Thursday, 31 July 2025

छत्तीसगढ़ में स्वैच्छिक संस्थाओं के सशक्तिकरण पर कार्यशाला सम्पन्न

Vani Cso नई दिल्ली IM, Anmol Foundation व ICMAI के तत्वावधान में रायपुर में 29 व 30 जुलाई को *छत्तीसगढ़ में स्वैच्छिक संस्थाओं के सशक्तिकरण* विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन होटल मयूरा जीई रोड रायपुर में किया गया । उक्त कार्यशाला में राज्य के 16 जिलों से 46 संस्थाओं के प्रमुखों व सीनियर लीडर्स शामिल हुए।
कार्यक्रम में वाणी के सीईओ हर्ष जेटली ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर स्वैच्छिक संस्थाओं के सामने हो रही चुनौतियों व उनके प्रयासों के संदर्भ में अपने अनुभवों को रखा । राजमेरु संस्थान के रजत चौधरी ने स्वैच्छिक प्रयासों के इतिहास व 70-80 के दशक के अधिकार व आंदोलनों वाले से लेकर रचनात्मक कार्यों के दशकों पर चर्चा की साथ ही स्वास्थ्य शिक्षा, आजीविका पर बातचीत कर समुदाय के साथ समय व्यतीत करने पर बल दिया । 
अनमोल फाउंडेशन के निदेशक संजय शर्मा ने स्वैच्छिक प्रयासों के क्षेत्र में नई तकनीकी के विस्तार व क्षमता वृद्धि कैसे की जाए व सीएसआर सहित अन्य दानदाताओं के साथ संबंध मजबूत बनाने के लिए किस प्रकार के प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव लाने की जरूरत है उन बिंदुओं पर बातचीत को रखा और राज्य स्तरीय संगठन को मजबूती प्रदान करने में सहयोग की बात की । 
सहभागी समाज सेवी संस्था के अध्यक्ष बसंत यादव ने आजीविका के क्षेत्र में वनोपज आधारित लाख खेती व जैविक खेती को लेकर काम करने व समुदायों को संशक्त बनाने की बात की और अपने अनुभव रखे। 
सृजन केंद्र के संस्थापक मुरलीधर चंद्रम ने संसाधन की परवाह किए बिना काम करने की सलाह दी और किस तरह लोगों के मुद्दों को बिना संसाधन के समाधान हेतु प्रयास किए जा सकते है उन पर प्रकाश डाला। चिराग संस्था के निदेशक मंगल पांडेय ने समुदायों की सहभगिता, स्वैच्छिक प्रयासों की मजबूती व सक्रियता पर बल देते हुए वाणी को राज्य स्तर पर मिलकर मजबूत करने की बात कही। 
पथ प्रदर्शक संस्था के सुशील सिंह ने शिक्षा के ज्वलंत मुद्दों पर अपनी राय रखी और मिलकर काम करने का सुझाव भी दिया । 

कार्यशाला के दूसरे दिन के सत्रों में डॉक्टर गुप्ता ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर विस्तार से जानकारी दी तथा हर्ष जेटली जी ने फंडिंग व वाणी के प्रयासों पर अपने अनुभव साझा किए । प्रदान से हर्षा वशिष्ठ जी ने शेसन के साथ समन्वय किस प्रकार किया जा सकता है उस पर अपने अनुभव रखे और स्वैच्छिक प्रयासों के मजबूत बनाने पर विचार साझा किए। कार्यक्रम को पैनल डिस्कशन, समूह चर्चा व खुली चर्चा के माध्यम से संचालित किया गया । वाणी को मजबूत बनाने के लिए सभी ने संकल्प लिया ।

Sunday, 20 July 2025

पर्यावरण संरक्षण पर अनमोल फाउंडेशन के सीईओ के विचार को दैनिक भास्कर ने दिया स्थान

दैनिक भास्कर समाचार पत्र में पर्यावरण संरक्षण के सम्बंध में अनमोल फाउंडेशन के सीईओ संजय शर्मा का साक्षात्कार को स्थान दिया । फाउंडेशन की तरफ से दैनिक भास्कर को धन्यवाद। 
पर्यावरण संरक्षण आज बहुत जरूरी है और हर एक मनुष्य का कर्तव्य है कि उसके लिए कुछ तो करे ।

