Wednesday, 29 August 2018

निःशक्तजन विवाह प्रोत्साहन योजना

क्रियान्वयन एजेंसी - पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग
कार्यक्षेत्र - सम्पूर्ण छत्तीसगढ़
योजना का उद्देश्य- गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार के निःशक्त व्यक्तियों के सामाजिक पुनर्वसन की दृष्टि से विवाह हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करना
हितग्राहियों की पात्रता - (1) छत्तीसगढ़ का निवासी हो (2) निःशक्त 40 प्रतिशत या उससे अधिक (3) आयु 18 वर्ष से अधिक तथा 45 वर्ष से कम (4) निःशक्तता 40 प्रतिशत या उससे अधिक हो ।
मिलने वाले लाभ - रुपए 21000/- एक मुश्त ।
आवेदन की प्रक्रिया- आवेदन निर्धारित प्रपत्र में आवेदन जिला के संयुक्त संचालक / उप संचालक , पंचायत एवं समाज कल्याण को प्रस्तुत करना होगा ।
चयन की प्रक्रिया- संयुक्त संचालक / उप संचालक , पंचायत एवं समाज कल्याण की अनुसंसा पर जिला कलेक्टर द्वारा सहायता /अनुदान राशि स्वीकृत की जाती है ।
आवेदन भेजने का पता - संयुक्त संचालक / उप संचालक, जिला कार्यालय - पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग

कृत्रिम अंग / सहायक उपकरण प्रदाय योजना

क्रियान्वयन एजेन्सी-पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग
कार्यक्षेत्र - सम्पूर्ण छत्तीसगढ़
योजना का उद्देश्य- निःशक्त बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में सहयोग प्रदान करना ।
हितग्राहियों की पात्रता - (1) छत्तीसगढ़ का निवासी हो (2) किसी भी प्रकार की निशक्तता 40 % या उससे अधिक हो ।
मिलने वाले लाभ - माता -पिता / अभिभावक या स्वंय की मासिक आय 5000 रुपए प्रतिमाह होने पर उन्हें निःशुल्क तथा जिनकी आय 5001 रुपए से 8000 रुपए के मध्य है उन्हें संसाधन की 50 प्रतिशत जमा करने पर संसाधन प्रदाय किए जाते है ।योजनांतर्गत निःशक्त व्यक्तियों को ट्रायसाइकिल, वैशाखी,श्रवण यंत्र , बेल किट, व्हील चेयर ,टेप रिकॉर्डर, के पी पर्स, स्वेत छड़ी तथा अन्य कृत्रिम अंग प्रदान किए जाते है , इस योजना में अधिकतम 6000 रुपए तक कि राशि के उपकरण प्रदाय किए जाने का प्रावधान है ।
आवेदन की प्रक्रिया- आवेदन निर्धारित प्रारूप में आवेदन पत्र के साथ निःशक्तता प्रमाण पत्र , आय प्रमाण पत्र जाति प्रमाण पत्र संलग्न कर संयुक्त संचालक / उप संचालक जिला कार्यालय पंचायत एवं समाज कल्याण जिला पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग को आवेदन करना होगा ।
चयन की प्रक्रिया- चिकित्सक /मूल्यांकन दल द्वारा की गई अनुशंसा के आधार पर आवश्यकता व पात्रता नुसार जिला प्रशासन द्वारा कृत्रिम अंग / सहायक उपकरण हेतु चयन किया जाता है ।
आवेदन भेजने का पता - संयुक्त संचालक / उप संचालक , जिला कार्यालय , पंचायत एवं समाज कल्याण / जिला पंचायत तथा जिला निःशक्त पुनर्वास केंद्र सम्बंधित जिला ।

Tuesday, 28 August 2018

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (Natinal Ruarl Health Mission - NRHM)

