आपदा , यु तो सभी के
लिए मुसीबत बनाकर आती है , लेकिन दूसरो के मुकाबले किशोरियों के लिए अधिक जोखिम
पैदा करती है | आपदा के बाद की परिस्थितियों में किशोरियों की बिक्री या तश्करी
जैसे खतरे बढ़ जाते है|
आपदा के समय
किशोरियों की स्थिति
सर्वे में लगभग ८०
फीसदी किशोरियों ने स्वीकार किया है की आपदा के बाद उनके लिए सुरक्षित आश्रय की
चुनौती होती है | इसके आलावा उन्हें निजता व आत्मसम्मान के मोर्चे पर, चाहे घर में
हो या राहत कैम्प में नौती का सामना करना पड़ता है | इसके बावजूद उन्हें सबसे
ज्यादा जिस बात का भय सताता है, वह यह की उनकी शादी जल्दी कर दी जाएगी | इसके
अलावा लगभग एक चौथाई किशोरियों ने आपदा के बाद की परिस्थितियों में बेचे जाने या
तस्करी किए जाने के भय को भी स्वीकार किया | “प्लान इंडिया “ ने “आपदा के समय
किशोरियों की स्थिति “रिपोर्ट जारी की है
| इसमे किशोरियों पर आपदा के प्रभाव , सामुदायिक स्तर पर मौजूद सुरक्षा ,
उत्तरजीविता , विकास और भागीदारी का सर्वे शामिल है |
चार राज्यों में हुआ
सर्वे
सर्वे के मुताविक ,
लगभग एक तिहाई किशोरियों ने खानपान में लैंगिक आधार पर भेदभाव किए जाने की बात
स्वीकार की है | राजस्थान से तुलना करने पर बिहार ,उत्तरप्रदेश और आँध्रप्रदेश में
ज्यादा असमानता पाई गई | राजस्थान ,उत्तरप्रदेश और बिहार के ७०% से ज्यादा
किशोरियों और ८०% से ज्यादा किशोरों ने माना की आपदा के समय शौचालय को लेकर समस्या
होती है | खाश टूर पर लडकिया ज्यादा प्रभावित होती है |
लैंगिक भेदभाव है
समस्या
आपदा सभी लोगो के
जीवन पर प्रभाव डालता है , लेकिन लैंगिक स्थिति के चलते लड़कियो के जीवन को अधिक
प्रभावित करता है | बिहार में ४५% उत्तरप्रदेश और आन्ध्रप्रदेअश में ३५% लड़कियों
ने स्वीकार किया की आपदा के समय लैंगिक भेद का सामना करना पडा | लैंगिक भेदभाव और
उम्र के चलते आपदा के बाद की स्थितियों में लड़कियों के लिए खतरे बढ़ जाते है |
सर्वे में शामिल सभी चारो राज्यों में शौचालयों की संख्या में कमी पाई गई है |
सर्वे के दौरान केवल १७ फीसदी किशोरियों ने माना की वे शौचालयों की सुविधा का
इश्तेमाल करती है | ३१ फीसदी किशोरियों ने स्वीकार किया की मासिक धर्म के निजता की
कमी व अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है |
जल्दी शादी होने का
खतरा
राजस्थान , यूपी एवं
बिहार की लगभग ४० फीसदी लड़कियों ने स्वीकार किया की आपदा के समय उनके लिए खतरे बढ़
जाते है, क्योकि वे लड़को के मुकाबले कमजोर है | हालाकि आंध्रा प्रदेश में यह
प्रतिशत १८ % रहा | राजस्थान में ४५% आन्ध्राप्रदेश में ५०% और बिहार में ५८%
फीसदी किशोरियों ने माना की आपदा के बाद जल्दी शादी कर दी जाने का भय होता है |
बिहार और आँध्रप्रदेश की एक चौथाई किशोरियों ने बेचे जाने या फिर तस्करी होने के
भय को स्वीकार किया | इसके अलावा एक तिहाई किशोरियों ने माना की आपदा जैसी घटनाए लड़कियों
को मनोबैज्ञानिक असर डालती है | उत्तरप्रदेश और बिहार में लड़कियों ने स्कुल और घर
में शारीरिक शोषण किए जाने की बात स्वीकार की |
साभार – पत्रिका
एक्सपोज –रायपुर ५.११.२०१३
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