को मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पीरियड्स हाइजीन के प्रति लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। 

पीरियड महिलाओं के जीवन का एक ऐसा पहलू है, जिससे उन्हें हर महीने गुजरना पड़ता है। युवावस्था में कदम रखने के साथ लड़कियों में पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। ये न सिर्फ एक नेचुरल प्रक्रिया है, बल्कि महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। 

महिलाओं और समाज में मेंस्ट्रुअल हाइजीन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 28 मई को मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक प्रतीक नहीं है, बल्कि महिलाओं और टीनेजर्स को सम्मान, स्वच्छता और स्वास्थ्य से जोड़ने का एक जरिया है।

मेंस्ट्रुअल हाइजीन का ध्यान रखने के लिए आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना जरूरी है-

प्यूबिक एरिया को नियमित रूप से साफ करें। हल्के साबुन और गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।

नियमित रूप से सैनिटरी पैड या टैम्पोन बदलें, हर 4 से 6 घंटे में बदलने की कोशिश करें।

साफ और सूखे अंडरवियर पहनने की कोशिश करें, जो प्यूबिक एरिया को सूखा रखें।

पर्याप्त मात्रा में आराम करने की कोशिश करें और रोजाना 7-8 घंटे की नींद लें।

मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे इतिहास

मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे की शुरुआत साल 2014 में जर्मन नॉन-सरकारी संगठन WASH यूनाइटेड द्वारा की गई थी। मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे को मनाने के लिए 28 मई की तारीख चुनी गई थीं, क्योंकि आमतौर पर महिलाओं के पीरियड्स हर 28 दिन में होते है और औसतन यह 5 दिन तक चलते हैं। इसलिए, 28 मई इस दिन को मनाने के लिए चुना गया। शुरुआत से ही इस दिन को मनाने का उद्देश्य समाज में मासिक धर्म को लेकर लोगों की चुप्पी, शर्म और कलंक को खत्म करना रहा है। यह महिलाओं को अपने शरीर और स्वास्थ्य के प्रति आत्मनिर्भर और जागरुक बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।

साभार - only my health.com 

Tuesday, 27 May 2025

Date palm plantations should be prompted for rural livelihood and biodiversity conservation

There is a local date palm whose fruit is used for eating, it is very tasty and is also full of nutritional properties. The people of the village consume it. But now it is becoming extinct.
Its nutritional value helps in maintaining good health of the villagers. Also, many products are made from its leaves which are made and sold by the villagers themselves.
But due to its scarcity and the new generation people in the villages not knowing the art of making it, they do not appreciate it.
In cities, dates like its elder brother are available which are sold both in raw and dried form.
It should be promoted from the viewpoint of biodiversity and people's livelihood and health. 
The people of the village should also continue to promote their traditional natural trees and plants and work towards increasing their source of income from it.

https://youtube.com/shorts/PECRJedPIEw?si=OrCfytFAujHPe3nQ

Monday, 26 May 2025

Share with you what you learn

This is a small effort of mine, whenever I visit somewhere and see good things, I capture it in my mobile camera and share it on this YouTube channel so that you can also know about the good efforts that the people of the community are doing together in the society.
You should visit the channel, watch the videos and appreciate them if you like them. If you find something lacking, give your valuable suggestions. 
We are not professionals but we have a passion and try to learn a little from you, a little from the children and a little from the rural brothers and sisters and whatever we learn, we share it with you.

https://youtube.com/@janjudaw?si=koL9HRz5lqnQn8QS

Saturday, 24 May 2025

Safe Traditional Way Storing Animal Food

There is a traditional way of safely storing dry fodder for animals in the village.
A wooden scaffold is made and straw is placed on it in such a way that rainwater does not stay on it and it does not fly away in a storm.


There is no harm in keeping it at such a height, no other animal can eat it and the risk of fire is also less.
This is an excellent safe traditional method
#traditional #mathod

Friday, 23 May 2025

People of Gram Adhikar Manch are encouraging people to plant one tree in one birth

Gram Adhikar Manch, in collaboration with Rajmeru Sansthan and public participation, is carrying out a campaign to plant trees in the name of all children under the age of one year in 10 villages of Ambikapur and Mainpat development blocks.


The objective of this campaign is not only to protect the environment but also to protect livelihood, health, nutrition and employment by planting fruit trees.

When the children grow up, this plant will become a tree and will start bearing fruits, then they will get fruits, if they eat the fruits, their health and nutrition will improve and if they earn income by selling them, they will get employment and income will be earned.