उद्देश्य- माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 12 अप्रैल 2005 से प्रारंभ हुए इस मिशन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र की आबादी जिसमे महिलाओं एवं बच्चों को सामूहिक रूप से केंद्र एवम राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त सुविधाओं / योजनाओं का लाभ प्रदान करना है ।
इस कार्यक्रम में खुसहाल सेवा जबाबदेही एवम सामुदायिक स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करना है । इस कार्यक्रम में 18 राज्यो  पर विशेष ध्यान दिया गया है । जिसमे स्वास्थ्य सूचकांक के अनुसार जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार , छत्तीसगढ़, आसाम एवं कश्मीर सहित आदि राज्यों को शामिल किया गया है ।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत महत्वपूर्ण लक्ष्यों शिशु एम.आर. नवजात , एम. आर. एवं यात्रा एम. आर. आदि को प्राप्त करने के साथ - साथ ग्राम पंचायतों के स्तर पर ग्राम पंचायत की स्वास्थ्य समिति एवं एस. एच. जी . के सदस्यों के साथ मिलजुलकर ग्रामीण स्वास्थ्य योजना तैयार करना ।
ग्राम पंचायतों के साथ ग्राम पंचायत की स्वास्थ्य समिति एवं एस एच जी के सदस्यों के साथ मिलकर ग्रामीण स्वास्थ्य योजना तैयार करना है ।
लाभ - ग्राम पंचायत के परिवार
क्रियान्वयन एजेंसी - ग्राम पंचायत
सम्पर्क- ब्लाक स्वास्थ्य अधिकारी, परियोजना अधिकारी , महिला बाल विकास , सी ई ओ जनपद पंचायत ।

मितानिन कार्यक्रम

क्रियान्वयन एजेंसी - स्वास्थ्य विभाग
कार्यक्षेत्र- सम्पूर्ण छत्तीसगढ़
योजना का उद्देश्य - स्वास्थ्य सेवाओं एवं उससे जुड़े अधिकार पर लोगों की चेतना बढ़ाना और स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करना ।

सिकलसेल विकृति हेतु नियंत्रण कार्यक्रम

क्रियान्वयन एजेंसी - जिला चिकित्सालय
कार्यक्षेत्र- सम्पूर्ण छत्तीसगढ़
योजना का उद्देश्य- सिकलसेल विकृति की रोकथाम और नियंत्रण ।

राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम

क्रियान्वयन एजेंसी - स्वास्थ्य विभाग
कार्यक्षेत्र - सम्पूर्ण छत्तीसगढ़
योजना का उद्देश्य- मोतियाबिंद और अन्य प्रकार की दृष्टिहीनता पर नियंत्रण लाना । दृष्टिहीनता की दर 2.1 प्रतिशत से कम कर 0.3 प्रतिशत तक लाना है ।

राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम

कियान्वयन एजेन्सी - स्वास्थ्य विभाग
कार्यक्षेत्र- सम्पूर्ण छत्तीसगढ़
योजना का उद्देश्य- समाज मे छिपे सभी कुष्ठ रोगियों को खोजकर उन्हें बहुऔषधीय उपचार नियमित और पूर्ण दिलाकर रोग पर नियंत्रण करना ताकि कुष्ठ रोग का प्रसार रुक जाए और रोग की प्रभावी दर के व्यक्ति या उससे कम प्रति 10,000 जनसंख्या में हो जाए ।

आबकारी मामलों में राहत

जन सामान्य को विशेषकर समाज के कमजोर वर्गों को नियम -कानूनों की जानकारी नही होने के कारण वे कई बार आपराधिक प्रकरणों में फंस जाते है , जिससे उन्हें सामाजिक , मानसिक तथा आर्थिक परेशानियों का सामना कई वर्षों तक करना पड़ता है। प्रथम चरण में साधारण वन अपराधों के दो लाख से अधिक प्रकरण समाप्त करते हुए दो लाख बीस हजार अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति परिवारों को राहत पहुचाई थी। अब आबकारी मामलों में ऐसी परेशानियां झेल रहे लाखों परिवारों को राहत देने के लिए छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 34 के अंतर्गत उपयोजना क्षेत्रों में आदिवासियों के विरुद्ध 31 दिसंबर 2011 तक दर्ज प्रकरण समाप्त करने का निर्णय लिया गया है ।

