Thursday, 17 October 2013

४५ फीसदी स्कुलो में टायलेट नहीं

शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के ३ साल बाद भी सुविधाओं का तोता है | जिले के ४५ फीसदी सरकारी स्कुलो में अभी तक शौचालय विहीन है| बीते वित्तीय वर्ष में जिन स्कुलो में शौचालय निर्माण की राशि जारी हुई , उनमे से ७० फीसदी निर्माण पूरा नहीं हो पाया है| प्राचार्यो का कहना है की स्कुल में शौचालय नहीं होने से विद्यार्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है |
जिले के १४५९ सरकारी स्कुलो में से ८२६ प्राइमरी स्कुल है| इनमे से ७६३ स्कुलो को शौचालय युक्त बताया जा रहा है | सच यह है की इन स्कुलो में से अधिकतर को निर्माण की राशि जारी तो हुई है पर निर्माण अभी भी अधूरा है| ६३ स्कुल ऐसे है , जिनमे निर्माण का कोई प्रस्ताव ही नहीं है | ४७१ मिडिल स्कुलो में से ३१ स्कुल में शौचालय निर्माण की कोई योजना नहीं है | ६० हाई स्कुलो में से १२ पुरी तरह से शौचालय विहीन है करीब २० स्कुलो में निर्माण अधूरा है | १०२ हायर सेकेंडरी स्कुलो में करीब २५ में निर्माण अधूरा है | १० स्कुलो में शौचालय का कोई ढाचा भी नहीं है | यह आंकड़े सरकारी है| गैर सरकारी स्रोतों की माने तो आधे से अधिक स्कुलो में शौचालय का ढांचा इस्तेमाल करने लायक ही नहीं है | कई जगह पानी की सुचारू व्यवस्था नहीं है | बालक - बालिकाओं के लिए अलग - अलग शौचालयों की व्यवस्था कुछ ही स्कुलो में हो पाई है |
विभाग के पास भी पुरी तस्वीर नहीं
इस मामले का दिलचस्प पहलू यह भी है की शिक्षा विभाग के पास भी अव्यवस्था की पुरी तस्वीर नहीं है | जिन स्कुलो में शौचालय निर्माण के लिए राशि जारी कर दी गयी है , विभाग ने उसे सुविधायुक्त मान लिया है | निर्माण की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य यान्त्रिकी विभाग के पास है | विभागों में समन्वय के आभाव में निर्माण में आ रही दिक्कतों को दूर नहीं किया जा रहा है |

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