शहरों में तो इसकी नितांत आवश्यकता है, विकास के नाम पर पेड़ों को अंधाधुंध कटाई, उद्योगों के द्वारा अंधाधुंध प्रदूषण फैलाने । व्यक्तिगत वाहनों की संख्या व उनसे निकलने वाले धुएं का प्रदूषण, बढ़ती जनसंख्या जैसे कई कारण है। 

इन्ही कारणों से पर्यावरण सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है । मानव जीवन मे पेड़ों का सिर्फ पर्यावरण के दृष्टि से ही महत्व नहीं है बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी बहुत है । हमारे भारत देश मे पेड़ों और पहाड़ों की पूजा की जाती है । 
हर व्यक्ति को इस दिशा में आगे आकर पौधे लगाना चाहिए और उसकी देखरेख करनी चाहिए ।

Friday, 18 July 2025

लीला देवी ने अपने हाथों बांस से बने समान देकर किया स्वागत

कांकेर जिले के खल्लारी ग्राम में महिला लीडर श्रीमती लीला देवी ने अपने द्वारा बनाए गए बांस का सामान स्मृति चिन्ह के रूप में  अनमोल फाउंडेशन के CEO संजय शर्मा को प्रदान कर उनके बीच समय देने व उनकी बातों को सुनने व समझने के लिए आभार व्यक्त किया। 
पारधी समुदाय के लोग बांस का ही समान बनाते हैं, इनकी पूरी आजीविका इसी पर निर्भर है। अब धीरे- धीरे खेती को अपना रहे हैं। 
लेकिन इन्होंने अपने हुनर को छोड़ा नहीं है बल्कि उसे मुख्य आजीविका के स्रोतों में शामिल करके रखा हुआ ।
बांस से बने सामानों से एक निश्चित आय हर माह में अर्जित कर लेते हैं जिससे परिवार के आजीविका में सहयोग मिल जाता है । 

Thursday, 17 July 2025

आय को बढ़ाने किसानों से चर्चा

किसानों के साथ चर्चा कर जानकारी लेते हुए अनमोल फाउंडेशन के CEO संजय शर्मा । 
सिंचाई की समस्या व फसलों के उत्पादन पर बात कर लोगों के अनुभवों के बारे में जाना । 
संजय शर्मा ने त्वरित उत्पादन व आय देने वाली फसलों व कम भूमि वाले किसानों को मिश्रित फसल के सम्बंध में जानकारी साझा की और अपने अनुभव साझा किए । 
पम्पापुर के कोलता पारा के किसानों ने भी खुलकर अपनी बातें रखी व पूर्व में संजय शर्मा के सहयोग से नाले पर बनाए गए चेकडैम के टूट जाने से होने वाली नुकसान पर चर्चा करते हुए उसे फिर से बनाने में मदद करने की मांग रखी ।

Tuesday, 15 July 2025

कुपोषण दूर करने पोषण वाटिका अभियान

सब्जियों के बीज अंकुरित होने लगे हैं और जल्द ही रोपाई के लिए तैयार हो जाएंगे।

अनमोल फाउंडेशन पोषण वाटिका अभियान के तहत वंचित एवं आर्थिक रूप से पिछड़े समुदाय के परिवारों के साथ अभियान चलाकर सब्जी की खेती को बढ़ावा दे रहा है।
इस अभियान के तहत घर के आसपास सब्ज़ियों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए लोगों को सब्ज़ियाँ दी जा रही हैं। बाकी प्रक्रियाएँ समुदाय के सहयोग से पूरी की जा रही हैं।
फाउंडेशन का उद्देश्य है:
1- समुदाय को सब्जियों के रूप में पौष्टिक भोजन मिले।
2- सभी का स्वास्थ्य बेहतर हो।
3- बच्चों और महिलाओं को सब्जियों से पोषक तत्व मिलें।
4- कोई भी कुपोषण का शिकार न हो।
इन उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, फाउंडेशन लोगों से सब्जियां उगाने और उन्हें अपने आहार में शामिल करने का आग्रह कर रहा है।