राष्ट्रीय परिवार सहायता योजना

क्रियान्वयन एजेंसी- शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय तथा ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत ।
कार्यक्षेत्र - सम्पूर्ण छत्तीसगढ़।
योजना का उद्देश्य - गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार ऐसे सदस्य की मृत्यु होने पर जिसकी कामाई से ही अधिकांश परिवार का गुजारा चलता हो, ऐसे परिवार के नए मुखिया को आर्थिक सहायता प्रदान करना ।।
हितग्राहियों की पात्रता - गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार मृत्यु आवेदक की आयु मृत्यु दिनांक को 18 वर्ष से अधिक तथा 65 वर्ष से कम हो । आवेदक परिवार के नए मुखिया हो ।
मिलने वाले लाभ - 10000/- एक मुश्त ।
आवेदन की प्रक्रिया - आवेदक को शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय तथा ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत को निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होगा ।
चयन की प्रक्रिया - नगरीय निकाय / ग्राम पंचायतें अनुशंसा के साथ आवेदन संबंधित जनपद पंचायतों को अग्रेषित करेगी । संबंधित नगरीय निकायों / जनपद पंचायतों को स्वीकृति/अस्वीकृति के अधिकार ।
आवेदन भेजने का पता  - शहरी क्षेत्र में नगर निगम /नगर पालिका / नगर पंचायत तथा ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायतों को निर्धारित प्रारूप में आवेदन पत्र प्रस्तुत करना होगा । यह आवेदन पत्र सादे कागज पर भी निर्धारित प्रारूप में दिया जा सकता है ।

सुखद सहारा योजना

क्रियान्वयन एजेंसी - शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय तथा ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत ।
कार्यक्षेत्र - संपूर्ण छत्तीसगढ़
योजना का उद्देश्य - विधवा /परित्यक्त मांहिला हितग्राहियों को आर्थिक सहायता प्रदान कर सम्मानपूर्वक जीवन यापन करने हेतु सहयोग देना ।
हितग्राहियों की पात्रता - 18 से 50 वर्ष आयु की निराश्रित विधवा/ परित्यक्त महिलाएं ।
मिलने वाले लाभ - 200/- प्रतिमाह ।
आवेदन की प्रक्रिया - आवेदक को शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय तथा ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत को निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होगा ।
चयन प्रक्रिया - नगरीय निकाय /ग्राम पंचायतें अनुशंसा के साथ आवेदन संबंधित जनपद पंचायतों को अग्रेषित करेगी । संबंधित नगरीय निकायों / जनपद पंचायतों को स्वीकृति/ अस्वीकृति के अधिकार है ।
आवेदन भेजने का पता - शहरी क्षेत्र में नगर निगम / नगरपालिका / नगर पंचायत तथा ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायतों को निर्धारित प्रारूप में आवेदन पत्र प्रस्तुत करना होगा । यह आवेदन पत्र सादे कागज पर भी निर्धारित प्रारूप में दिया जा सकता है ।

सामाजिक सुरक्षा पेशन योजना

क्रियान्वयन एजेंसी - शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय तथा ग्रामीण काहेतर में ग्राम पंचायत
कार्यक्षेत्र - संपूर्ण छत्तीसगढ़
योजना का उद्देश्य - वृद्ध व्यक्तियों , विधवा/ परित्यक्त महिलाओं , निःशक्त शालेय छात्रों एवं निराश्रित निःशक्त व्यकयियों को आर्थिक सहायता प्रदान कर सम्मानपूर्वक जीवन यापन करने हेतु सहयोग देना
हितग्राहियों की पात्रता - (1) छत्तीसगढ़ के मूल निवासी (2) 60 वर्ष से अधिक एवं 65 वर्ष से कम आयु के निराश्रित वृद्ध (3) 50 वर्ष एवं उससे अधिक आयु की विधवा एवं परित्यक्त महिलाएं (4) 6 से 14 वर्ष की आयु के निराश्रित / गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार के निःशक्त शालेय छात्र (5) 14 वर्ष से अधिक आयु के निराश्रित निःशक्त
मिलने वाले लाभ - 200/- प्रतिमाह
आवेदन की प्रक्रिया - आवेदक को शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय तथा ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत को निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होगा
चयन की प्रक्रिया - नगरीय निकाय / ग्राम पंचायतें अनुशंसा के साथ आवेदन संबंधित जनपद पंचायतों को अग्रेसित करिगी। संबंधित नगरीय निकायों / जनपद पंचायतों को स्वीकृति/अस्वीकृति के अधिकार है ।
आवेदन भेजने का पता - शहरी क्षेत्र में नगर निगम / नगर पालिका / नगर पंचायत तथा ग्रामीण क्षेत्र मे ग्राम पंचायतों को निर्धारित प्रारूप में आवेदन पत्र प्रस्तुत करना होगा । यह आवेदन पत्र सादे कागज पर भी निर्धारित प्रारूप में दिया जा सकता है ।

राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना

क्रियान्वयन एजेंसी- शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय तथा ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत
कार्यक्षेत्र - सम्पूर्ण छत्तीसगढ़
योजना का उद्देश्य - निराश्रित वृद्धजनों को आर्थिक सहायता प्रदान कर
सम्मानपूर्वक जीवन - समामन पूर्वक जीवन यापन करने हेतु सहयोग करना
हितग्राहियों की पात्रता - 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के निराश्रित वृद्ध
मिलने वाले लाभ - 300/- प्रतिमाह
आवेदन की प्रक्रिया - आवेदक को शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय तथा ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत को निर्धारित प्रारूप में आवेदन करना होगा
चयन प्रक्रिया - नगरीय निकाय / ग्राम पंचायतें अनुशंसा के साथ आवेदन संबंधित जनपद पंचायतों को अग्रेसित करेगी । संबंधित नगरीय निकायों / जनपद पंचायतों को स्वीकृति /अस्वीकृति के अधिकार है
आवेदन भेजने का पता - शहरी क्षेत्र में नगर निगम / नगरपालिका / नगर पंचायत तथा ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायतों को निर्धारित प्रारूप में आवेदन पत्र प्रस्तुत करना होगा । यह आवेदन पत्र सादे कागज पर भी निर्धारित प्रारूप में दिया जा सकता है ।

निर्मल ग्राम पुरुस्कार योजना

सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान को गति प्रदान करने के लिए वर्ष 2003 में निर्मल ग्राम पुरुस्कार प्रारंभ किया गया ।
उद्देश्य-
* इस योजना के तहत शत प्रतिशत परिवारों द्वारा शौचालय निर्माण एवं पूर्ण रूपेण उपयोग करके खुले में शौच की प्रथा से ग्राम को मुक्त कराना ।
* स्कूल व आंगनबाड़ी में शौचालय निर्माण एवं स्वच्छता की अच्छी आदतों के निर्माण का अभियान चलाना ।
* व्यक्तिगत स्वच्छता के लिए व्यवहार परिवर्तन का अभियान , विशेषकर शौच के बाद एवं खाना खाने के पूर्व हाथ धोने पर जोर देना ।
* पेयजल केI स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए रख रखाव के तरीकों में सुधार ।
* गंदे जल एवं कूड़े करकट के निपटान की उचित व्यवस्था करना ।
* सम्पूर्ण ग्राम के स्तर पर वातावरण की स्वच्छता -स्वच्छ व्यवस्थित सड़कें, बाग बगीचे इत्यादि।
पंचायतों को प्रोत्साहन राशि - निर्मल ग्राम पंचायत जैसे प्रतिष्ठापूर्ण समामन से महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जाता है ।
क्रियान्वयन एजेंसी - ग्राम पंचायत
सम्पर्क- सहायक यंत्री , पी एच ई विभाग / मुख्यकार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत ।

सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान (TSC)

