ग्रामीण
विकास योजनाओं में बड़े पैमाने पर धन खर्च हो रहा है , लेकिन इन योजनाओं की
उपर्युक्त निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में गंभीर प्रयास की कमी बनी
हुई है |
सतर्कता
व् निगरानी समिति की कमजोर स्थिति
संयुक्त
प्रगतिशील गठबंधन की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं जैसे ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना
व् सड़क निर्माण योजना जैसी योजनाओं से जुड़े खर्च की देखभाल के लिए राज्यों में “सतर्कता एवं निगरानी
समिति “( वी एन्ड
एम् सी ) को मजबूत करने की दिशा में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया जा रहा है |
गौरतलब है की इस कमेटी में सांसद बतौर सदस्य शामिल होते है | दिशा निर्देशों के
अनुसार , राज्य सदस्य सचिव के संयोजन में एक वर्ष में राज्य व् जिला स्तरीय समिति
की चार चार महीने पर समिति की चार चार बैठके होना जरुरी है , लेकिन शायद ही कोई वी
एन्ड एम् सी है , जो ऐसा कर पा रही है | इसके चलते सांसदों के माध्यम से इन योजनाओं
में खर्च निर्देश और खर्च की जांच का मौका छुट जाता है |
२०१३-१४
में केवल ९ बैठके
ग्रामीण
विकास मंत्रालय के आंकड़ो के मुताबिक़ ,२०१२-१३ में वी एन्ड एम् सी की केवल २९ राज्य
स्तरीय बैठके हुई , जबकि २०१३-१४ में दो सितम्बर तक केवल ९ बैठके ही हो पाई है |
गौरतलब है की २०१२-१३ में पश्चिम बंगाल राज्य स्तर की बैठकों की संख्या चार थी ,
जबकि ११ राज्यों में एक भी बैठके नहीं हुई | इनमे बिहार , गोवा, गुजरात , जम्मू –
कश्मीर , झारखंड , मेघालय , ओडीसा पंजाब, राजस्थान , तमिलनाडू और उत्तराखंड शामिल
है |
जिला
स्तरीय बैठके भी कम
आंकड़ो
के अनुसार २०१२-१३ में ४२१ जिलो में ८०६ बैठके हुई , जबकि २०१३-१४ में सितम्बर
२०१३ तक १८० जिलो में केवल १८९ बैठके ही हो पाई है | जबकि २०० ऐसे जिले है , जहा
२०१२-१३ में एक भी जिला स्तरीय बैठके नहीं हुई है | इनमे आँध्रप्रदेश व् उड़ीसा के
चार-चार मणिपुर व् अरुणांचल प्रदेश के छ: छ: , असं के आठ , बिहार के २२ , छत्तीसगढ़
हिमांचल प्रदेश ,राजस्थान ,पश्चिम बंगाल और झारखंड के १०-१० ,मध्यप्रदेश व् पंजाब
के पांच – पांच , उत्तरप्रदेश के ३८ , तमिलनाडू के १६ , नागालैंड के ११
,महाराष्ट्रा , दादर नगर हवेली और सिक्किम के दो – दो , गोवा , कर्नाटका, अंडमान
निकोबार , दमंदीव , पान्दुचेरी व् गुजरात के एक – एक जिले शामिल है |
राज्य
सरकारे भी उदासीन
गौरतलब
है की गोवा , पंजाब ,लक्ष्यदीप और पान्दुचेरी ने राज्य और जिला स्तरीय वी एन्ड एम्
सी का गठन क्रमश: जुलाई २०१० और सितम्बर २०१० में किया है | इसके अलावा अधिकाँश वी
एन्ड एम् सी में गैर शासकीय सदस्यों व् एन जी ओ के पदों को खाली रखा जा रहा है |
केंद्र बैठकों के लिए तिथि व् समय को तय करने में राज्य की परिस्थितियों जैसे
चुनाव , प्राकृतिक आपदा इत्यादि को जिम्मेदार बताता है | साथ ही राज्य सरकारों की
तरफ से समिति की बैठकों को लेकर उदासीनता की भी समस्या देखी जाती है | गौरतलब है
की २०१३-१४ में वित्त मंत्रालय ने ग्रामीण विकास के आबंटन में ४६% बढ़ोत्तरी कर दी
है | २०१२-१३ के ५५,००० करोड़ की तुलना में अब यह बढ़कर ८०,००० करोड़ रुपये हो गया है
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