Monday, 14 July 2025

बच्चों को प्रेरित करने के लिए जुड़ाव जरूरी

बच्चों से बातें करना, उनकी भावनाओं को समझना, उन्हें मानसिक व शारिरिक विकास के लिए प्रेरित करना । 
इसके लिए जरूरी है कि आप स्वंय बच्चे बन जाइए । जब आप उनके जैसा बन जाएंगे तो वे आपको फॉलो करेंगे । 
जब फालो करेंगे तब आप वह गतिविधि करें जो उनके शारिरिक व मानसिक विकास के लिए जरूरी हैं । 
यह भी जरूरी है कि कौन बच्चा किस चीज में रुचि ले रहा हैं उसे उसी काम के लिए प्रोत्साहित किया जाए। 
जब हम हर वक्त पढ़ाई पढ़ाई की ही बातें करते हैं तो बच्चे बोर हो जाते हैं और रुचि कम लेते हैं। 
हमे उनके पढ़ाई को रुचिकर बनाने के लिए खेल या मनोरंजन को जोड़कर शिक्षा देनी चाहिए । 
आजकल स्कूलों में यह पद्धति अपनाई जा रही है जो कि सराहनीय है ।
शिक्षक और बच्चे के का जुड़ाव बहुत महत्वपूर्ण है बच्चे भविष्य को बेहतर बनाने में 

Sunday, 13 July 2025

सुविधा सम्पन्न कृषक उत्पादन ले पैसे काम रहे, लघु कृषक अब फसल लगा रहे

मक्के का सीजन चल रहा है, बड़े किसान पहले ही इसकी खेती शुरू कर दिए थे । सुविधा सम्पन्न कृषक हैं वे पहले खेती किए थे उनके फसल तैयार हो गए हैं और बाजार में बिकने आ गए । 
लेकिन हमारे जो लघु कृषक हैं जिनके पास सुविधाओं का आभाव है वे अब मक्के किए फसल लगाए हैं।
अभी पौधे छोटे - छोटे है तभी पत्ते पर कीड़े लग गए है वे पत्ते खा जा रहे । चिंतित किसान के साथ मीटिंग कर उन्हें जैविक दवाइयों निमाष्ट, बर्माष्ट आदि के बारे में जानकारी दी और उनकी मदद करने के लिए अपने सहयोगी को कहा। 
चूंकि किसान पूरी फसल जैविक तरीके से की है तो रासायनिक दवाइयां नही बता सकते ।
वैसे भी हम जैविक खेती को ही बढ़ावा देते है । जहर मुक्त खेती हो ऐसा हम अपने से जुड़े किसानों को तैयार कर रहे हैं। 

Saturday, 12 July 2025

बांस के पारम्परिक उद्योग समस्याओं से जूझ रहे

छत्तीसगढ़ में बांस के बने सामानों की मांग अच्छी है । बंसोड़ व पारधी समुदाय सिर्फ और सिर्फ बांस का ही कार्य करते हैं । 
जैसे जैसे जंगल कम होते गए इन समुदायों का काम भी प्रभावित होता गया ।
अब इनके काम बहुत ही कम हो गए है । इसके मुख्य दो कारण है ।
एक बांस का कम होना 
आर्थिक स्थिति ठीक न होना 
जंगलों में बांस कटते जा रहे हैं जिससे अब बांस आसानी से नहीं मिलता विभाग भी इन्हें बांस उपलब्ध नहीं करा पाता । 
बाहर से अगर बांस खरीदते हैं तो वो महंगा मिलता है लाने ले जाने में खर्चे लगते हैं उसके लिए पैसा होना चाहिए । जिसकी इन समुदायों के पास कमी होती है। 
इनकी आजीविका का मुख्य स्रोत यही है इन्हें अगर आगे बढ़ाना है तो इन्हें सहयोग की जरूरत है ।
वैसे तो अब बांसों से बहुत से सामान बनने लगे हैं । शायद बड़ी बड़ी कंपनियां इसमे कपड़े चारकोल आदि बनाने के लिए आ रही हैं । 
जब बड़े बड़े व्यापारी बांस खरीद कर ले जाएंगे तो स्थानीय स्तर पर बांस की समस्या खड़ी होगी जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव इन समुदायों पर पड़ेगा ।
ये समुदाय परम्परागत रूप से इसी काम को करते आ रहे हैं । बड़े व्यापारियों के इस क्षेत्र में आने से इन समुदायों का रोजगार ही मारा जाएगा। 

