छत्तीसगढ़ में बांस के बने सामानों की मांग अच्छी है । बंसोड़ व पारधी समुदाय सिर्फ और सिर्फ बांस का ही कार्य करते हैं ।
जैसे जैसे जंगल कम होते गए इन समुदायों का काम भी प्रभावित होता गया ।
एक बांस का कम होना
आर्थिक स्थिति ठीक न होना
जंगलों में बांस कटते जा रहे हैं जिससे अब बांस आसानी से नहीं मिलता विभाग भी इन्हें बांस उपलब्ध नहीं करा पाता ।
बाहर से अगर बांस खरीदते हैं तो वो महंगा मिलता है लाने ले जाने में खर्चे लगते हैं उसके लिए पैसा होना चाहिए । जिसकी इन समुदायों के पास कमी होती है।
इनकी आजीविका का मुख्य स्रोत यही है इन्हें अगर आगे बढ़ाना है तो इन्हें सहयोग की जरूरत है ।
वैसे तो अब बांसों से बहुत से सामान बनने लगे हैं । शायद बड़ी बड़ी कंपनियां इसमे कपड़े चारकोल आदि बनाने के लिए आ रही हैं ।
जब बड़े बड़े व्यापारी बांस खरीद कर ले जाएंगे तो स्थानीय स्तर पर बांस की समस्या खड़ी होगी जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव इन समुदायों पर पड़ेगा ।
ये समुदाय परम्परागत रूप से इसी काम को करते आ रहे हैं । बड़े व्यापारियों के इस क्षेत्र में आने से इन समुदायों का रोजगार ही मारा जाएगा।
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