Tuesday, 4 September 2018

शिक्षा का अधिकार कानून 2009(Right to Education Act 2009)

उद्देश्य- छः से चौदह वर्ष के आयु सभी बच्चों को आठवी तक अनिवार्य एवं मुक्त शिक्षा देने के लिए केंद्र शासन द्वारा बनाई गई शिक्षा का अधिकार कानून 1 अप्रैल 2010 से सभी राज्यों में प्रभावशील होगा ।
*शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 6 से 14 वर्ष उम्र के शाला त्यागी और अप्रवेशी बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किया जाना है।
*इस कानून में प्राथमिक शिक्षा की सुविधा एक किलोमीटर के अंदर तथा पूर्व माध्यमिक शिक्षा की सुविधा 3 किलोमीटर पर उपलब्ध कराने पर जोर दिया जाता है ।
* कानून के तहत प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक स्कूलों के सभी बच्चों को निःशुल्क पाठ्यपुस्तक एवं गणवेश देने की व्यवस्था की जाएगी।
* निःशक्त बच्चों को विशेष प्रशिक्षण और सुरक्षा के लिए जरूरी सामग्री भी दी जाएगी।
* प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए स्कूलों में पूर्व में गठित तीन प्रकार की समितियों को सशक्त किया जाएगा। इन समितियों में 75 प्रतिशत में स्कूली बच्चों के अभिभावकगण रहेंगे 25 प्रतिशत सदस्य स्थानीय जन प्रतिनिधि शिक्षक, शिक्षाविद और स्कूली बच्चे शामिल होंगे ।
* सभी वर्गों की 50 प्रतिशत संख्या महिलाओं की होगी।
* शिक्षा का अधिकार कानून के आदर्श नियमों की समस्त प्रक्रियाओं को शुरू करने के लिए तीन साल का समय दिया गया है ।
* 6 से 14 वर्ष उम्र के सभी बच्चों का बायोडाटा तैयार करने के लिए मैक्रोप्लानिंग सभी गांवों में होगी ।
* इस कानून में नियम 60 के तहत निजी संस्थाओं में प्रवेश लेने वाले बच्चों के नियम बनाए जाएंगे। छत्तीसगढ़ में एक बच्चे के लिए एक साल में 5 हजार रुपए खर्च करने की योजना है ।
* शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के नियम 16 के तहत सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों को 5 वर्ष के भीतर प्रशिक्षित किया जाएगा । इस कानून में प्रशिक्षित शिक्षकों की व्यवस्था करने के लिए जोर दिया गया ।
* क्रियान्वयन एजेंसी - प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला
* संपर्क- विकास खंड शिक्षा अधिकारी / मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत तथा सरपंच ग्राम पंचायत ।

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