Friday, 11 July 2025

शुद्ध देशी जंगली पौधों की नर्सरी

शुद्ध रूप से देशी व जंगली पौधों की नर्सरी । परन्तु ये सभी पौधे उनके बीजों से तैयार किए जा रहे हैं। जिन्हें वनोपज कहा जाता है । इनमे कुछ फलदार पौधों के बीज भी लगाए गए है । जिनमे आम, कटहल और जामुन भी शामिल है। इसमे सबसे ज्यादा आम, कटहल और महुआ के पौधे हैं। 
इस छोटे से क्षेत्र में 1000 पौधे के लिए बीज लगाए गए है । जैसे ही ये बीज पौधे का रूप ले लेंगे। इन्हें आसपास के 10 ग्रामों में समुदायों सहभागिता से रोपण किया जाएगा । पौधे से पेड़ बनने तक के सुरक्षा व देखरेख की जिम्मेदारी समुदाय की होगी ।
जब ये फल देने लगेंगे तो समुदायों के स्वास्थ्य, पोषण व आजीविका के लिए महत्वपूर्ण साधन बनेंगे । 

Thursday, 10 July 2025

बरसात में जलाऊं लकड़ी को पारम्परिक तरीके से सुरक्षित रखते है गांव के लोग

बरसात के दिनों में जलाऊं लकड़ी की दिक्कतें होंगी इसीलिए ग्रामीण क्षेत्रों में जलाऊं लकड़ी एकत्र कर सुरक्षित रख दिए हैं ताकि ईंधन के भीगने का डर न रहे । 
आपमे जरूरत के चीजों को कैसे सुरक्षित रखना है ये बखूबी जानते हैं । क्योंकि ये ज्ञान इन्हें अपने पूर्वजों से मिला है । 
बरसात में सारी लकड़ियां भीग जाती है जिसमे आग नहीं लगता । वर्षा के पूर्वानुमान के हिसाब से पूरे बरसात भर के लिए हर परिवार जलाऊं लकड़ी संग्रहित कर अपने अपने घरों के पास सुरक्षित जगह पर स्टोर कर देते हैं ताकि बरसात के पानी मे न भीग जाएं ।

गांव में अभी भी अधिकांश परिवार लकड़ी के चूल्हे में ही भोजन बनाते हैं । इतनी महंगी गैस लेने की आर्थिक क्षमता नहीं हैं। 
इसलिए भोजन बनाने के लिए जंगलों के किनारे से सूखे जलाऊं लकड़ी एकत्र कर ईंधन की व्यवस्था करते हैं । 

Wednesday, 9 July 2025

औषधीय गुणों का भंडार है ये लाल फूल

औषधीय गुणों का खजाना है ये लाल फूल, पेट की समस्याओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं! इसे कहीं कुद्रुम के नाम से जानते हैं तो कहीं लकरा के नाम से । नाम भले ही अलग -अलग हो लेकिन स्वाद और औषधीय गुणों से भरपूर है ये फूल ।

आपने धनिया, टमाटर और अदरक की चटनी के बारे में तो खूब सुना होगा. लेकिन, आज हम आपको एक ऐसे लाल फूल की चटनी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको अगर आप एक बार चख लें तो उसका टेस्ट आप कभी नहीं भूल पाएंगे.

छत्तीसगढ़ में इस फूल को खेतों में अपने फसलों के किनारे में लगाते हैं. कई जगहों पर तो इसकी भरपूर खेती करते हैं। यह फूल कई पोषक तत्वों से भरपूर है, जो की हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है.

छत्तीसगढ़ में तो इसके पत्ते की भाजी व फूलों की चटनी तथा पौधों के ताने से रस्सी बनाते हैं । कई मल्टीपर्पज उपयोग है इसका । अब इसकी रस्सी की जगह प्लास्टिक ने ले ली है । 

नई जेनरेशन इतना मेहनत नहीं करना चाहती और व्यापारी भी इतना मेहनत नहीं करना चाहते । प्लास्टिक की तरफ ही भाग रहे क्योंकि उन्हें वो आसान लगता है । जबकि प्लास्टिक पर्यावरण के लिए घातक है और ये हमारा घरेलू उद्योग पर्यावरण फ्रेंडली है । 