यह योजना जिले के समस्त ग्रामों के लिए है, इसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के समस्त निवासियों में स्वच्छता के प्रति जागृति लाना है जिससे स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकें ।
उद्देश्य- ग्राम में निवासरत गरीबी रेखा से ऊपर वाले ग्रामीणों में जान जागरण के साथ - साथ निजी शौचालय निर्माण करने हेतु जागरूकता लाना है, शौचालय निर्माण हेतु संपूर्ण जानकारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से प्राप्त की जा सकेगी। ग्राम में निवासरत गरीबी रेखा के नीचे के ग्रामीणों के घरों में निजी शौचालय निर्माण हेतु शासन द्वारा निर्धारित राशि से मदद दी जाएगी ।
संपर्क - ग्राम पंचायत / जनपद पंचायत /जिला पंचायत

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वरोजगार योजना (RGSY)

उद्देश्य-छत्तीसगढ़ राज्य के बी.आर.जी.एफ. जिलों को छोड़कर शेष जिलों में संचालित योजना के तहत स्थानीय आधारभूत ढांचे और विकास संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करना और पंचायत और नगरीय निकाय के शांसन व्यवस्था को क्षमता विकास के माध्यम से मजबूत करना तथा स्थानीय निकाय एवं पंचायत के कार्यों में सहभागिता नियोजन क्रियान्वयन एवं निगरानी में तकनीकी सहयोग प्रदान करना ।
क्रियान्वयन एजेंसी - जिला, जनपद एवं ग्राम पंचायत
सम्पर्क- आर.जी.एस. वाई. प्रभारी जिला पंचायत/ जनपद पंचायत स्तर ।

नवा जतन योजना

प्रदेश में बच्चों में कुपोषण की दर को कम करने के लिए तथा सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य प्राप्ति हेतु नवाजतन योजना कुपोषण मुक्ति अधिनियम वर्ष 2009 से प्रारंभ किया गया है । बच्चों को कुपोषण से बाहर लाए जाने हेतु समुदाय के जागरूक व्यक्तियों एवं समूहों को बच्चे गोद दिलाकर बच्चों के पोषण स्तर में वृद्धि का प्रायास किया जाता है । इस प्रकार कुपोषित बच्चों का समुदाय आधारित प्रबंधन करने की नवाजतन परिणाममूलक योजना है ।
सम्पर्क- महिला एवं बाल विकास विभाग 

