यह जानकारी सभी को है कि छत्तीसगढ़ राज्य के
अंतर्गत पुराने समय से ही जादू-टोना जैसी कुरीतियाँ एवं अंधविस्वास व्याप्त है |
केवल इतना ही नहीं बल्कि महिलाओं को टोनही के नाम से कलंकित एवं प्रताड़ित भी किया
जा रहा है और समाज में ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण मान्यता के कारण ही अत्याचार , कलह एवं
हिंसा का वातावरण बना रहता है| जादू टोना के भय के कारण समाज अविकसित, शोषित और
दमित होकर रह गया है | टोनही के नाम पर छत्तीसगढ़ में हत्याएं हो रही है | इसी
तारतम्य में माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के द्वारा एक रिट याचिका में सकारात्मक
अभिमत प्रकट करते हुए उच्च न्यायालय ने विधायिका को उसके निवारण के लिए कानून
बनाने के निर्देश दिए थे जिसके परिणाम स्वरुप छत्तीसगढ़ राज्य की विधायिका ने
छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना अधिनियम 2005 के नाम से इस अधिनियम का निर्माण किया जिससे
समाज में स्वस्थ मानसिकता कायम हो सके और टोनही के नाम से उपेक्षित एवं प्रताड़ित
व्यक्तियों को विधिक सुरक्षा प्रदान की जा सके | संक्षेप में टोनही प्रताड़ना
निवारण अधिनियम 2005 की संक्षिप्त जानकारी निम्नानुसार है :-
1-
इस
अधिनियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को टोनही के रूप में पहचान,
अपने किसी भी कार्य, शब्दों, भाव भंगिमा या व्यवहार से नहीं कर सकेगा, जिससे ऐसे
किसी भी व्यक्ति को कोई क्षति पहुचने की आशंका हो अथवा उसकी सुरक्षा एवं सम्मान
में कोई विपरीत प्रभाव पड़े क्योकि एसा करना अपराध है |
2-
छत्तीसगढ़
राज्य में अब किसी को टोनही के रूप में पहचान करके किसी के प्रकार के शारीरिक अथवा
मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं किया जा सकेगा या नुकसान नहीं पहुचाया जा सकेगा
क्योकि एसा कराना अपराध है |
3-
जो कोई
किसी व्यक्ति को टोनही के रूप में पहचान किए गए या टोनही द्वारा प्रभावित किए गए
व्यक्ति, पशु या जीवित वास्तु पर ओझा के रूप में झाद्फुक या तंत्र -मंत्र का उपयोग
करके उपचार पर नियंत्रण करने का दावा करता हो तो वह भी एक अपराध है |
4-
छत्तीसगढ़
राज्य में कोई व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता कि वह किसी प्रकार से काला जादू बुरी
नजर या किसी अन्य रीति से किसी व्यक्ति, पशु अथवा जीवित वस्तुओं को क्षति पहुचाने
की शक्ति रखता है | यदि कोई ऐसा करता है तो वह इस अधिनियम के अनुसार अपराध किया है
यह माना जाएगा |
5-
कोई भी
व्यक्ति किसी व्यक्ति को टोनही के रूप में पहचान करता है, या टोनही कहकर प्रताड़ित
करता है या प्रभावित व्यक्ति को झाड-फूंक कर उपचार करता है या उपचार करने का दावा
करता है या किसी व्यक्ति को टोनही होने का दावा करता है या इनमे से कोई भी कार्य
करता है या करने का प्रयास करता है तो उस व्यक्ति को कारावास की सजा और जुर्माना
से दण्डित किया जा सकता है |
6-
जिस
न्यायालय में इस अधिनियम के अधीन किसी व्यक्ति को कारावास की सजा के साथ- साथ
जुर्माना होता है तो न्यायालय जुर्माने की पुरी राशि या उसका कोई अंश व्यथित (
परिवादी) व्यक्ति को क्षतिपूर्ति के रूप में दिला सकती है |
:साभार :
*सरल क़ानूनी शिक्षा*
छत्तीसगढ़
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण
बिलासपुर
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