Sunday, 6 July 2025

देशी जामुन गरीबों को मिठास देने के साथ साथ स्वास्थ्य का भी खयाल रखते हैं

इस समय हमारे कार्यक्षेत्र के ग्रामों में देशी जामुन के फल पक कर पेड़ों पर लदे हुए हैं । ये जामुन के फल आकार में छोटे -छोटे होते हैं लेकिन मिठास में कोई कमी नही होती । पौष्टिक गुणों से भरपूर स्वास्थ्यवर्धक जामुन खाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है 
यह जामुन शहरी जामुन से बिल्कुल ही अलग होते हैं लेकिन खाने में या स्वाद में कोई अंदर नहीं होता । पहाड़ी क्षेत्रों में छोटे -छोटे नदी नालों के किनारे तो बहुतायत में मिल जाता है। 
चिंता इस बात की है कि गांवों में मिलने वाले शुद्ध देशी फल व सब्जियां अब हाईब्रिड में परिवर्तित होते जा रही है । जिससे ये देशी फल या सब्जियां देखने को भी बड़ी मुश्किल से मिलती हैं। 
हमे विलुप्त हो रहे फल व सब्जियों को बचाना होगा और पुनः बढाने के लिए कार्य करना होगा । व्यवसायीकरण के इस युग मे वास्तव में शुद्ध चीजें मिलना मुश्किल ही नही असंभव सा हो गया है । ऐसे में अगर कुछ चीजें गांवों में बची हैं तो उन्हें संरक्षण दिया जाए ।

Saturday, 5 July 2025

पारम्परिक बीजों का संरक्षण जरूरी

अनमोल फाउंडेशन अपने कार्यक्षेत्र में पारम्परिक कृषि बीजों का संरक्षण कर उन्हें बढ़ावा दे रही है। पारम्परिक बीज चाहे वे सब्जी के हों या कृषि के सब धीरे -धीरे करके विलुप्त होते जा रहे हैं । 
ये बीज हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है। इन्हें बचाना जरूरी है ।
हमारे पूर्वज इन्ही बीजों को रखते थे और खेती करते थे उन्हें कहीं लाइन लगाकर बीज लेने जाने की जरूरत नहीं पड़ती थी । लेकिन लालच में आकर सबने इन बीजों को नष्ट कर दिया और उन बीजों के पीछे भागने लगे जिन्हें हम बचा कर बीज के लिए नहीं रख सकते । 
पारम्परिक बीज अभी कहीं थोड़े बहुत बचे हैं तो वे हमारे जंगलों में रहने वाले आदिवासी जनजाति समुदाय के लोगों के पास ही बचे है ।
इन्होंने लालच में आकर पारम्परिक बीजों को नष्ट नहीं किया है बल्कि उन्ही की खेती करते आ रहे हैं ।
कुछ NGOs हैं जो इन बीजों को बचाने में लगे है उन्हें बढ़ाने का काम भी समुदाय के साथ मिलकर कर रहे हैं । ताकि बीज तो बचे ही साथ मे हमारा पर्यावरण भी संरक्षण हो और स्वास्थ्य अच्छा रहे ।
अनमोल फाउंडेशन भी इस पर काम कर रही है । सरगुजा जिले के 10 ग्रामों में छोटे छोटे स्तर पर इसकी खेती करा कर इसे बढ़ाने का भी प्रयास कर रही है । 

Thursday, 3 July 2025

मेहनत जब फल देने लगे

जब आपका श्रम फल देने लगे तो आपकी प्रसन्नता का ठिकाना नही रहता । ठीक इसी तरह जो पेड़ लोगों ने लगाए वो अब फल देने की तैयारी में है । इससे लोग प्रसन्न और उत्साहित हैं । 
कुछ साल पहले जब अनमोल फाउंडेशन व ग्राम अधिकार मंच के सहयोग से लोगों को फलदार पौधे लोगों को दिए गए थे उन पौधों में से सीताफल का पौधा अब फूल और फल देने लगा है। 
लोग अपनी मेहनत का फल देखकर प्रसन्न है उन्हें खुशी है कि उनका लगाया हुआ पौधा अब फल देने लगा है ।अच्छा परिणाम ही प्रसन्नता देता है । अब और पौधा लगाने के लिए प्रेरित होने लगे है। 

