Thursday, 24 October 2013

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा “ जीवन – अधिकार के लिए चुनौती है खाद्य सामग्री में कीट नाशक “



खाद्य सामग्री में कंकड़ – पत्थर की मिलावट पुराणी बात हो गयी है | नई किस्म की मिलावट में अनाजो , फल-सब्जी व् अन्य उत्पादों में कीटनाशक अवशेषों की समस्या देखी जा रही है | सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले ए सेहत को नुकसान पहुचाने वाले पदार्थो की मौजूदगी को संविधान प्रदत्त जीवन के मूल अधिकार के खिलाफ बताया है |
रासायनिक अवशेषों से मुक्त खाद्य सामग्री उपलब्ध हो
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा की खाद्य पदार्थो में मिलावट रोकना सरकारों की जिम्मेदारी है, क्योकि इससे जीवन में मूल अधिकार को चुनौती मिलाती है | जस्तिश दीपक मिश्रा एवं जस्टिस के. एस. राधाकृषण की बेंच ने अपने फैसले में कहा है की जीवन के आनंद व् इनकी उपलब्धियों में जीवन व् मानव गरिमा के अधिकार के साथ कीटनाशक , पशुओ की दवाओं के अवशेष , एंटीबायोटिक अवशेषों अन्य किस्म के रसायनों से मुक्त खाद्य सामग्री उपलब्धता शामिल है बेंच ने खा की बाजार में उपलब्ध चावल , सब्जी , मीत , मछली ,दूध ,फल इत्यादि में कीट नाशक छुट के स्तर से अधिक मात्रा में पाए जा रहे है | फलो की दुकानों पर उपलब्ध फल आधारित साफ्ट ड्रिंक में कीटनाशक अवशेषों का अनुपात खतरनाक स्तर तक पाया गया है , लेकिन जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा सका है |
आर्टिकल २१ व् ४७ पढ़े
बेंच ने अपने आदेश में कहा की यह सरकार का स्थायी कर्तव्य है की वह और उसके अधिकारी मानव जीवन व् स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जरुरी स्तर को प्राप्त करे | संविधान के आर्टिकल २१ को आर्टिकल ४७ के साथ पढ़ने की जरुरत है |
बच्चो पर पड़ता गंभीर प्रभाव
बच्चो व् शिशुओ पर खाद्य पदार्थो व् फल आधारित व् गैर फल आधारित साफ्ट ड्रिंक में कीटनाशको के अवशेषों की मौजूदगी का अत्यधिक असर पड़ता है , क्योकि वे मनोवैज्ञानिक अपरिपक्व होते है और साफ्ट ड्रिंक के प्रति आकर्षण पाया जाता है | बेंच ने कहा की फ़ूड सेफ्टी स्टेंडर्ड एक्ट व् प्रिवेंसन आफ फ़ूड एडल्ट्रेशन एक्ट व् अन्य नियमो को संवैधानिक सिधान्तो का सन्दर्भ लेते हुए पढ़ा जाना चाहिए | सभी प्राधिकरानो की जिम्मेदारी है की वे परिस्थितियों अनुसार , इस पर नियंत्रण करने वाली व्यवस्था विक्सित करने के अलावा खाद्य सुरक्षा पर जनता को जागरुक करने , खाद्य सुरक्षा सतर्कता और अन्य निगरानी उपायों को विक्सित करते हुए सभी स्तरों पर खाद्य पदार्थो से जुड़े व्यापार को अपने दायरे में लाए |
सब्जी बाजारों की जांच
बेंच ने फ़ूड एन्ड सेफ्टी स्टेंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया को सभी राज्यों व् केंद्र शाषित क्षेत्रो की समकक्षी संस्थाओं से संपर्क करने का निर्देश दिया है , ताकि मानको के उलंघन का पता लगाया जा सके | उल्लेखनीय है की कोर्ट का यह निर्देश एक गैर – सरकारी संगठन की याचिका की सुनवाई करते हुए आया है | याचिकाकर्ता ने साफ्ट ड्रिंक से सेहत पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों की जांच करने के लिए विशेषज्ञ समूह के गठन की मांग की थी | याचिका में इसके अलावा साफ्ट ड्रिंक में मिलाए गए पदार्थो व् उनकी मात्रा की जानकारी के साथ – साथ उससे होने वाले किसी भी नुकसान की चेतावनी देने वाले लेवल को लगाने की भी मांग की थी |