दहेज़ निवारण कानून


दहेज़ निवारण कानून
भूमिका
दहेज़ प्रथा भारतीय समाज में कोढ़ में खाज का काम कर रही है\ दहेज़ के कारण बेटी का जन्म लेना माँ- बाप के लिए अभिशाप बन जाता है | जहां बेटे के जन्म पर खुशियाँ मनाई जाती है वही बेटी के जन्म पर मातम | माँ- बाप की लाचारी को देखकर हजारों लडकियां आत्म ह्त्या कर लेती है | दहेज़ में अच्छी खासी रकम नहीं मिलने पर वर पक्ष वधुओं को कष्ट देते है | दहेज़ के कारण वधुओं के द्वारा आत्महत्या की खबरे अक्सर समाचार पत्र एवं टी वी न्यूज चैनल पर देखने को मिलती है
“ यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते | रमन्ते तत्र देवता “
इस उक्ति में विस्वास करने वाले समाज में नारियों को जलाना केवल अपराध ही नहीं बल्कि महापाप है |
दहेज़ प्रथा का उन्मूलन केवल कानून से संभव नहीं है, इसके लिए सामाजिक चेतना की जरुरत है | इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए 1961 में दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम पारित किया गया, जिसमे दहेज़ देना या दहेज़ मांगने के लिए अभिप्रेरित करना आदि को अपराध के घेरे में लेकर अपराधियों को सजा दिलाने का प्रावधान किया गया है, लेकिन इस अधिनियम का कोई कारगर असर नहीं हुआ | समय – समय पर इसमे संशोधन करके इस प्रथा पर कठोर नियंत्रण लाने की चेष्टा की गई | क्रिमिनल ला ( द्वितीय संसोधन) अधिनियम 1983 जो 25 सितम्बर 1983 को प्रभावी हुआ, के द्वारा – पति और उसके सम्बन्धियों को सजा देने की व्यवस्था की गई, जिन्हें स्त्री के साथ क्रूरता के व्यवहार का दोषी पाया गया | वर्ष 1984 में दहेज़ प्रतिषेध ( वर वधु को दिए गए उपहारों की सूची का रखरखाव) नियम 1984 पारित करके उपहार के नाम पर दहेज़ लेने की प्रवृति पर रोक लगाने का प्रयास किया गया | पुन: वर्ष 1986 में दहेज प्रतिषेध ( संसोधन) अधिनियम 1986 द्वारा दहेज़ मृत्यु को परिभाषित करके उसके लिए कड़ी सजा की व्यवस्था की गई | दहेज़ मृत्यु कारित न करने का साक्ष्य अधिभार भी अभियुक्त पर रखे जाने का प्रावधान किया गया |  
दहेज़ क्या है : ?
दहेज़ को परिभाषित करते हुए प्रतिषेध अधिनियम में कहा गया है की वह विवाह के लिए विवाह के पहले या बाद में या विवाह के समय एक पक्ष के द्वारा या उसके किसी संबंधी द्वारा दुसरे पक्ष को प्रत्यक्षा या परोक्ष रूप से कुछ मूल्यवान प्रतिभूति या सम्पत्ति दी जाती है, वह दहेज़ कहलाता है | लेकिन मुस्लिम कानून ( शरियत) के अंतर्गत ही मेहर दिया जाता है, वह इस परिभाषा में नहीं आता है | एसा कोई उपहार जो की विवाह करने के एवज में नहीं दिया जाता, वह दहेज़ के अंतर्गत नहीं आता है | मूल्यवान प्रतिभूति का अर्थ इसे दस्तावेज से है, जिसके द्वारा कोई कानूनी अधिकार सृजित, विस्तृत, अंतरित, निर्बन्धित किया जाए या छोड़ा जाए या जिसके द्वारा कोई व्यक्ति यह भी स्वीकार करता हो की वह कानूनी दायित्व के अंतर्गत है या नहीं |
दहेज़ अपराध के लिए दंड की व्यवस्था :
दहेज़ लेना या देना या दहेज़ की मांग करना दंडनीय अपराध है | दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम में इसे गैर- जमानतीय एवं संज्ञेय अपराध मन गया है, दहेज़ देने या लेने समबन्धी कोई भी करार अवैध माना जाता है | उन व्यक्तियों के लिए भे सजा का प्रावधान किया गया है जो दहेज़ जैसे अपराध को अभिप्रेरित करते है | 2 अक्तूबर 1984 से लागू नियमावली के अनुसार विवाह के अवसर पर वर – वधु को दी जाने वाले उपहारों की सूची, देने वालों के नाम एवं वर वधु से उसका संबंधी एवं सूची वर- वधु के हस्ताक्षर व अंगूठे का निशान के साथ रखने की कानूनी अनिवार्यता बतायी गई है |
