Tuesday, 19 November 2013

आई आई टी की मदद से एतिहासिक स्थलों के संरक्षण के साथ अध्ययन की कवायद

एतिहासिक इमारतों के अध्ययन के विषय पर सरकार व आई आई टी की सहभागिता को साइंस एन्ड हैरिटेज इनिशिएटिव –संधि नाम दिया गया है | आई आई टी रुढ़की के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर गौरव रहेजा के अनुसार , इसका उद्देश्य केवल मौजूदा स्वरुप को संरक्षित करना ही नहीं है बल्कि प्राचीन ज्ञान को सामने लाना भी लक्ष्य है |
नौ विरासतों के संरक्षण में आई आई टी की माँगी मदद
संस्कृति मंत्रालय ने नौ एतिहासिक स्थलों की सुरक्षा व संरक्षण में सहयोग के लिए सभी आई आई टी को आमंत्रित किया | इनमे दिल्ली का लाल किला , बिहार के राजगीर के स्तूप और मध्यप्रदेश की बाघ गुफाए शामिल है | लाल किले के लिए मंत्रालय चाहता है की आई आई टी भू जल स्तर व प्रतिरोधकता का सर्वे करे और यहाँ पर लम्बे समय से पानी के रिसाव की समस्या का निदान सुझाए | इसके अलावा तकनीकी संस्थानों से गुजरात के कच्छ के रण  के वेणुकोट में पुराणी नदी प्रणाली के जल प्रवाह व भूकंप के सबूतों की जांच के लिए कहा गया है | इसके अलावा धौलवीरा के हड़प्पा कालीन शहर और कच्छ के रण के आसपास के क्षेत्रो का गणतीय माडल तैयार करने के लिए भी कहा गया है |
ए एस आई ने भी आई आई टी की मदद का दिया सुझाव
मंत्रालय ने विहार के पुराने शहर राजगीर में स्तुपो के साथ – साथ नालंदा के पूरा अवशेषों के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए आमंत्रित किया है | इस विषय पर हाल में सरकार की तरफ से आयोजित वर्कशाप में आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया ( ए एस आई ) ने कहा था की स्मारकों और एतिहासिक भवनों की स्थिति का आकलन करने व उन्हें संरक्षित करने सम्बंधित उपायों के बारे में आई आई टी जैसे संस्थानों की मदद से लाभ मिल सकता है | ए एस आई के एक अधिकारी ने बताया की अन्वेषण , संरक्षण व खुदाई जैसे विभिन्न प्रोजेक्ट में आई आई टी से बहुत तरह से बड़ी मदद मिल सकती है | गौरतलब है की इससे पहले भी सरकार एतिहासिक स्थलों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए आई आई टी जैसे संस्थानों की मदद लेती रही है |
साभार – पत्रिका एक्सपोज रायपुर १९-११-१३  





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