People are being encouraged to make this campaign a habit so that every family plants at least one tree in the name of each family member and includes it in their family chores and responsibilities.
#environment #employment #livelihood #health #nutrition #motivational #savetree #saveearth #savelife #savefirest

https://youtu.be/zoJr9RCgEtk?si=G1TU9OFPiMghKsjo

Thursday, 22 May 2025

Change of Story - When they got organized, there was a change in the village

Budhram Korwa, one of the founding members of Gram Adhikar Manch who comes from the Pahari Korwa community, how he gained knowledge through the training related to the Manch and using that knowledge, he was able to bring about many changes in himself and his village.
We were able to ensure electricity, roads and water. This was possible by making organized efforts. We also got work and if we did not get wages on time, we fought for it and got the wages.
When he came forward in leadership, he also represented the Panchayat, became Panch twice and was also Deputy Sarpanch twice. Respect increased in the meetings of Panchayats and all this is the contribution of the organization and Gram Adhikar Manch.

https://youtube.com/shorts/WAovwsh9xF8?si=tfkY16PYMkh1fd62

One Birth One Plant Campaign

On the occasion of International Biodiversity Day 2025, the people's organization Gram Adhikar Manch, run by Anmol Foundation, planted *One Birth One Plant* in 10 villages in the name of those members of the forum who have children of 1 year or less than 1 year of age in their homes.


Under the leadership of Rakesh, the men and women of the village planted saplings together
The objective was that when the child grows up, he should himself use the fruit of the plant named after him so that his health remains good and his livelihood is secure.
Along with this we should also get inspiration that we too have to work for the environment.
#environment #cg #government #forest #plant #tree #saveearth #savelife #savewater #saveforest

Sunday, 18 May 2025

पुदीने की खेती से आय अर्जित की जा सकती है

पुदीने की खेती (पुदीना हरा) के लिए शीतोष्ण और ठंडी जलवायु आदर्श होती है। पुदीना को बलुई दोमट या चिकनी मिट्टी में उगाया जा सकता है। इसे बीज या रोपाई से उगाया जा सकता है। पुदीना 100-120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाता है। 

पुदीना बलुई दोमट या चिकनी मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ता है। पुदीना बीज या रोपाई से उगाया जा सकता है। बीज से उगाए गए पौधे विभिन्न प्रकारों के बीच संकरण कर सकते हैं, इसलिए विशिष्ट किस्मों के लिए स्थापित पौधे खरीदना बेहतर है। 

पुदीना 100-120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाता है। जब निचले पत्ते पीले रंग के होने शुरू हो जाएं, तब कटाई करें। पुदीना ऐसी फसल है जिसे काटने के बाद हर 20 दिन में दोबारा पत्तियां उग आती हैं। 

नौकरी नहीं मिली तो खेती से कमाई कर रहे लाखों रुपए

सरगुजा जिले के अम्बिकापुर विकासखंड के नवानगर ग्राम पंचायत के हरिजन पारा में रहने वाले मकरध्वज पैकरा ने 10वी  तक पढ़ाई कर नौकरी के लिए काफी प्रयास किया लेकिब जब नौकरी नहीं मिली तो फिर खेती के लिए विचार करना शुरू किया । उसी संस्था ग्राम अधिकार मंच द्वारा किसानों को एक्सपोजर के द्वारा रेनुकूट के पास एक एनजीओ में ले जाया गया जहां खेती करने के बहुत सारे तरीके देखे और सीखे । एक्सपोजर में तो कई गांव से कई किसान गए थे लेकिन नवानगर में सिर्फ मकरध्वज ने ही आने के बाद कृषि कार्य को अपनाया । 

मकरध्वज पहले एक एकड़ में अदरक की खेती से शुरुआत किया था आए अच्छा मुनाफा हुआ तो रुचि और बढ़ गई और फिर मिर्ची, बैगन, टमाटर और धान तथा गन्ने की फसल लेना शुरू किए हर साल एक -एक फसल बढ़ाते चले गए । एक एकड़ में लगभग 10 से 15 हजार रुपए खर्च होता है और उससे 80 से 90 हजार रुपए कमाई हो जाता है इस तरह अलग अलग खेती करके लाखों रुपए सालाना कमा रहे है । इस खेती में मकरध्वज स्वंय व उनकी पत्नी और दो बच्चे तथा बहुये सभी मदद करती करती है । खेती से पूरे परिवार को रोजगार मिला हुआ है । सुबह 4 बजे भोर से पूरा परिवार खेती के कामों में जुट जाता है । शाम को बैगन तोड़कर लाए कुछ रात में खराब बैगन की छटनी की कुछ सुबह 4 बजे से उठाकर पूरा परिवार लगा रहा  सुबह गाड़ी आई और मंडी भेज दिए आए परिवार खेत चला गया । दिन रात मेहनत का परिणाम इन्हें सफलता की राह पर ले आया । अभी संस्था की मदद से मशरूम उत्पादन भी शुरू करने वाले है । इनकी मेहनत और सफलता को देखते हुए गांव में और भी लोग कृषि को अपनाकर नई नई पद्धतियों का उपयोग कर कृषि कार्य कर रहे है । आज मकरध्वज अपने गांव व आसपास के गांव के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए है और दुसरों को भी मेहनत कर खेती को बढ़ाने की सलाह देते हैं 

तेंदूपत्ता की तोड़ाई का समय बढ़ाया जाना चाहिए

अक्षय तृतीया के बाद तेंदूपत्ता की खरीदी शुरू होती है उसके बाद ही लोग तेंदूपत्ता की तोड़ाई करते है ताकि बेच सकें । कुछ साल पहले तक तेंदूपत्ता की खरीदी महीने भर लगभग होती थी अब सिर्फ एक हप्ते या 15 दिन ही होती है जिससे लोग अच्छी आय नही कर पाते । 