इस अधिनियम की धारा 8 में दहेज़ के अपराध को संज्ञेय बताते हुए पुलिस को इसकी जांच करने का पूरा अधिकार है, किन्तु पुलिस किसी मजिस्ट्रेट के आदेश या वारंट के बिना इस अपराध में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं करा सकती | दहेज़ कानून की धारा -3 के अनुसार दहेज़ लेने या देने या लेन देन को अभिप्रेत करने वाले व्यक्ति के लिए कारावास एवं 15000/- या दहेज़ की धन राशि जो भी अधिक हो , द्वारा दण्डित किया जाता है | दहेज़ संबंधी अपराध के लिए कम से कम 5 वर्ष के कारावास का प्रावधान है |
यदि कोई व्यक्ति सीधे या परोक्ष रूप से वर या वधु के माता – पिता या संरक्षक या एनी सम्बन्धियों से दहेज़ की मांग करता है तो उसे 2 वर्ष तक के कारावास एवं 10000/- रु. जुर्माने के साथ दण्डित किया जा सकता है| इसे अपराध में कम से कम 6 माह के कारावास की सजा का प्रावधान है | दहेज़ प्रतिषेध ( संशोधन ) अधिनियम 1986 द्वारा मूल अधिनियम में ४-क जोड़कर किसी समाचार पत्र, पत्रिका या किसी एनी माध्यम से किसी भी व्यक्ति द्वारा इसे विज्ञापन देने पर प्रतिबन्ध है | इसका पालन नहीं करने पर हक कायम करने का प्रस्ताव करता है | इस अताढ़ के वुग्यापन छपवाने तथा प्रकाशित करने या बताने पर इस अधिनियम की धारा – 6 में व्यवस्था है कि स्त्री (वधु) के अलावा कोई दुसरा व्यक्ति दहेज़ लेता है तो वह विवाह की तिथि से 3 माह के अंदर या यदि विवाह के समय वधु नाबालिक हो तो उसके 18 वर्ष की आयु प्राप्त होने के एक वर्ष के अंदर दहेज़ के लिए राशि उसको ट्रांसफर कर देगा तथा जब तक दहेज़ उसके पास है, वह वधु के लाभ के लिए तरसती के रूप मर रखेगा |
यदि सम्पत्ति की अधिकारिणी स्त्री की मृत्यु ट्रांसफर से पहले हो जाती है तो सम्पत्ति पर उसके कानूनी उतराधिकारियों का हक़ होगा | यदि ऐसी स्त्री की मृत्यु विवाह के साथ वर्ष के भीतर असामान्य परिस्थिति में हो जाए और उसके कोई बच्चे न हो तो उस सम्पत्ति का मालिक उसके माता पिता होंगे |
इन प्रावधानों का उलंधन करने वाले को दो वर्ष तक का कारावास एवं 10000/- रुपे जुर्माने की सजा हो सकती है | यह सजा कम से कम 6 माह एवं जुर्माना 50000 रु. है |
निर्धारित समय सीमा में वधु या उसके उत्तराधिकारी या उसके माता पिता की सम्पत्ति ट्रांसफर नहीं करने वाले व्यक्ति को केवल सजा ही नहीं होती, बल्कि उनसे सम्पत्ति के समतुल्य धन राशि भी वसूल की जाती है|
न्यायालय द्वारा संज्ञान
क-     इस अधिनियम के तहत आने वाले अपराधो की सुनवाई का अधिकार मेट्रोपोलियन मजिस्ट्रेट / प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के नीचे के किसी भी अधिकारी के पास नहीं होता है |
ख-     इन अपराधों में न्यायालय द्वारा प्रसंज्ञान स्वंय की जानकारी, पुलिस रिपोर्ट, अपराध से पीड़ित व्यक्ति या उसके माता पिता या एनी संबंधितो के परिवार या किसी मान्यता प्राप्त सामाजिक संगठन / संस्था के परिवाद पर लिया जा सकता है |
ग-      सुनवाई करने वाले मेट्रोपोलियन मजिस्ट्रेट / प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट को इस अधिनियम के अंतर्गत आने वाले अपराधों में उस सीमा तक दंड देने के लिए शक्ति प्रदान की गई है, जो विभिन्न अपराधों के लिए इस अधिनियम में निर्धारित है, चाहे ये शक्तिया दंड प्रक्रिया संहिता में प्रदत्त शक्तियों से अधिक क्यों न हो ? इस अधिनियम के अंतर्गत आने वाले अपराधों के विषय में संज्ञान लेने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की है | महत्वपूर्ण प्रावधान यह है की दहेज़ संबंधी अपराध से पीड़ित व्यक्ति को उसके द्वारा दी गए किसी ब्यान के आधार पर अभियोजित नहीं किया जा सकता है |  
साक्ष्य का भार