Wednesday, 23 October 2013

योजनाओं की सही निगरानी की व्यवस्था को लेकर गंभीरता नहीं बरती जा रही



ग्रामीण विकास योजनाओं में बड़े पैमाने पर धन खर्च हो रहा है , लेकिन इन योजनाओं की उपर्युक्त निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में गंभीर प्रयास की कमी बनी हुई है |
सतर्कता व् निगरानी समिति की कमजोर स्थिति
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं जैसे ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना व् सड़क निर्माण योजना जैसी योजनाओं से जुड़े खर्च की देखभाल के लिए राज्यों में सतर्कता एवं निगरानी समिति ( वी एन्ड एम् सी ) को मजबूत करने की दिशा में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया जा रहा है | गौरतलब है की इस कमेटी में सांसद बतौर सदस्य शामिल होते है | दिशा निर्देशों के अनुसार , राज्य सदस्य सचिव के संयोजन में एक वर्ष में राज्य व् जिला स्तरीय समिति की चार चार महीने पर समिति की चार चार बैठके होना जरुरी है , लेकिन शायद ही कोई वी एन्ड एम् सी है , जो ऐसा कर पा रही है | इसके चलते सांसदों के माध्यम से इन योजनाओं में खर्च निर्देश और खर्च की जांच का मौका छुट जाता है |
२०१३-१४ में केवल ९ बैठके
ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ो के मुताबिक़ ,२०१२-१३ में वी एन्ड एम् सी की केवल २९ राज्य स्तरीय बैठके हुई , जबकि २०१३-१४ में दो सितम्बर तक केवल ९ बैठके ही हो पाई है | गौरतलब है की २०१२-१३ में पश्चिम बंगाल राज्य स्तर की बैठकों की संख्या चार थी , जबकि ११ राज्यों में एक भी बैठके नहीं हुई | इनमे बिहार , गोवा, गुजरात , जम्मू – कश्मीर , झारखंड , मेघालय , ओडीसा पंजाब, राजस्थान , तमिलनाडू और उत्तराखंड शामिल है |  
जिला स्तरीय बैठके भी कम
आंकड़ो के अनुसार २०१२-१३ में ४२१ जिलो में ८०६ बैठके हुई , जबकि २०१३-१४ में सितम्बर २०१३ तक १८० जिलो में केवल १८९ बैठके ही हो पाई है | जबकि २०० ऐसे जिले है , जहा २०१२-१३ में एक भी जिला स्तरीय बैठके नहीं हुई है | इनमे आँध्रप्रदेश व् उड़ीसा के चार-चार मणिपुर व् अरुणांचल प्रदेश के छ: छ: , असं के आठ , बिहार के २२ , छत्तीसगढ़ हिमांचल प्रदेश ,राजस्थान ,पश्चिम बंगाल और झारखंड के १०-१० ,मध्यप्रदेश व् पंजाब के पांच – पांच , उत्तरप्रदेश के ३८ , तमिलनाडू के १६ , नागालैंड के ११ ,महाराष्ट्रा , दादर नगर हवेली और सिक्किम के दो – दो , गोवा , कर्नाटका, अंडमान निकोबार , दमंदीव , पान्दुचेरी व् गुजरात के एक – एक जिले शामिल है |
राज्य सरकारे भी उदासीन
गौरतलब है की गोवा , पंजाब ,लक्ष्यदीप और पान्दुचेरी ने राज्य और जिला स्तरीय वी एन्ड एम् सी का गठन क्रमश: जुलाई २०१० और सितम्बर २०१० में किया है | इसके अलावा अधिकाँश वी एन्ड एम् सी में गैर शासकीय सदस्यों व् एन जी ओ के पदों को खाली रखा जा रहा है | केंद्र बैठकों के लिए तिथि व् समय को तय करने में राज्य की परिस्थितियों जैसे चुनाव , प्राकृतिक आपदा इत्यादि को जिम्मेदार बताता है | साथ ही राज्य सरकारों की तरफ से समिति की बैठकों को लेकर उदासीनता की भी समस्या देखी जाती है | गौरतलब है की २०१३-१४ में वित्त मंत्रालय ने ग्रामीण विकास के आबंटन में ४६% बढ़ोत्तरी कर दी है | २०१२-१३ के ५५,००० करोड़ की तुलना में अब यह बढ़कर ८०,००० करोड़ रुपये हो गया है |

