Monday, 4 November 2013

पर्यावरण – कचरा प्रबंधन के नए नियमो के प्रारूप को लेकर आशंका , प्लास्टिक मिश्रित कचाराजलाने से विषैली गैसों का खतरा



पर्यावरण संरक्षक कचरा प्रबंधन के नए म्युनिसिपल ड्राफ्ट रूल्स के विरोध में है | पर्यावरण संरक्षकों का कहना है की केंर्दा ने शहरी क्षेत्रो में कूड़े – कचरे के प्रबंधन के लिए जो नियन तैयार किए है , उससे देश में कूड़ा जलाने वाले पलान्ट्स को बढ़ावा मिलेगा | यह पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक है | पर्यावरण संरक्षकों ने नए ड्राफ्ट रूल्स को अदालत में चुनौती दी है |
म्युनिसिपल वेस्ट रूल्स २०१३ के ड्राफ्ट पर आपत्ति
पर्यावरण संरक्षकों का कहना है की केंद्र के नए म्युनिसिपल वेस्ट रूल्स २०१३ के ड्राफ्ट में रखे गए  प्रावधानों से शहरी क्षेत्रो से निकालने वाले ठोस कचरे की सफाई व् रिसाइकलिंग के बजाए वेस्ट एनर्जी प्लांट में जलाने को बढ़ावा मिलेगा | गौरतलब है की पर्यावरण विद इससे पहले कचरे की छटाई व्यवस्था को लेकर लंबा संघर्ष कर चुके है | इसमे कचरे की कम्पोष्ट खाद व रिसाइकलिंग की जा सकने वाली सामग्री के आधार पर छटनी की जानी चाहिए थी, लेकिन शायद ही कही पर कूड़े की छटनी हो रही है |
कर्नाटका हाईकोर्ट से रोक
पर्यावरण संरक्षकों को भय है की संसदीय स्थायी समिति की सिफारिसो और वैज्ञानिक समझ को दरकिनार करते हुए सरकारे इन नियमो को आधार बनाकर देश भर में कचरा जलाने वाले प्लांट्स खड़े कर देगी | गौरतलब है की कर्नाटका हाईकोर्ट ने नए नियमो को लागू करने पर रोक लगाते हुए केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को ड्राफ्ट रूल्स पर आपत्तिया आमंत्रित करने और जरुरत होने पर संशोधन करने का आदेश दिया है | हाईकोर्ट ने कहा है की लागू किए जाने से पहले नियमो को अंतिम टूर पर परखा जाना चाहिए |
अभी देश में कुल पांच प्लांट
आन्ध्र प्रदेश , दिल्ली, चंदेगढ़ , राजकोट और पुणे को मिलाकर कुछ पांच कचरा जलाने वाले प्लांट है | इन सभी प्लांट का निर्माण इस आधार पर किया गया है की वेस्ट एनर्जी प्लांट संचालित करने वाले कंपनिया कचरे से प्लास्टिक कचरे को अलग करेंगी, ताकि प्लास्टिक कचरे के  जलने से वायुमंडल में पहुचने वाली हानिकारक गैसों को रोका जा सके | हालाकि ऐसा नहीं हो रहा है , क्योकि नॅशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल के निर्देश पर जब सेन्ट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने दिल्ले के ओखला प्लांट का निरीक्षण किया तो पाया की मानी स्तर से कही ज्यादा डाक्सिन और फ्युरान कैंसर पैदा करने वाले तत्वों में शामिल किए जाते है |
प्रति मेगावाट १.५ करोड़ छुट
पर्यावरण संरक्षक गोपाल कृष्ण के अनुसार , देश में वेस्ट एनर्जी प्लांट की संख्या तेजी से बढ़ेगी, क्योकि केन्द्रीय नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय प्रति मेगावाट १.५ करोड़ रुपये का अनुदान दे रहा है | गौरतलब है की भारत में ६९० लाख तन कचरा पैदा होता है , जबकि २० फीसदी रिसाइकिल किया जाने वाला कचरा होता है | नियंत्रक महालेखाकार परीक्षक (सी ए जी ) की २००८ की रिपोर्ट बताती है की नगरपालिकाए व् नगर निगम ठोस कचरा प्रबंधन में लापरवाही बारात रही है | २४ राज्यों की ५६ नगरपालिकाओं में केवल १० फीसदी नगरपालिकाए ही कचरे की छटाई करती है , जबकि २२ फीसदी नगरपालिकाए नियमित तौर पर कचरा उठाती है
साभार – पत्रिका एक्पोज रायपुर -२.११.२०१३

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