प्राय: आपराधिक मामलों में किसी अभियुक्त पर दोष सिद्ध करने का भार अभियोजन पक्ष पर होता है, लेकिन इस अधिनियम की धारा -3 एवं 4 के तहत दहेज़ संबंधी मामलों में अपराध नहीं किए जाने का साबुत पेश करने का भार अभियुक्त पर होता है |
वधु को प्राप्त उपहार
वधु को विवाह से पहले, विवाह के समय या विवाह के बाद जो उपहार माता पिता के पक्ष से या ससुराल पक्ष से मिलता है, उसे स्त्रीधन कहा जाता है | वधु स्त्रीधन की पुरी तरह से मालकिन या स्वामिनी होती है|
दहेज़ के लिए वधु के साथ दुर्व्यवहार के लिए दंड
दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम में वधु के साथ क्रूरता या उत्पीडन के व्यवहार के लिए कठोर दंड की व्यवस्था है|
क्रूरता के लिए पति के साथ उसके सम्बन्धियों को भी दण्डित करने का प्रावधान है , जो भारतीय दंड संहिता की धारा 498 – क में जोड़ी गई है | धारा498- क यदि किसी स्त्री के पास उस / उन्हें पति के रिश्तेदार उसके साथ क्रूरता का व्यवहार करता है तो तीन साल तक कारावास एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा |
क्रूरता की परिभाषा इस प्रकार है :
क-     जानबूझकर कोई ऐसा व्यवहार करना, जिससे वह स्त्री का आत्महत्या के लिए प्रेरित करना हो या उस स्त्री के जीवन अंग या स्वास्थ्य को गंभीर क्षति या ख़तरा पैदा हो |
ख-     किसी स्त्री को इस दृष्टि से तंग करना कि उसको या उसके किसी रिश्तेदार को कोई सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति देने के लिए बाध्य किया जाए या किसी स्त्री को इस कारण तंग करना कि उसका कोई रिश्तेदार ऐसी मांग पुरी न कर पाया हो |
भारतीय दंड संहिता में संशोधन करके एक नई धारा 304 – ख जोड़ा गया है, जिसमें “ दहेज़ मृत्यु” को परिभाषित किया गया है
धारा 304- ख दहेज़ मृत्यु
1-       यदि किसी स्त्री कि मृत्यु किसी डाह या शारीरिक क्षति के कारण होती है या उसके विवाह के सात वर्ष के भीतर असामान्य परिस्थियां होती है और वह प्रदर्शित होता है कि उसकी मृत्यु के कुछ समय पहले उसके पति या पति के किसी रिश्तेदार ने दहेज़ की मांग के लिए उसके साथ क्रूरता का व्यवहार किया है तो ऐसी मृत्यु को दहेज़ कारित मृत्यु कहा जाता है |
2-       दहेज़ मृत्यु कारित करने वाले व्यक्ति को सात साल से आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1972 धारा – 133 का एवं ख जोड़कर एक शक्ति दी गई है कि विवाह के सात वर्ष के भीतर किसी स्त्री द्वारा आत्महत्या करने या दहेज़ मृत्यु के मामलों में अभियुक्त के विरुद्ध अपराध करने की अवधारणा कर सके जब तक की अन्यथा सिद्ध न हो |
धारा – 113
यदि कोई स्त्री विवाह के 7 वर्ष के भीतर आत्महत्या करती है तो न्यायालय मामले की सभी अन्य परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह अवधारणा करता है कि ऐसी आत्महत्या उसके पति या पति के किसी रिश्तेदार द्वारा दुस्प्रेरित की गई है |
धारा 113
जब किसी व्यक्ति ने अपनी स्त्री की दहेज़ मृत्यु कारित की है और दर्शित किया जाता है कि मृत्यु के कुछ पहले इसे व्यक्ति दहेज़ की किसी मांग के लिए या उसके सम्बन्ध में उस स्त्री के साथ क्रूरता की थी तो न्यायालय के द्वारा यह अवधारणा की जाती है की उस व्यक्ति ने दहेज़ मृत्यु कारित की है |
इस तरह कानून में संशोधन करके दहेज़ अपराध के लिए कठोर दंड की व्यवस्था की गई है | अत: दहेज़ प्रथा के उन्मूलन के लिए बनाएं गए कानून का उपयोग करने की आवश्यकता है |


साभार
सरल कानूनी शिक्षा 
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर


भाटापारा में चिराग द्वारा सामुदायिक गतिशीलता कार्यक्रम आयोजित

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नई दिल्ली एवं  छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति रायपुर के सहयोग से  चिराग सोशल वेलफेयर सोसायटी अम्बिकापुर द...