वन आधारित आजीविका के स्रोतों में से एक स्रोत है तेंदूपत्ता जिसके पौधों की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है इसके कई कारण हो सकते है जैसा संग्रहको ने बताया कि कुछ तो पेड़ों के काटे जाने से कमी आई और कुछ जंगल मे आग की वजह से कमी आई । 

वैसे तेंदूपत्ता तोड़ाई से पहले प्रूनिंग की भी व्यवस्था हैओ लेकिन जिम्मेदार इसे अब कराते ही नही है। प्रूनिंग समय पर हो जाए तो अच्छे पत्ते पेड़ों पर निकलते है जिससे ज्यादा पत्ते तोड़ाई हो पाते है । कम तोड़ाई होने से लोगों को नुकसान हो ही रहा है साथ ही सरकार को भी नुकसान होता है लेकिन कोई फर्क नही पड़ता । 

लोगों की इच्छा है कि जनभागीदारी से पौधे लगाए जाएं ताकि खरीदी का समय भी बढ़ाया जाना चाहिए ताकि गर्मियों में जब उनके पास खेती नही होती उस समय इससे अच्छी आय अर्जित कर सके जिससे आजीविका सुरक्षित हो सके । 

#forest #tendupatta #pruning #environment #livelihood #income #empowerment 

Wednesday, 14 May 2025

प्रकृति हमारी निःस्वार्थ सेवा करती है

पौधरोपण के नाम पर वृक्षारोपण के नाम पर लोग वृक्ष तो खूब लगाते है लेकिन वो वनों में परिवर्तित होते नजर नहीं आ रहे । 
प्राकृतिक वन आए प्राकृतिक वृक्षों का अपना महत्व है चिड़िया भी घोसला वहीं बनाती है जहां उसे सुरक्षा महसूस होता है जो उसके अनुकूल होता है और उसके अनुकूल सिर्फ पारम्परिक वृक्ष ही होते है । वो कभी कलमी पौधे या आधुनिक समय के पौधो पर घर नही बनाते यहां तक कि नन्हे नही जीव भी उसपर आश्रय नही बनाते । 
प्राकृतिक पौधों में ठंडक होती है घनत्व होता है जो छाया देता है तो साथ मे शीतलता भी प्रदान करता है । 
प्राकृतिक पौधों का जो जड़ होता है वो मिट्टी के छरण को रोकता है अधिकांश प्राकृतिक पेड़ पौधे दवाइयों के काम आते है जो फलदार होते है वो फल देते है उनके फल भी सेहत के फायदेमंद होते उनमें विटामिन्स भरपूर मात्रा में पाए जाते है । जो फल नहीं भी देते है उनमें से भी अधिकांश मेडिसिनल होते है । 
प्रकृति की संरचना ऐसी है कि पत्थर , बालू, मिट्टी, घास, पेड़ - पौधे, छोटी -छोटी झाड़ियां सभी आपस मे एक दूसरे के बहुत ही घनिष्ट मित्र होते है और आपसे में एक दूसरे की मदद करते है । और ये सब सिर्फ आपस मे मित्र नही होते बल्कि वे हम मनुष्यों के भी बहुत अच्छे दोस्त होते हैं । 
हम उनके दोस्ती को नहीं समझते हैं और उन्हें थोड़े से लालच के लिए नष्ट करते जा रहे हैं । 
हम सबको उनकी दोस्ती और प्रेम को समझना होगा उनके निस्वार्थ सम्मान व समर्पण को समझना होगा उन्हें गले लगाना होगा उन्हें बचाना होगा । 

Tuesday, 6 May 2025

मैट्स में एक युद्ध नशे के विरुद्ध व बाल विवाह मुक्त रायपुर विषय पर कार्यशाला सम्पन्न

महिला एवं बाल विकास विभाग रायपुर व मैट्स यूनिवर्सिटी रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में *एक युद्ध नशे के विरुद्ध व बाल विवाह मुक्त रायपुर* विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर अतिथि शामिल अपने शासन की पहल, कानून व्यवस्था व अनुभव साझा किए ।
कार्यक्रम में मुख्यातिथि डॉक्टर दिनेश मिश्रा नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं अध्यक्ष अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति , साथ ही अन्य अतिथिगणों में विपिन ठाकुर राज्य समन्वयक बचपन बचाओ आंदोलन संजय जी महिला एवं बाल विकास विभाग रायपुर व डॉक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकर सदस्य बाल संरक्षण समिति व  डॉक्टर दीनानाथ यादव विभागाध्यक्ष समाज कार्य मैट्स यूनिवर्सिटी रायपुर शामिल रहे । 
प्रतिभागियों में मैट्स यूनिवर्सिटी के छात्र - छात्राओं ने भाग लिया 

मानसून की दस्तक के साथ किसान तैयार

मानसून का आगमन सरगुजा में हो चुका है । इसे देखते हुए किसान अपने खेतों की तरफ चल पड़े हैं अपने हल और बैल लेकर ।  हमारे कार्यक्षेत्...