सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई
करते हुए इनफार्मेशन टेक्नालोजी एक्ट (आई टी एक्ट ) के प्रावधान पर केन्द्रीय
मंत्रालयों व राज्य सरकार से जबाब माँगा है | आई टी एक्ट में आन लाइन अपमानजनक
टिप्पणी व लेखन के लिए तीन वर्ष तक जेल की सजा का प्रावधान है | जष्टिश आर. एम्.
लोढ़ा व जष्टिश शिव कीर्ति सिंह की बेंच ने पीपुल्स यूनियन फार लिबर्टी (पीयूसीएल )
की जनहित याचिका पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय व संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी
मंत्रालय को नोटिस जारी किया है | पीयूसीएल ने दण्डित करने की शक्ति पुलिस को देने
वाली आईटी एक्ट की धारा “६६ए” के अलावा सूचना तक जनता की पहुच रोकने व
वेबसाइट्स को प्रतिबंधित करने वाले नियमो को भी चुनौती दी है | याचिका में कानून व
सूचना तकनीकी विशेषज्ञों की समिति बनाने व आईटी एक्ट के हाल के मामलों की समीक्षा
करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है | याचिका में कहा गया है की आईटी एक्ट
के प्रावधानों से संविधान के अनुच्छेद – १४ (समानता का अधिकार ), अनुच्छेद – १९ (वाक्
व अभिव्यक्ति का अधिकार ) और अनुच्छेद – २१ (जीवन के अधिकार ) का उल्लंघन होता है
| इसके अलावा आईटी एक्ट की धारा ६६ए के तहत जो प्रतिबन्ध लगाए गए है , वे संविधान
के अनुच्छेद -१९(२) के दायरे में नहीं आते है | याचिका में आईटी एक्ट की धारा –
६६ए के दुरुपयोग के उदाहरण दी गए है | इसमे एक राजनेता के निधन पर अघोषित बंद को
लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर की गई टिप्पणी करने व उसे लैक करने के लिए
महाराष्ट्र के पालघर से दो लड़कियों की गिरफ्तारी का मामला शामिल है |
साभार –पत्रिका एक्सपोज रायपुर
-२४-११-२०१३