सरगुजा जिले के अम्बिकापुर विकासखंड के नवानगर ग्राम पंचायत के हरिजन पारा में रहने वाले मकरध्वज पैकरा ने 10वी तक पढ़ाई कर नौकरी के लिए काफी प्रयास किया लेकिब जब नौकरी नहीं मिली तो फिर खेती के लिए विचार करना शुरू किया । उसी संस्था ग्राम अधिकार मंच द्वारा किसानों को एक्सपोजर के द्वारा रेनुकूट के पास एक एनजीओ में ले जाया गया जहां खेती करने के बहुत सारे तरीके देखे और सीखे । एक्सपोजर में तो कई गांव से कई किसान गए थे लेकिन नवानगर में सिर्फ मकरध्वज ने ही आने के बाद कृषि कार्य को अपनाया ।
मकरध्वज पहले एक एकड़ में अदरक की खेती से शुरुआत किया था आए अच्छा मुनाफा हुआ तो रुचि और बढ़ गई और फिर मिर्ची, बैगन, टमाटर और धान तथा गन्ने की फसल लेना शुरू किए हर साल एक -एक फसल बढ़ाते चले गए । एक एकड़ में लगभग 10 से 15 हजार रुपए खर्च होता है और उससे 80 से 90 हजार रुपए कमाई हो जाता है इस तरह अलग अलग खेती करके लाखों रुपए सालाना कमा रहे है । इस खेती में मकरध्वज स्वंय व उनकी पत्नी और दो बच्चे तथा बहुये सभी मदद करती करती है । खेती से पूरे परिवार को रोजगार मिला हुआ है । सुबह 4 बजे भोर से पूरा परिवार खेती के कामों में जुट जाता है । शाम को बैगन तोड़कर लाए कुछ रात में खराब बैगन की छटनी की कुछ सुबह 4 बजे से उठाकर पूरा परिवार लगा रहा सुबह गाड़ी आई और मंडी भेज दिए आए परिवार खेत चला गया । दिन रात मेहनत का परिणाम इन्हें सफलता की राह पर ले आया । अभी संस्था की मदद से मशरूम उत्पादन भी शुरू करने वाले है । इनकी मेहनत और सफलता को देखते हुए गांव में और भी लोग कृषि को अपनाकर नई नई पद्धतियों का उपयोग कर कृषि कार्य कर रहे है । आज मकरध्वज अपने गांव व आसपास के गांव के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए है और दुसरों को भी मेहनत कर खेती को बढ़ाने की सलाह देते हैं
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