अब आए “ नेता “ पहाड़ के नीचे



पांच सालो तक संपत्ति छिपाने वाले जनप्रतिनिधियों को तगडा झटका लगाने वाला है | चुनाव आयोग ने इस बार उम्मीदवारों से उनकी चल अचल संपत्ति के अलावा पत्नी और आश्रितों की संपत्ति का भी विस्तृत व्योरा माँगा है | इसे शपथ पत्र के रूप में नामाकन के साथ जमा करना होगा | आर्थिक ,आपराधिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी वाले अति विस्तृत प्रपत्र का एक भी कालम निरंक छोड़ा तो प्रत्यासी का नामाकन रद्द हो सकता है |
पिछले विधान सभा चुनाव की तुलना में इस बार संपत्ति के मामले में आयोग काफी सख्त है | पहली बार शपथ पत्र दो भागो में माँगा गया है | इसमे उम्मीदवार की पत्नी और आश्रितों की संपत्ति के अलावा विरासत में मिली भूमि , बैंक खातो , कंपनी या एन जी ओ में आर्थिक साझेदारी की जानकारी देनी होगी | आपराधिक पृष्ठभूमि के सम्बन्ध में भी विस्तार से विवरण देना होगा |
इसकी धारा – एक के अंतर्गत नारकोटिक्स , फारेन एक्सचेंज और निर्वाचन कानून के उलंघन का दोषी ठहराए जाने वालो का बाख निकलना मुश्किल होगा | धारा – दो में मिलावट खोरी और दहेज़ संबंधी अपराधो में सजा सुनाए जाने को भी गंभीरता से लिया गया है | निर्वाचन मामलों के जानकारो का कहना है की मतदाता को उम्मीदवार के सम्बन्ध में आर्थिक , आपराधिक और शैक्षणिक प्रिष्ठाभुमिके बारे में जानने का पूरा हक़ है | इससे उसे अपना प्रत्याशी चुनने में मदद मिलेगी |
पहले
२००८ के चुनाव में जमा शपथ पत्र में उम्मीदवारों को परिवार और आश्रितों की संपत्ति का विवरण देने की बाध्यता नहीं थी | मोटे तौर पर प्रत्याशी से नकद , बैंको मे जमा , आयकर , ज्वेलरी और वाहनों की जानकारी माँगी जाती थी | वही अचल संपत्ति के अंतर्गत कृषि , गैर – कृषि भूमि और घर – मकान का ब्योरा भी मोटे – मोटे टूर पर माँगा जाता था | आपराधिक रिकार्ड के सम्बन्ध में केवल तीन चार बिन्दुओ में जानकारी माँगी गई थी इस बार शपथ पत्र के प्रथम भाग में विस्तार से जानकारी देनी होगी | द्वीतीय भाग में इनका सारांश प्रस्तुत करना होगा |
अब देना होगा आयकर विवरण
Ø  प्रत्यासी और आश्रितों की अंतिम आयकर विवरणी फाईल
Ø  आयकर विवरणी में दिखाई गई आय का ब्योरा
Ø  प्रत्यासी और आश्रितों के पास नगदी रकम
Ø  बैंक खातो और बचत योजनाओं में जमा रकम का ब्योरा
Ø  जेवरात , वाहन आदि की जानकारी
Ø  गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और सहकारी समितियों में जमा
Ø  कृषि भूमि , भवन , विरासत में मिली जमीन का ब्योरा
Ø  समस्त चल – अचल संपत्ति का वर्त्तमान मूल्य
Ø  बिजली पानी , टेलीफोन सहित सभी बकाया की जानकारी
Ø  आयकर , सेवाकर . संपत्ति कर आदि बकाया की जानकारी
आपराधिक मामलों का ब्योरा
Ø  प्रत्यासी के खिलाफ ऍफ़ आई आर होने की स्थिति में सम्पूर्ण ब्योरा
Ø  अपराध का संक्षिप्त विवरण और धाराओं का उल्लेख
Ø  जिसमे प्रकरण चल रहा हो उस न्यायालय का नाम
Ø  वर्त्तमान में केश की स्थिति या कार्यवाही का विवरण
Ø  जिस मामले में दोष सिद्ध किया गया हो उसका विवरण

