Monday, 4 November 2013

जेंडर जस्टिस – अध्ययन में ८०% किशोरियों ने किया स्वीकार ,आपदा के बाद आश्रय छिनने से बढ़ जाते है किशोरियों के लिए खतरे



आपदा , यु तो सभी के लिए मुसीबत बनाकर आती है , लेकिन दूसरो के मुकाबले किशोरियों के लिए अधिक जोखिम पैदा करती है | आपदा के बाद की परिस्थितियों में किशोरियों की बिक्री या तश्करी जैसे खतरे बढ़ जाते है|
आपदा के समय किशोरियों की स्थिति
सर्वे में लगभग ८० फीसदी किशोरियों ने स्वीकार किया है की आपदा के बाद उनके लिए सुरक्षित आश्रय की चुनौती होती है | इसके आलावा उन्हें निजता व आत्मसम्मान के मोर्चे पर, चाहे घर में हो या राहत कैम्प में नौती का सामना करना पड़ता है | इसके बावजूद उन्हें सबसे ज्यादा जिस बात का भय सताता है, वह यह की उनकी शादी जल्दी कर दी जाएगी | इसके अलावा लगभग एक चौथाई किशोरियों ने आपदा के बाद की परिस्थितियों में बेचे जाने या तस्करी किए जाने के भय को भी स्वीकार किया | प्लान इंडिया ने आपदा के समय किशोरियों की स्थिति रिपोर्ट जारी की है | इसमे किशोरियों पर आपदा के प्रभाव , सामुदायिक स्तर पर मौजूद सुरक्षा , उत्तरजीविता , विकास और भागीदारी का सर्वे शामिल है |
चार राज्यों में हुआ सर्वे
सर्वे के मुताविक , लगभग एक तिहाई किशोरियों ने खानपान में लैंगिक आधार पर भेदभाव किए जाने की बात स्वीकार की है | राजस्थान से तुलना करने पर बिहार ,उत्तरप्रदेश और आँध्रप्रदेश में ज्यादा असमानता पाई गई | राजस्थान ,उत्तरप्रदेश और बिहार के ७०% से ज्यादा किशोरियों और ८०% से ज्यादा किशोरों ने माना की आपदा के समय शौचालय को लेकर समस्या होती है | खाश टूर पर लडकिया ज्यादा प्रभावित होती है |
लैंगिक भेदभाव है समस्या
आपदा सभी लोगो के जीवन पर प्रभाव डालता है , लेकिन लैंगिक स्थिति के चलते लड़कियो के जीवन को अधिक प्रभावित करता है | बिहार में ४५% उत्तरप्रदेश और आन्ध्रप्रदेअश में ३५% लड़कियों ने स्वीकार किया की आपदा के समय लैंगिक भेद का सामना करना पडा | लैंगिक भेदभाव और उम्र के चलते आपदा के बाद की स्थितियों में लड़कियों के लिए खतरे बढ़ जाते है | सर्वे में शामिल सभी चारो राज्यों में शौचालयों की संख्या में कमी पाई गई है | सर्वे के दौरान केवल १७ फीसदी किशोरियों ने माना की वे शौचालयों की सुविधा का इश्तेमाल करती है | ३१ फीसदी किशोरियों ने स्वीकार किया की मासिक धर्म के निजता की कमी व अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है |
जल्दी शादी होने का खतरा
राजस्थान , यूपी एवं बिहार की लगभग ४० फीसदी लड़कियों ने स्वीकार किया की आपदा के समय उनके लिए खतरे बढ़ जाते है, क्योकि वे लड़को के मुकाबले कमजोर है | हालाकि आंध्रा प्रदेश में यह प्रतिशत १८ % रहा | राजस्थान में ४५% आन्ध्राप्रदेश में ५०% और बिहार में ५८% फीसदी किशोरियों ने माना की आपदा के बाद जल्दी शादी कर दी जाने का भय होता है | बिहार और आँध्रप्रदेश की एक चौथाई किशोरियों ने बेचे जाने या फिर तस्करी होने के भय को स्वीकार किया | इसके अलावा एक तिहाई किशोरियों ने माना की आपदा जैसी घटनाए लड़कियों को मनोबैज्ञानिक असर डालती है | उत्तरप्रदेश और बिहार में लड़कियों ने स्कुल और घर में शारीरिक शोषण किए जाने की बात स्वीकार की |
साभार – पत्रिका एक्सपोज –रायपुर ५.११.२०१३

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