Tuesday, 1 July 2025

जरूरत से ज्यादा अपेक्षा नहीं इसलिए मुस्कुराते हैं

इनके चेहरों की मुस्कुराहट को देखिए । विकास और कनेक्टिविटी से कोसों दूर पर जंगलों के बीच रहने वाले लोगों के चेहरे पर मुस्कान इस बात का प्रमाण है कि ये लोग सिर्फ जीवन जीने के लिए जरूरत की चीजें की ही अपेक्षा करते हैं । जो इन्हें अपने आसपास मिल जाती हैं । 
ये लोग पीडीएस का राशन लेने 4 किलोमीटर दूर नदी पार कर जाते हैं । ग्राम में 100 परिवार रहते है। घने जंगलों के बीच बसा तुलबुल गांव बेहद ही खूबसूरत है। 
जैसा खूबसूरत गांव है वैसे ही दिलों से खूबसूरत लोग भी यहां रहते हैं । 
मेरा मिलना हुआ इन लोगों से बातचीत कर इनके बारे में जाना । कई जानकारियां हमे मिली । जो हमारे लिए नई थी । कई सुविधाएं यहां तक पहुचती ही नहीं लेकिन ये प्रसन्न हैं । मिल गया तो ठीक नही मिला तो कोई गम नहीं । 
#सीखनेकाअभियान

Monday, 30 June 2025

आंगनबाड़ी न होने से सुविधाओं से वंचित बच्चे

तुलबुल ग्राम के ये नन्हे बच्चे गांव में आंगनबाड़ी न होने से उन सुविधाओं से वंचित है । 
पहाड़ी पर बसे इस ग्राम में कल अनमोल फाउंडेशन के निदेशक संजय शर्मा ने लोगों के साथ बैठक कर आंगनबाड़ी खुलवाने की रणनीति पर चर्चा की । 
बच्चों के लिए आंगनबाड़ी की होनी ही चाहिए, शिक्षा व स्वास्थ्य की दृष्टि से आंगनबाड़ी होने से बच्चों का शारिरिक व मानशिक विकास होगा 

Friday, 27 June 2025

मानसून की दस्तक के साथ किसान तैयार

मानसून का आगमन सरगुजा में हो चुका है । इसे देखते हुए किसान अपने खेतों की तरफ चल पड़े हैं अपने हल और बैल लेकर । 
हमारे कार्यक्षेत्र के ग्राम सुमेला बहरा में ज्यादातर किसान लघु सीमांत किसानों की श्रेणी में आते है। 
कुछ ही किसान है जिनके पास धान की खेती के लिए अच्छी जमीन है । बहुतों के पास उबड़ खाबड़ पथरीली जमीन उपलब्ध है। हमारा फाउंडेशन जनभागीदारी से भूमि सुधार के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रहा है, ताकि अच्छी फसल किसान ले सके । 
किसानों की आय वृद्धि कर आजीविका को मजबूत करने के लिए फाउंडेशन स्थानीय लोगों की सहभागिता से लगातार कार्य कर रही है । 
अनमोल फाउंडेशन के इस प्रयास से लोग जुड़कर अच्छे परिणाम देने के लिए प्रयास भी कर रहे हैं । 

Wednesday, 25 June 2025

नशा शरीर के साथ - साथ परिवार व समाज का नाश कर देता है

नशा शरीर का ही नही अपितु पूरे परिवार का नाश कर देता है । समाज मे यह जहर की तरह फैल रहा है । बहुत से युवा इसकी चपेट में आ जा रहे और अपना भविष्य खराब कर ले रहे । 
संयुक्त राष्ट्र ने नशीली पदार्थों के उपयोग पर रोक थाम करने, नशे खिलाफ लोगों में जागरूकता लाने तथा नशे के व्यापार को रोकने वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करता है । 
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना जो नशा मुक्त हो, जिसमे समुदायों को शिक्षा,रोकथाम और पुनर्वास के माध्यम से सशक्त किया जाए । 
नशा निषेध दिवस' को मनाने के पीछे उद्देश्य लोगों को इसके प्रति जागरूक करना है. नशीली दवाओं का सेवन करने से शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आर्थिक नुकसान होता है. इस दिन आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में खासतौर पर युवाओं के लिए नशे के रोकथाम, उपचार और पुनर्वास कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाता है. 

छत्तीसगढ़ में स्वैच्छिक संस्थाओं के सशक्तिकरण पर कार्यशाला सम्पन्न

Vani Cso नई दिल्ली IM, Anmol Foundation व ICMAI के तत्वावधान में रायपुर में 29 व 30 जुलाई को *छत्तीसगढ़ में स्वैच्छिक संस्थाओं के सशक्तिकरण* ...