ग्रामीणों ने चट्टान पर फैलाई हरियाली



बालोद – दृढ इच्छा शक्ति हो, इमानदार मेहनत , संगठित शक्ति और समर्पण हो तो पत्थरो में भी हरियाली लाइ जा सकती है | यह साबित किया है बालोद गहन की पंचायत व् ग्रामीणों ने जिन्होंने १२ एकड़ मुरुम , चट्टान दीमक युक्त जमीन पर हरियाली लाने का चमत्कार किया है |
बंजर जमीन का सदुपयोग
राष्ट्रीय राजमार्ग ३० पर बसा हुआ ग्राम बालोद गहन को मुरुम एवं पत्थर खदान के लिए जाना जाता है | ग्राम पंचायत ने वर्ष २०१०-११ में मनरेगा के तहत स्वीकृत ६.८२ लाख रुपयों से पौध रोपण की जानकारी दी गई |इस दौरान ग्रामीणों एवं सरपंच मीना साहू ने तय किया की पौधे वहा लगाए जाए जो जमीन अनुपयोगी है | ग्रामीणों ने एक मत से ग्राम के बाहर स्थित १२ एकड़ पथरीली मुरुम जमीन का चयन किया | उस जमीन में दीमक का प्रकोप है | उसके बाद भी पंचायत ने पुरी संजीदगी से उक्त जमीन पर पौधारोपण की तैयारी की, जिसका फल मिला |
नमी के लिए पौधे के नजदीक राखी मटकी
हरियाली के पहले जमीन पुरी तरह कंटीली जहरीली झाड़ियो से पाती हुई थी | ग्रामीणों ने झाड़ियो को साफ़ किया और वहा लगभग तीस हजार बेल , अमरूद, आम , नीम कटहल , आवला , बांस के पौधे लगाए | पौध रोपण के बाद सरपंच प्रतिदिन दो- तीन बार आती है और कार्यो का निरीक्षण कर आवश्यक निर्देश देती है |
सरपंच हर दिन करती है निरीक्षण
सरपंच मीना साहू हर दिन आकर स्थिति देखती है | उन्होंने पथरीली ,मुरुम युक्त जमीन होने के कारण प्रतिदिन एक- एक पेड़ को देखती है और खाद , दवाई के लिए निर्देश देती | दीमक से बचाव के लिए भी आवश्यक कार्यवाही की | ग्रामीण बताते है की सरपंच ने पौधारोपण के बाद पानी की सफाई व्यवस्था एवं कम कम से कम पानी में अधिक से अधिक सिचाई की युक्ति अपनाई एवं जमीन के ढाल के अनुरूप स्थायी टांका बनवाया और प्रत्येक पौधे के पास मटकी गड़ाकर पानी भरवाया , ताकि पौधे के पास लगातार नमी बनी रहे |

भाटापारा में चिराग द्वारा सामुदायिक गतिशीलता कार्यक्रम आयोजित

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन नई दिल्ली एवं  छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति रायपुर के सहयोग से  चिराग सोशल वेलफेयर सोसायटी अम्बिकापुर द...