Wednesday, 23 October 2013

ग्रामीणों ने चट्टान पर फैलाई हरियाली



बालोद – दृढ इच्छा शक्ति हो, इमानदार मेहनत , संगठित शक्ति और समर्पण हो तो पत्थरो में भी हरियाली लाइ जा सकती है | यह साबित किया है बालोद गहन की पंचायत व् ग्रामीणों ने जिन्होंने १२ एकड़ मुरुम , चट्टान दीमक युक्त जमीन पर हरियाली लाने का चमत्कार किया है |
बंजर जमीन का सदुपयोग
राष्ट्रीय राजमार्ग ३० पर बसा हुआ ग्राम बालोद गहन को मुरुम एवं पत्थर खदान के लिए जाना जाता है | ग्राम पंचायत ने वर्ष २०१०-११ में मनरेगा के तहत स्वीकृत ६.८२ लाख रुपयों से पौध रोपण की जानकारी दी गई |इस दौरान ग्रामीणों एवं सरपंच मीना साहू ने तय किया की पौधे वहा लगाए जाए जो जमीन अनुपयोगी है | ग्रामीणों ने एक मत से ग्राम के बाहर स्थित १२ एकड़ पथरीली मुरुम जमीन का चयन किया | उस जमीन में दीमक का प्रकोप है | उसके बाद भी पंचायत ने पुरी संजीदगी से उक्त जमीन पर पौधारोपण की तैयारी की, जिसका फल मिला |
नमी के लिए पौधे के नजदीक राखी मटकी
हरियाली के पहले जमीन पुरी तरह कंटीली जहरीली झाड़ियो से पाती हुई थी | ग्रामीणों ने झाड़ियो को साफ़ किया और वहा लगभग तीस हजार बेल , अमरूद, आम , नीम कटहल , आवला , बांस के पौधे लगाए | पौध रोपण के बाद सरपंच प्रतिदिन दो- तीन बार आती है और कार्यो का निरीक्षण कर आवश्यक निर्देश देती है |
सरपंच हर दिन करती है निरीक्षण
सरपंच मीना साहू हर दिन आकर स्थिति देखती है | उन्होंने पथरीली ,मुरुम युक्त जमीन होने के कारण प्रतिदिन एक- एक पेड़ को देखती है और खाद , दवाई के लिए निर्देश देती | दीमक से बचाव के लिए भी आवश्यक कार्यवाही की | ग्रामीण बताते है की सरपंच ने पौधारोपण के बाद पानी की सफाई व्यवस्था एवं कम कम से कम पानी में अधिक से अधिक सिचाई की युक्ति अपनाई एवं जमीन के ढाल के अनुरूप स्थायी टांका बनवाया और प्रत्येक पौधे के पास मटकी गड़ाकर पानी भरवाया , ताकि पौधे के पास लगातार नमी बनी रहे |

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