प्रदेश
में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनारेगा ) में भ्रष्टाचार व् सौ
दिन काम नहीं मिलाने की खबरे नई नहीं है .हर बार कोई शिकायत या आरोप सामने
आने के साथ ही जनता मनारेगा के प्रति प्रदेश सरकार की उदाशीनता के बारे में
सोचने पर मजबूर हो जाती है .माओवाद प्रभावित बस्तर क्षेत्र में मनारेगा के
तहत सौ दिन रोजगार मुहैय्या न कराना आदिवासियों की उपेक्षा की पराकाष्ठा
है .कांग्रेस द्वारा वर्ष २०११,२०१२,२०१३
में महज १.८७, २.९४, ३.८९ प्रतिशत परिवारों को रोजगार मिलने के आंकड़े जारी
किये गए है , तो यह आरोप बहद गंभीर है. क्योकि बस्तर की जनता न केवल
माओवादियों व् पुलिस के बीच पीस रही है ,बल्कि बुनियादी सुविधाओ और रोजी
रोटी के लिए भी तरस रही है .बस्तर क्षेत्र में तीन वर्षो से प्रति वर्ष औसत
४.९५ प्रतिशत परिवारों को ही सौ दिन का रोजगार मिलाने से यह सवाल उठाना
लाजिमी है की क्या आदिवासियों की हितैषी होने का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार
ऐसी होती है ? क्या यही है सरकार की निति ,जो सौ दिन रोजगार न दे पाए और
डेढ़ सौ दिन रोजगार देने का दावा करे ? केंद्र सरकार सेमानारेगा की भरपूर
राशि मिलाने के बावजूद सभी जरुरतमंदो को सौ दिन रोजगार दिलाने में आखिर
प्रदेश सरकार को क्या परेशानी है ? हर जिले में मनारेगा का काम मिले ,समय
पर मजदूरी का भुगतान हो , इसमे किसके स्वार्थ आड़े आते है ? मनारेगा जैसी
जनकल्याणकारी योजना में काम नहीं मिलने से हजारो ग्रामीण रोजगार के लिए
भटक रहे है , पलायन कर रहे है , लेकिन यह सरकार के नुमाइंदे और नौकरशाहो को
नजर कैसे नहीं आता ?
*जन जुड़ाव* अनमोल फाउंडेशन द्वारा संचालित एक ऐसा मंच है जो जमीनी स्तर किए जा रहे छोटे छोटे स्वेच्छिक प्रयासों की सफल कहानियों, शासकीय योजनाओं व जनहित से जुडी कानूनी जानकारियों को संग्रह कर प्रसारित करने हेतु तैयार किया गया है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
भाटापारा में चिराग द्वारा सामुदायिक गतिशीलता कार्यक्रम आयोजित
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नई दिल्ली एवं छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति रायपुर के सहयोग से चिराग सोशल वेलफेयर सोसायटी अम्बिकापुर द...
-
जमीनी स्तर पर कार्यरत स्थानीय स्वैच्छिक संस्थाओं की चुनौतियां -भारत में सदियों से सेवा भाव का स्वरुप इतिहास में पढ़ने को मिलता है, जब देश आजा...
-
औद्योगिक क्रांति के नाम पर जो जंगलों व वनों तथा नदी का संहार हो रहा है उससे तो लग रहा है कि इस भीषण गर्मी से राहत मिलने नामुमकिन है । हां तभ...
-
आपने वृक्ष मित्र का सुना होगा, पर्यावरण या प्रकृति प्रेमी शब्द सुना होगा। अपने नदी प्रेमी भी सुना होगा लेकिन क्या आपने बांस प्रेमी का नाम सु...
No comments:
Post a Comment