एतिहासिक
इमारतों के अध्ययन के विषय पर सरकार व आई आई टी की सहभागिता को साइंस एन्ड हैरिटेज
इनिशिएटिव –संधि नाम दिया गया है | आई आई टी रुढ़की के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर गौरव
रहेजा के अनुसार , इसका उद्देश्य केवल मौजूदा स्वरुप को संरक्षित करना ही नहीं है
बल्कि प्राचीन ज्ञान को सामने लाना भी लक्ष्य है |
नौ
विरासतों के संरक्षण में आई आई टी की माँगी मदद
संस्कृति
मंत्रालय ने नौ एतिहासिक स्थलों की सुरक्षा व संरक्षण में सहयोग के लिए सभी आई आई
टी को आमंत्रित किया | इनमे दिल्ली का लाल किला , बिहार के राजगीर के स्तूप और
मध्यप्रदेश की बाघ गुफाए शामिल है | लाल किले के लिए मंत्रालय चाहता है की आई आई
टी भू जल स्तर व प्रतिरोधकता का सर्वे करे और यहाँ पर लम्बे समय से पानी के रिसाव
की समस्या का निदान सुझाए | इसके अलावा तकनीकी संस्थानों से गुजरात के कच्छ के
रण के वेणुकोट में पुराणी नदी प्रणाली के
जल प्रवाह व भूकंप के सबूतों की जांच के लिए कहा गया है | इसके अलावा धौलवीरा के
हड़प्पा कालीन शहर और कच्छ के रण के आसपास के क्षेत्रो का गणतीय माडल तैयार करने के
लिए भी कहा गया है |
ए
एस आई ने भी आई आई टी की मदद का दिया सुझाव
मंत्रालय
ने विहार के पुराने शहर राजगीर में स्तुपो के साथ – साथ नालंदा के पूरा अवशेषों के
वैज्ञानिक अध्ययन के लिए आमंत्रित किया है | इस विषय पर हाल में सरकार की तरफ से
आयोजित वर्कशाप में आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया ( ए एस आई ) ने कहा था की
स्मारकों और एतिहासिक भवनों की स्थिति का आकलन करने व उन्हें संरक्षित करने
सम्बंधित उपायों के बारे में आई आई टी जैसे संस्थानों की मदद से लाभ मिल सकता है |
ए एस आई के एक अधिकारी ने बताया की अन्वेषण , संरक्षण व खुदाई जैसे विभिन्न
प्रोजेक्ट में आई आई टी से बहुत तरह से बड़ी मदद मिल सकती है | गौरतलब है की इससे
पहले भी सरकार एतिहासिक स्थलों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए आई आई टी जैसे
संस्थानों की मदद लेती रही है |
साभार
– पत्रिका एक्सपोज रायपुर १९-११-१३
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